छत्तीसगढ़ में एक जगह ऐसी..जहां बेटियों की शादी करना मानो पहाड़ पर उल्टा चढ़ना है

बिलासपुर। निगम क्षेत्र का एक ऐसा हिस्सा जहां के लोग पिछले 15 साल से सड़क पानी बिजली के लिए तरस रहे हैं। ना जाने कितने मेयर आए और गए..लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि आज तक गोकुलधाम नहीं गया। यहां ना तो सड़क है और ना ही बिजली और ना ही पानी की सुविधा..नाली तो कहीं है नहीं..यही कारण है कि घरों का गंदा पानी सड़कों पर बहता रहता है। स्थानीय लोगों की माने उन्होने शायद पिछले जन्म में बहुत बडा पाप किया था। शायद यही कारण है कि इस बार गोकुलधाम का निवासी बनना पड़ा। स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि जब पाप कट जाएगा तब ही शायद उन्हें गंदगी और अव्यवस्था से छुटकारा मिलेगा। लोगों ने यह भी बताया कि अच्छा होता कि भगवान कृष्ण की नगरी के नाम को बदनाम करने वाले गोकुलधाम का नाम बदलकर नरकधाम कर दिया जाए।
करीब 15-20 साल पहले बिलासपुर निगम क्षेत्र से लगे उस्लापुर और अमेरी ग्राम पंचायत के बीच तात्कालीन शासन ने गोकुलधाम बसाया। साथ ही तत्कालीन समय के सिस्टम ने एलान किया कि अब सभी पशुपालकों को गोकुलधाम में बसाया जाएगा। गोकुलधाम को गुजरात राज्य के आणन्द की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। लेकिन हुआ ऐसा कुछ नहीं..। तात्कालीन समय अति उत्साह में शहर छोड़कर अपने दुधारू पशुओं के साथ गोकुलधाम पहुंचे लोग आज खून  के आंसू रोने को मजबूर हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां सुविधा के नाम पर सड़क नहीं, बिजली और साफ पानी भी नहीं है। गड्ढे और कीचड़ से भरे सड़क पर जानवर ही जानवर नजर आते हैं। हालात यह है कि लोग गोकुल धाम के लड़कों को अपनी लड़कियां भी देना पसंद नहीं करते हैं।
गोकुल धाम की एक महिला ने बताया कि 14 साल यहां रहते हो गए। हमने अब तक सड़क के नाम पर यहां कुछ नहीं देखा है। पानी टैंकर से लाना पड़ता है। बारहो महीना सड़क पर पानी भरा रहता है। बरसात में तो चलना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कोई पागल ही होगा कि अपनी लड़की की शादी गोकुलधाम के किसी लड़के से करेगा। यहां तो चारो तरफ कीचड़ ही कीचड़ है। यहां तक की हम लोगों ने भी कीचड़ से भरे सड़क को अपना भाग्य समझ लिया है। यहां तो पार्षद भी आना पसंद नहीं करता है। ऐसा लगता है कि हम लोग भी इंसान नहीं अब जानवर हो चुके हैं।
माखन ने बताया कि इस क्षेत्र का नाम गोकुलधाम से बदलकर नरकधाम कर दिया जाना ज्यादा ठीक होगा। ना जाने हमें किस जन्म का पाप भुगतना पड़ रहा है। इससे अच्छा तो अचानकमार के जंगल हैं।
गोकुलधाम का अर्थ कृष्ण की नगरी से है। दुग्ध व्यवसाय को बढ़ावा देने के साथ शहर को साफ सुधरा रखने 20 साल पहले गोपालकों के लिए प्रशासन ने गोकुलधाम बसाया। यहां से रोज सुबह पूरे शहर को गोरस की आपूर्ति होती है। सुबह जब लोग चाय की चुस्कियों के साथ तरोताजा महसूस करते हैं..तो वहीं ठीक उसी समय गोकुलधाम के लोग अपनी किस्मत को कोसते रहते हैं। मन्नत मांगते हैं कि..यमराज..किसी को गोकुलधाम में रहने की सजा मत देना।
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