कोरबा जिले का पसान सर्किल को जीपीएम जिले में शामिल होने की घोषणा राजनीति की भेंट चढ़ा

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौरेला पेण्ड्रा जिले में शामिल करने की थी घोषणा,गौरेला पेण्ड्रा जिले से जुड़ा तो स्वास्थ्य और शिक्षा में समर्द्ध होगा पसान

आजादी के 75 साल लगभग होने को जा रहे हैं परंतु पसान मातिन क्षेत्र शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली की समस्याओं से जूझ रहा है। आदिवासी बाहुल्य तानाखार विधानसभा क्षेत्र के पसान- मातिन क्षेत्र के लगभग 80 गांव के लोगों को जिला मुख्यालय कोरबा सुविधा जनक नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के स्थापना अवसर 10 फरवरी 2020 को घोषणा की थी कि पसान सर्किल को अलग तहसील बनाकर नए गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला में जोड़ेंगे परंतु राजनीतिक संतुलन के चक्कर में नीतिगत रूप से यह निर्णय रुकने के कारण पसान- मातिन क्षेत्र में निराशा है। वर्षों से सड़क सिंचाई स्वास्थ एवं शिक्षा जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे आदिवासी अंचल को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री की घोषणा अमल में आने से उन्हें 100 किलोमीटर कोरबा जिला मुख्यालय नहीं जाना पड़ेगा। मात्र 30 – 35 किलोमीटर की दूरी पर गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला अब उनका जिला होगा! और उन्हें तकलीफों से मुक्ति मिलेगी परंतु ऐसा हो ना सका,,! तो आखिर पसान में ऐसा कौन है जो पसान- मातिन क्षेत्र को पिछड़ा ही रखना चाहता है? जबकि वहां की जरूरत विकास है जो गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले से जुड़ने पर ही पूरी होगी। तो क्या पसान- मातिन क्षेत्र का विकास होने से उनकी राजनीति बंद हो जाएगी? अब जबकि तानाखार विधानसभा क्षेत्र में सत्ताधारी दल कांग्रेस के विधायक मोहित केरकट्टा चुने गए हैं तो क्या इसके बावजूद भी पसान मातिन क्षेत्र पिछड़ा ही रहेगा?

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिस पसान मातिन क्षेत्र को गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला में जोड़े जाने जाने की घोषणा की थी वह बेवजह नहीं थी। दरअसल इस घोषणा के पीछे मुख्यमंत्री को ललक इस बात की थी कि पिछड़ेपन का दंश भोग रहे पसान मातिन क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा में लाया जाए ताकि यहां के आदिवासियों का विकास हो सके। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के पूर्व तक तानाखार विधानसभा क्षेत्र की विडंबना रही कि यहां हमेशा सत्ताधारी दल के विरुद्ध दल का विधायक चुनाव जीतता रहा जिससे ताना खार विधानसभा क्षेत्र का पसान-मातिन क्षेत्र विकास की दौड़ में पिछड़ा ही रहा। यहां के प्रमुख विधायकों के नामों में लालपुर कीर्ति कुमार सिंह, बोधराम कंवर , अमोल सिंह सलाम,गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष एवं आदिवासी नेता स्वर्गीय हीरा सिंह मरकाम,रामदयाल उइके के नाम प्रमुख है जो सत्ताधारी दल के विरुद्ध दल से इत्तेफाक रखते थे परंतु 2018 के विधानसभा चुनाव में जो परिस्थितियां बनी और जिस तरह रामदयाल उइके कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस का साथ छोड़ कर भाजपा में शामिल

हुए और उसके बाद तत्काल मोहित केरकेट्टा कांग्रेस की टिकट देकर उन्हें चुनाव मैदान में उतारा गया जिसमें तानाखार विधानसभा क्षेत्र की जनता ने कांग्रेस के मोहित केरकेट्टा को चुनाव जिता कर विधानसभा में भेजा। तानाखार विधानसभा मैं कांग्रेस को मिली जीत के बाद पसान मातिन क्षेत्र के लोगों के सपनों को जैसे पर लग गए थे क्योंकि वर्षों के बाद सत्ताधारी दल का विधायक ताना खार क्षेत्र को मिला था। वर्षों से उपेक्षित पसान मातिन क्षेत्र के लोगों की उम्मीदें तब और बढ़ गई जब 15 अगस्त 2019 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले की घोषणा की। मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद पसान मातिन क्षेत्र के लोगों ने को प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल एवंअपने विधायक मोहित केरकेट्टा के माध्यम से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक यह संदेश भेज दिया था कि उन्हें भी गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में जोड़ा जाए। लोगो ने सोचा था कि नए जिले गौरेला पेंड्रा मरवाही में शामिल होंगे! और उन्हें भी नजदीकी जिला मुख्यालय गौरेला पेंड्रा मरवाही की प्रशासनिक कसावट का लाभ मिलेगा। सड़क शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधाएं मिलेंगी परंतु मुख्यमंत्री की घोषणा की खुशी ज्यादा दिन तक कायम नहीं रह सकी और उस क्षेत्र को गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले से जोड़ने का काम राजनीतिक संतुलन की भेंट चढ़ गया । जिस तरह पसान तहसील के गठन पर रोक और उसे गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले से जोड़े जाने की कार्यवाही स्थगित हुई है उससे यह बात तो सामने आई है कि पसान में कोई नेता तो है जो वहां के भोले भाले आदिवासी जनप्रतिनिधियों को बहला लेते हैं और अपने फायदे के लिए विकास में रोड़ा बने हुए हैं जिसके कारण राजनीतिक उहापोह की स्थिति निर्मित हुई और अब नहीं लगता कि अब पसान मातिन क्षेत्र गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले से जुड़ सकें।


तत्कालिक रूप से जो जानकारी आई है उसके अनुसार
पसान सर्किल के 20 में 13 ग्राम पंचायतों ने कोरबा जिलाके साथ रहने का निर्णय लिया है। वही 7 ग्राम पंचायतों ने नवनिर्मित जिला गौरेल पेंड्रा मरवाही जाने की इच्छा जताई है। राज्य में जिला पुनर्गठन के बाद शासन ने जिले के पसान सर्किल में आने वाले पंचायतों से ग्राम सभा के माध्यम से उनका अभिमत मांगा था। जिसके अनुसार बुधवार को ग्राम सभा का आयोजन किया गया। पसान सर्किल को लंबे समय से अलग विकासखंड घोषित करने की मांग की जा रही है, जो अब तक पूरी नही हुई। बुधवार को हुई ग्रामसभा के बाद जिस तरह का रूझाान आया है उसमें कोरबा जिला के साथ रहने की मंशा जताने वाले पंचायतों मे रामपुर, लैंगा, सारिसमार, कर्री, पिपरिया, कोडगार, कुम्हारीदर्री, सिर्री, लैंगी, अमझर, अड़सरा और पंडरी पानी शामिल है। जिन पंचायतों ने नव गठित जिला गौरेला-पेंड्रा- मरवाही के साथ जाने का निर्णय लिया है उनमें खोडरी, चंद्रौटी, सैला, सेमरा, कुम्हारीसानी, पोड़ीकला और बैरा सात गांव हैं।

पेंड्रा से निकलने वाली बम्हनी नदी पेंड्रा विकासखंड एवं पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के बीच सीमा रेखा बनाती हुई 80 किलोमीटर चल कर कोरबा जिले में हसदेव नदी में जाकर समाहित हो जाती है। सीमावर्ती क्षेत्र में बहने के कारण इस नदी के तट पर घनघोर जंगल रहे हैं जो मातिन क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। पसान मातिन क्षेत्र के पसान से सटे गांव खोडरी, चंद्रौटी, कररी, खमरिया, हटहाडांड़ तुलबुल, सांडामार , सैला सेमरा, धन सलैहां , रानीगढ़ी,पत्थर फोड़, केंदहाडांड़, रानी अटारी,सेन्हा, पूटी पखना, बैरा अतरौटी, जलके,तनेरा, सुक्खा डबरा, लोकड़हा , बाघिनडांड़, बघनख्वा अड़सरा , अमझर ऐसे गांव हैं जहां के ग्रामीण छात्र छात्राएं पढ़ाई लिखाई के लिए गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के शैक्षणिक संस्थाओं पर निर्भर है। यहां के छात्र छात्राओं को हायर सेकेंडरी स्तर की पढ़ाई की सुविधा पेंड्रा विकासखंड के कोटमी कला एवं पेंड्रा क्षेत्र से मिलती है परंतु अलग जिला होने के कारण कई बार उन्हें यहां पढ़ने के लिए प्रवेश से मना कर दिया जाता है कि आप लोग दूसरे जिले के हैं अपने जिले में पढ़ो। इसी तरह महाविद्यालय पढ़ाई के लिए भी पसान मातिन क्षेत्र के छात्र छात्राओं को प्रवेश में दिक्कतें होती हैं ऐसे में यदि पसान सर्किल को तहसील बनाकर उसे गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में शामिल करने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी तो उसके पीछे एक बड़ी आदिवासी आबादी की भलाई छिपी हुई है परंतु कुछ स्थानीय नेता है जो पसान मातिन क्षेत्र का विकास नहीं चाहते! क्योंकि उन्हें शंका है कि आदिवासी अंचल पसान मातिन का विकास हो गया तो उनकी राजनीति की दुकान ना बंद हो जाए!

ज़हर पिए ना माहुर खाए। मरे का होए तो मातिन जाए

मातिन क्षेत्र का नाम यूं ही मातिन क्षेत्र नहीं रखा गया है।मातिन दाई एक वनदेवी है जिस पर मातिन क्षेत्र के गांवों में रहने वाले लोगों को बड़ी आस्था है। ग्रामीणों की मान्यता है कि इस क्षेत्र की रखवाली मातिन दाई करती है। यहां के जंगलों के बारे में एक कहावत खूब प्रचलित रही है”ज़हर पिए ना माहुर खाए। मरे का होए तो मातिन जाए “। दरअसल कभी यह इलाका बाघ हाथी एवं नीलगाय के लिए प्रसिद्ध रह। पुराने जमाने में यहां जाना याने मरना तय है जो यहां के जंगलों की भयावहता को प्रकट करती है। पहले यह क्षेत्र बीहड़ घनघोर जंगल कहलाता था। नदी नालों वाले मातिन क्षेत्र में पुल पुलिया नहीं बनी थी। सड़क मार्गों का भी अभाव था परंतु वह बीते जमाने की बात है। मातिन क्षेत्र अब विकास की उड़ान उड़ना चाहता है। पिछले कई सालों मेंनदी नालों पर पुल भी बने हैं जिससे आवागमन सुलभ हुआ है परंतु आज भी दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां कच्ची सड़के हैं और तो और पेंड्रा से जिलदा , सैला सेमरा होकर जडगा जाने वाली सड़क बताती है कि पसान मातीन क्षेत्र कितना पिछड़ा हुआ है।


इसके बावजूद प्राकृतिक संसाधनों से लबरेज पसान मातिन क्षेत्र में कल कल करती बम्हनी और तान नदी है।पेंड्रा विकासखंड के सीमावर्ती गांव से गुजरने वाली इस नदी के दूसरे ओर पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड अर्थात पसान तहसील के गांव है जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की मंशा एवं घोषणा के अनुरूप नवगठित जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही में शामिल हो जाएंगे जो मातिन क्षेत्र के लिए सुविधाजनक होगा। अभी यह पसान मातिन क्षेत्र के गांव कोरबा जिले के दूरस्थ गांव के रूप में चिन्हित है। इस इलाके का ज्यादातर व्यवसायिक लेन-देन गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले से होता है।विशाल जल राशि का संवहन करने वाली बम्हनी नदी के जल का मातिन और पेंड्रा मरवाही क्षेत्र के लिए हो सकता है। इस क्षेत्र को गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले से जोड़ने से स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, जैसी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति ठीक ढंग से हो सकेगी।
पसान राजस्व सर्किल पोड़ी उपरोड़ा तहसील के अन्तर्गत स्थित है। इस तहसील में दो राजस्व सर्किल है। क्षेत्रफल और ग्राम पंचायत की संख्या के आधार पर पोड़ी उपरोड़ा कोरबा जिले का सबसे बड़ा तहसील है। इसमे कुल 210 राजस्व ग्राम हैं। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद पसान सर्किल के 82 गांव कोरबा से अलग हो गये है। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद विधिवत तौर पर पसान कोरबा से अलग हो जाएगा परंतु अब नहीं लगता कि पसान मातिन क्षेत्र को गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले से जोड़े जाने एवं विकास की धारा में लाने का कार्य पूर्ण होगा।

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