उज्जैन। श्रावण मास में रिमझिम फुहारों के बीच सोमवार को भगवान महाकाल की तीसरी सवारी पूरी धूमधाम से निकाली जा रही है। भगवान महाकाल पालकी में चंद्रमौलेश्वर तथा हाथी पर मनमहेश रूप में सवार हाकर भक्तों का हालचाल जानने निकले। इस बार भी भक्तों को सवारी में शामिल नहीं होने दिया गया। हालांकि सवारी मार्ग पर दोनों ओर दूर से लोग पालकी को निहार रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी साधना सिंह भी आज उज्जैन पहुंची व सावन के तीसरे सोमवार पर बाबा महाकाल के दर्शन किए। मंदिर में सवारी से पहले 1 बजे से प्रवेश बंद कर दिया गया था। अब सवारी के मंदिर लौटने के तुंरत बाद दर्शन शुरू करवाए जाएंगे।
भगवान महाकाल की सवारी शासकीय सलामी के बाद शाम 4 बजे मंदिर प्रांगण से निकाली गई। श्रद्धालु महाकाल सवारी को www.mahakaleshwar.nic.in देख सकते हैं। महाकाल की सवारी मंदिर के मुख्य द्वार से बड़ा गणेश मंदिर होते हुए हरसिद्धि पाल नरसिंह घाट से क्षिप्रा नदी पहुंचेगी। यहां पूजन के बाद रामानुजकोट आश्रम, हरिद्धि द्वार होते हुए वापस मंदिर लौटेगी। महाकाल की सवारी में पुजारी, पंडे और कहार को ही शामिल करने की अनुमति मिली है।
पंडितों के अनुसार कोविड गाइड लाइन के अनुसार सवारी का स्वरूप छोटा रखा गया है। मंदिर प्रशासन ने पुजारी, पुरोहित की सहमति से उमा महेश का मुखारविंद नहीं निकालने का निर्णय लिया था। ज्ञातव्य है कि मंदिर की परंपरा अनुसार श्रावण-भादौ मास की प्रत्येक सवारी में भगवान का एक नया मुखारविंद शामिल किया जाता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते बीते दो सालों से सवारी के स्वरूप में बदलाव किया गया है।
अब श्रावण भादौ मास की प्रथम छह सवारी में भगवान महाकाल के सिर्फ दो मुखारविंद चंद्रमौलेश्वर व मनमहेश को शामिल किया जाएगा। बाकी पांच मुखारविंद 6 सितंबर को निकलने वाली शाही सवारी में एक साथ बैलगाड़ी पर निकाले जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि महाकाल मंदिर में रविवार को अवकाश का दिन होने से देशभर से भक्त भगवान महाकाल के दर्शन करने पहुंचे। सुबह 5 बजे से शुरू हुआ दर्शन का सिलसिला रात 9 बजे तक चला। इस दौरान 30 हजार से अधिक भक्तों ने भगवान महाकाल के दर्शन किए।
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