कोरबा 04 अगस्त (वेदांत समाचार) । वैश्विक महामारी के समय से परेशानी झेल रहे वनविभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के सामने अभी भी समस्याएं कायम है। आर्थिक तंगी के बीच कई त्यौहार पार कर चुके इन कर्मियों को लगता है कि रक्षाबंधन पर्व भी नीरस ही बीत जाएगा।
कर्मियों की समस्या को लगभग सात महीने हो रहे है। ये दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी वन मंडल कार्यालय कटघोरा के अलावा विभिन्न रेंज में कार्यरत है। इन्हें काम करते हुए कई वर्ष बीत चुके हैं।
इस अवधी में न तो इनका नियमितिकरण हो सका और ना ही अन्य सुविधाओं की पात्रता हो सकी। अभी भी निश्चित वेतन के साथ ये लोग काम कर रहे हैं लेकिन वेतन कब मिलेगा यह सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है। कर्मियों की परेशानी पिछले सात महीने से बढ़ी हुई है। उन्हें इस वर्ष के उत्तरार्ध से ही वेतन नहीं मिल सका। इसके पीछे ऊपर से फंड एलाट नहीं होने की जानकारी दी जा रही है। कहा जा रहा है कि आप अपना काम करते रहिए, आबंटन प्राप्त होने के साथ खातों में वेतन की राशि हस्तांतरित कर दी जाएगी। इसी आश्वासन को सुनते-सुनते लंबा समय पार हो गया है।
कर्मियों ने बताया कि कोविड कालखंड में कई तरह की समस्याएं सामने आयी। उपचार के लिए सामानों को बेचना पड़ गया। कई महंगे सामानों और संपत्ति की सौदे बाजी करनी पड़ी। घरेलु खर्च के लिए दूसरे विकल्प अपनाने पड़े। समय के साथ परिस्थितियां बदहाल हो रही है। कर्मचारियों ने बताया कि इस कालखंड में अनेक पर्व यूं ही बीत गए। अब एक पखवाड़े के बाद रक्षाबंधन सामने है। कर्मियों को संशय बना हुआ है कि इस पर्व को मनाने के लिए वन विभाग उन्हें वेतन देगा या उनके आंसू एक बार फिर निकालेगा।
अब दुकानदारों ने हाथ खड़े किये
काफी समय से कर्मचारियों का काम किसी तरह चल रहा था। उनके पास जो जमा पूंजी थी वह खर्च हो चुकी है। उन्होंने घर की जरूरतों को चलाने के लिए अपने परिचित दुकानदारों से कुछ दिनो तक उधारी में सामान लिया। भरोसा दिया गया था कि जल्द वेतन आने पर हिसाब बराबर कर दिया जाएगा। लेकिन स्थिति इस रात की सुबह नहीं वाली बनी हुई है। इसलिए अब स्थानायी दुकानदारों ने और ज्यादा उधारी देने से मना कर दिया है।
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