नई दिल्ली । सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के किए गए उत्कृष्ट योगदान, नवीन क्षमताओं, उत्पादकता के क्षेत्र में बढ़ाने वाले कामगारों को सम्मानित करने के लिए हर साल प्रधानमंत्री श्रम पुरस्कार दिया जाता है। इसी के तहत केंद्र सरकार ने साल 2018 के लिए प्रधानमंत्री श्रम पुरस्कारों (पीएमएसए) की घोषणा कर दी है। इस बार ये पुरस्कार सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के 69 कर्मचारियों को दिए जाएंगे। मिलने वाले पुरस्कार केंद्र और राज्य सरकारों के विभागीय उपक्रमों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और 500 या उससे ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाली निजी क्षेत्र की इकाइयों में कार्यरत 69 श्रमिकों को प्रदान किए जाने हैं।
साल 2018 के लिए श्रम भूषण पुरस्कारों के लिए 4, श्रम वीर या वीरांगना पुरस्कारों के लिए 12 और श्रम श्री या देवी पुरस्कारों के लिए 17 नामांकनों को चुना गया है। जहां इस वर्ष प्रदान किए गए श्रम पुरस्कारों की कुल संख्या 33 है, वहीं पुरस्कार प्राप्त करने वाले श्रमिकों की संख्या 69 है क्योंकि कुछ पुरस्कार श्रमिकों और या श्रमिकों की टीमों द्वारा साझा किए गए हैं, जिनमें एक से ज्यादा कर्मचारी शामिल हैं। कुल पुरस्कार विजेताओं में से 49 कर्मचारी सार्वजनिक क्षेत्र से हैं जबकि 20 कर्मचारी निजी क्षेत्र से हैं। पुरस्कार पाने वालों में 8 महिला कार्यकर्ता शामिल हैं। श्रमिकों को उनके विशिष्ट प्रदर्शन, नवीन क्षमताओं, उत्पादकता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान और असाधारण साहस व बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करने के लिए तीन श्रेणियों में पुरस्कार दिए गए हैं।
श्रम भूषण
श्रम भूषण पुरस्कारों की कुल संख्या 4 है। इसमें 1,00,000 रुपये का नकद पुरस्कार और एक ‘सनद’ दिया जाता है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी क्षेत्र में साल 2018 के लिए श्रम भूषण पुरस्कार विजेताओं की कुल संख्या 10 है।
श्रम वीर या वीरांगना
इस श्रेणी में वीरांगना पुरस्कारों की कुल संख्या 12 है। इसमें 60,000/- रुपये का नगद पुरस्कार और एक ‘सनद’ दिया जाता है। श्रम वीर / श्रम वीरांगना पुरस्कार विजेताओं की कुल संख्या 21 है जिनमें साल 2018 के लिए 1 महिला कर्मचारी शामिल है।
श्रम श्री या देवी
इस वर्ग में पुरस्कारों की कुल संख्या 17 है। इसमें 40,000/- रुपये का नकद पुरस्कार और एक ‘सनद’ दिया जाता है। इस पुरस्कार विजेताओं की कुल संख्या 38 है जिसमें 7 महिला कर्मचारी शामिल हैं।
बता दें कि प्रधानमंत्री श्रम पुरस्कारों के लिए चयन उन्हीं उपक्रमों से किया जाता है जिनमें 500 या उससे ज्यादा श्रमिक कार्यरत होते हैं।
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