0 सुरजपूर वनमंडल में तीन अलग-अलग स्थानों में हाथियों के दल ने खुले में रखा धान खाया
रायपुर । हाथियों से मानव को होने वाली हानि को रोकने गांवों में हाथियों के दल के लिए खुले स्थान पर धान रखने का जो प्रयोग किया गया है, वह सफल होता दिख रहा है। प्रदेश के तीन अलग-अलग वनमंडलों में खुले स्थान पर धान रखा गया था। इसमें से सुरजपूर वनमंडल के तीन स्थानों पर हाथियों के दल ने 14 क्विंटल धान खाया है।
प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने हाथियों से होने वाले नुकसान को रोकने किए जा रहे प्रयास के संबंध में आज मीडिया प्रतिनिधियों को बताया कि प्रदेश के सुरजपूर, धरमजयगढ़, बालोद वनमंडल में अलग-अलग स्थानों पर खुले में धान रखा गया था। इसमें से सुरजपूर वनमंडल के बंशीपूर 1682, 1683 में हाथी ने 4 क्विंटल धान खाया है। इसी तरह टुकुडांड 43 में 4 क्विंटल तथा बगड़ा पी-9 में हाथी ने 6 क्विंटल धान खाया है।
मंत्री अकबर ने बताया कि इस समय 16 हाथियों का दल कुल 307 हाथी राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रमुख रूप से रेहन, तमोर पिंगला, बादलखोल अभ्यारण, प्रतापपुर, रघुनाथपुर, तपकरा, कुनकुरी, मनोरा, दुलदुला, छाल, धरमजयगढ़, कापू, लैलूंगा, बोरा, बाकारूमा, कुदमुरा, करतला, पसांद, कटघोरा, रायगढ़ घरघोडा, तमनार, बलोद, मैनपुर, कोठारी, में विचरण कर रहें हैं। अब तक 9 हाथियों की रेडियो कालरिंग की गई है। हाथी मानव द्वंद रोकने के लिए हाथियों के आगमन की पूर्व सूचना गांवों में वायरलेंस, मोबाईल, एवं माईक से मुनादी कर प्रसारित करना एवं ग्रामीणों को हाथियों के साथ साहचर्य बनाने के लिए समझाईस दिया जा रहा है। प्रभावित ग्रामीणों को समय-समय पर मुआवजा भुगतान किया गया है।
वन मंत्री ने जानकारी दी कि बहुद्देश्यीय गजराज वाहन के उपयोग से प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुंचाया जा रहा है आवश्यकतानुसार गांव में हाथी मित्र आदि का गठन किया गया है। आकाशवाणी कार्यक्रम हमर हाथी हमर गोठ के माध्यम से प्रतिदिन सायं 05.30 बजे हाथियों के संभावित विचरण का प्रसारण हो रहा है। हाथियों के आगमन की जानकारी विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त करने इंटरनेट का उपयोग भी किया जा रहा है। प्रभावित गांव में ध्वनि प्रकाश उत्पन्न करने के लिए एप आधारित एलिफेंट अर्लट सिस्टम सजग लगाया गया है। हाथी जब रहवास क्षेत्र की ओर जाते हैं तो वह उसी क्षेत्र को क्षतिग्रस्त करते हैं जहां चावल, धान, महुआ रखा होता है।
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि वन विभाग ने प्रयोग के तौर पर रहवास क्षेत्र को हाथियों से बचाने के लिए यह तय किया है कि ये गांव में जिस ओर हाथियों का दल आने वाला है वहां अर्लट सिस्टम के जरिए गांव वालों को हाथियों की आगमन की सूचना देना तथा यह जाने हुए की वे भोजन की तलाश में आ रहे हैं धान के बोरों को खोलकर हाथियों के सामने रखने का प्रयोग किया जा रहा है ताकि भोजन पाने के बाद मकानों को क्षतिग्रस्त न करें ये उन्हीं स्थानों में धान को रखने की व्यवस्था कर रहें हैं जहां हाथियों का विचरण कर रहे हैं। पूरे राज्य में इस प्रकार की धान की व्यवस्था नहीं की गई है। इस व्यवस्था में धान की खरीदी नहीं की गई हैं बल्कि खाद्य विभाग से समर्थन मूल्य में खरीदे गए धान का विभागीय अंतरण के माध्यम से उपयोग किया जा रहा है। रेडियो कालरिंग के लिए भारत सरकार से अनुमति प्राप्त हो चुकी है और शीघ्र ही रेडियो कालरिंग का काम प्रारंभ किया जा रहा है।
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