रायपुर13 अगस्त (वेदांत समाचार) । Organ Donation: विश्व अंगदान दिवस पर राजधानी में सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इसमें लिवर ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी मिले तीन बच्चों और उन्हें अंगदान करने वालों को सम्मानित किया गया। इसमें रायपुर पीयूष कुंडू (2.5 वर्ष) और उनकी डोनर लक्ष्मी सरकार, बिलासपुर के सिद्धार्थ यादव (11) और उनकी डोनर पूर्णिमा यादव, रानीगांव के तन्मय देवांगन (15) और उनके डोनर तरुण देवांगन को सम्मान मिला। इनका ट्रांसप्लांट मुंबई फोर्टिस हास्पिटल अस्पताल में किया गया था। इस दौरान सलाहकार-लिवर प्रत्यारोपण और सर्जरी डा. स्वप्निल शर्मा मौजूद रहे।
ऐसी ही झकझोरने वाली कहानियां
बेबी पीयूष की आंटी पूजा बताती हैं कि पीयूष (अब 2.5 साल का) का जन्म बाइलिएरी एट्रेसिया के साथ हुआ था। जब वह सिर्फ छह महीने का था, तब उसका लिवर ट्रांसप्लांट ऑपरेशन हुआ था। प्रत्यारोपण के बिना उसके बचने की संभावना कम थी। वह बहुत गंभीर हालत में था। उसकी बिगड़ती हालत दिल तोड़ने वाली थी। पीयूष की दादी (मेरी मां) ने अपने लिवर का एक हिस्सा दान करने की पेशकश की। शुरू में हमारे पास अंग दान के बारे में कई सवाल थे, जैसे मेरी मां और भतीजे के जीवन की गुणवत्ता, अंग अस्वीकृति, जीवित रहने की अवधि आदि कैसी होगी। हालांकि, डॉ. शर्मा ने अंगदान की प्रक्रियाओं को समझाया और हमारे संदेहों को दूर किया। प्रत्यारोपण के बाद मेरा भतीजा अपनी बीमारी से मुक्त हो गया है। मेरी मां भी स्वस्थ हैं।
विल्सन डिजीज का भी समय पर इलाज
वहीं, छत्तीसगढ़ के रानीगांव गांव में रहने वाले 15 वर्षीय कक्षा 10 के छात्र तन्मय जब तीन साल के थे, तब से बीमार चले रहे थे। उसे कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जब वह आठ साल का हुआ, तो पता चला कि उसे विल्सन डिजीज है। वेल्लोर के एक अस्पताल में उसका इलाज जारी रहा। मगर, उन्हें रायपुर के डॉ. स्वप्निल शर्मा के पास रेफर कर दिया गया। जब तक तन्मय के परिवार ने आखिरकार डॉ. शर्मा से संपर्क किया, तब तक उसका लिवर काफी क्षतिग्रस्त हो चुका था।
उसकी स्थिति गंभीर होने के बावजूद डॉ. शर्मा और उनकी टीम ने एक जीवनरक्षक लिवर प्रत्यारोपण करने में कामयाबी हासिल की। तन्मय के बड़े भाई तरुण ने उनके लिवर का एक हिस्सा दान करने की पेशकश की। तन्मय भी अब विल्सन रोग से मुक्त हैं और पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। तन्मय और पीयूष की कहानी इस बात का प्रतीक है कि कैसे भारत में मरीज उचित चिकित्सा सहायता प्राप्त करने के लिए दर-दर भटकते हैं। यह हमें दयालुता के सबसे बड़े काम यानी अंगदान पर एक महान सबक भी सिखाता है।
इस तरह के मामले अधिक
मेडिकल कालेज में पढ़े राजधानी निवासी डा. स्वप्निल ने तीनों पीड़ितों का न सिर्फ लिवर ट्रांसप्लांट किया, बल्कि उन्हें इलाज के दौरान सामने आ रहीं दिक्कतों में भी मदद की। डा. स्वप्निल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में वयस्कों में अल्कोहल व लिवर सिरोसिस, बच्चों में बाइलिएरी आट्रेसिया और विल्सन डिजीज के मामले अधिक हैं।
यह लिवर संबंधित बीमारियां हैं, जिससे पीड़ित का लिवर पूरी तरह खराब हो जाता है। इन स्थितियों का अगर प्रारंभिक चरण में पता नहीं लगाया जाता है, तो लिवर ट्रांसप्लांट बेहद जरूरी होेता है। महामारी के दौरान मृत शरीर के डोनेशन की संख्या में काफी गिरावट आई है। इससे जीवित-डोनर लिवर ट्रांसप्लांट पर निर्भरता बढ़ गई है। मौके पर अंगदान से स्वस्थ हुए बच्चों के स्वजन भी मौजूद थे
छत्तीसगढ़ में बना एक्ट
छत्तीसगढ़ राज्य में अंग प्रत्यारोपण की बढ़ती आवश्यकता के कारण राज्य सरकार ने अधिक जीवनरक्षक प्रत्यारोपण को बेहतर बनाने और सक्षम करने के लिए कैडवेरिक ऑर्गन डोनेशन एक्ट पेश किया है। फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड, मुंबई ने इस घोषणा के अनुरूप रायपुर में लिवर केयर एंड ट्रांसप्लांट प्रोग्राम को मजबूत किया है, ताकि विशिष्ट देखभाल की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। रोगियों के किस्से लिवर की पुरानी बीमारियों वाले रोगियों की पीड़ा, उनके परिवारों की दुर्दशा और मैचिंग डोनर्स की दिल दहला देने वाली प्रतीक्षा का वर्णन करती हैं।
[metaslider id="347522"]