कोरबा/पाली 4 अगस्त (वेदांत समाचार) कोरोना संक्रमण को लेकर लंबे समय से बंद रहे स्कूलों के पट शासन के निर्देशानुसार 2 अगस्त से खुल गए है। जहां जनप्रतिनिधियों व प्रशासन द्वारा भारी तामझाम के साथ कहीं बच्चों को मिठाई खिलाकर तो कहीं स्वागत कर स्कूलों का संचालन प्रारंभ किया गया है। शिक्षा विभाग के अधिकारी भी अच्छी शिक्षा व सुरक्षा व्यवस्था को लेकर खूब वाहवाही ले रहे है। लेकिन क्या संबंधित अधिकारियों द्वारा बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण कर कक्षा संचालन की अनुमति दी गई है..?
हम बात कर रहे है पाली विकासखण्ड अंतर्गत तथा खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से महज ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित केराझरिया ग्राम की जहां प्राथमिक स्तर के पढ़ने वाले छोटे-छोटे 50 बच्चें तो है लेकिन उनके लिए एक अच्छी स्कूल भवन की व्यवस्था नहीं है जिसके चलते वे बच्चे जान जोखिम में डालकर खस्ताहाल भवन में बैठकर शिक्षा ग्रहण करेंगे। ग्राम केराझरिया में वर्षों पुराने निर्मित प्राथमिक शाला भवन की हालत इतनी जर्जर है कि बरसात का पानी छत से भीतर टपकने लगता है और फर्श पर भी सीलन आ जाती है। साथ ही प्लास्टर जगह- जगह से उधड़ने के अलावा दीवारों पर इतने बड़े-बड़े दरार आ चुके हैं कि देखकर लगता है मानो कभी भी बच्चों के साथ कोई हादसा हो सकता है। लेकिन दुर्भाग्य कि ऐसे जर्जर भवन में कक्षा पहली से पांचवी तक वर्तमान 50 मासूम बच्चे अपनी शिक्षा ग्रहण की शुरुआत किये हैं।
एक ओर सरकार द्वारा शिक्षा के प्रति हस्तमुक्त खर्च करते हुए अनेक नवीन विद्यालय भवनों व अतिरिक्त कक्ष- कक्षों का निर्माण एवं उन्नयन कराकर शिक्षा के स्तर को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा प्रति विद्यालय मरम्मत के नाम पर हजारों रुपए सालाना शिक्षा विभाग द्वारा खर्च होना बताया जाता है। जिसके बावजूद ऐसे खस्ताहाल स्कूल भवन की तस्वीर सामने आने के बाद शासन- प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा शिक्षा व्यवस्था को लेकर किये जा रहे बड़े- बड़े दावे पर ध्यान डाला जाए तो खाली ढकोसले ही नजर आते है। यदि अच्छी शिक्षा पर सरकार ध्यान दे रही है और शिक्षा विभाग द्वारा सालाना स्कूल मरम्मत कराया जाता है तो फिर ऐसे जर्जर स्कूल भवन क्यों दिखाई दे रहे है..? अगर स्कूल भवन की बात करें तो जिले में तो ऐसे भी भवन है जिन्हें प्रशासन ने खतरनाक मान वहां वर्षाकाल में कक्षाएं ना लगाये जाने के निर्देश जारी कर रखे है फिर भी वे स्कूल भवन बारिश में भी संचालित हो रहे है। वहीं कई विद्यालय तो उधार के भवन में चल रहे है। तो अनगिनत स्कूलों की मरम्मत तो क्या वर्षों से विभाग द्वारा पुताई तक नही करायी गई है। लेकिन फिर भी ऐसे स्कूलों को कागजों पर बचाये हुए है।
केराझरिया प्राथमिक शाला भवन में पढ़ने जाने वाले बच्चों के अभिभावकों का जर्जर स्कूल भवन को लेकर कहना है कि नवीन शासकीय प्राथमिक स्कूल भवन निर्माण के लिए अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को लिखित में आवेदन दिया जा चुका है परंतु वे केवल आश्वासन देते हुए नजर आते हैं तथा बाद में नजरअंदाज कर देते है। जिसके कारण आज तक उनके ग्राम में एक शासकीय प्राथमिक स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो पाया। ऐसे में अपने मासूम बच्चों की जान जोखिम में डालकर अत्यंत जर्जर स्कूल भवन में शिक्षा ग्रहण करने हेतु भेजने की मजबूरी हैं। देखना है कि सरकार व प्रशासन तक जर्जर प्राथमिक शाला केराझरिया में पढ़ने वाले 50 मासूम बच्चों की आवाज सुनाई देती है या नही..?
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