कोरबा 1 अगस्त (वेदांत समाचार) लुतरा शरीफ स्थित सूफी-संत हजरत बाबा सैय्यद इंसान अली शाह दरगाह के सज्जादानशीन (हेड खादिम) हाजी मान खान 74 वर्ष का इन्तेकाल शनिवार को प्रातः 4 बजे हो गया दोपहर 2 बजे उनके पुत्र उस्मान खान के इजाजत के बाद दरगाह परिसर में ही डॉ कारी सैय्यद शब्बीर अहमद साहब ने उनके जनाजा की नमाज पढ़ाई सज्जादानशीन को अंतिम बिदाई देने जन सैलाब उमड़ गया था । पूरे प्रदेश भर के सभी धर्म के लोग लुतरा शरीफ पहुचकर उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए नमाज के बाद उनके जनाजा को दरगाह में ले जाकर सलामी दिलाई गई फिर गुलशने मदीना कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्देखाक किया गया।
बाबा इंसान अली शाह के भांजे के बेटे थे हाजी मान खान
हजरत बाबा सैय्यद इंसान अली शाह के भांजे मरहुम सदरुद्दीन के बेटे थे हाजी मांन खान, बता दे कि हजरत बाबा इंसान अली शाह की बहन मरहुमा इज्जत बी के बेटे सदरुद्दीन के बेटे थे हाजी मान खान इस रिश्ते से बाबा इंसान अली शाह के नवासा (नाती) हुए हाजी मांन खान बाबा सरकार के उत्तराधिकारी भी थे।
वर्तमान कमेटी ने जब दरगाह की चाबी छीनी तो उन्हें सदमा लगा और रहने लगे बीमार
हजरत बाबा सैय्यद इंसान अली शाह के पोते व दरगाह के सज्जादानशीन हाजी मान खान के करीबियों का कहना है कि जब तीन वर्ष पूर्व सितंबर 2019 में जिला के एक कद्दावर नेता के इशारों पर भाजपा से जुड़े हुए लोगो की छ.ग. राज्य वक़्फ़ बोर्ड ने एक जम्बो कमेटी बनाते हुए लुतरा शरीफ दरगाह के निजाम और व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी तब उस कमेटी ने दरगाह की चाबी भी प्रभार में सजजादानशींन के हाथों से छीन ली उस चाबी के छिनने का सदमा इतना लगा कि वे बीमार रहने लगे उन्होंने दो अन्य लोगो के साथ मिलकर वर्तमान कमेटी के नियुक्ति को ट्रिब्यूनल कोर्ट रायपुर में चैलेंज भी किया था लेकिन तीन वर्ष गुजरने को है उसका फैसला कोर्ट से नही आया दरगाह की चाबी छीनने का सदमा उन्हें ऐसा लगा कि कोर्ट का फैसला आने से पहले ही इस दुनिया से कह गए।
लोगो के सरो पर हाथ फेरकर दुआ देने वाले चले गए-हाजी अखलाक
दरगाह इंतेजामिया कमेटी के पूर्व अध्यक्ष हाजी अखलाक खान ने हाजी मान खान को याद करते हुए कहा कि हाजी साहब बड़े नेक व रहम दिल इंसान थे वे जब दरगाह पहुचते थे तो जायरीन उनसे दुआएं लेने पहुच जाते थे सभी लोगो के सरो पर हाथ फेरकर उनके सलामती की दुआ करते थे जो कोई भी इंसान उनसे मिलता उन्हें बाबा सैय्यद इंसान अली शाह के करामातों के बारे में बताते और उनके जीवन से जुड़े किस्से भी सुनाते थे सभी लोग हाजी मान खान से मिलकर खुश हो जाते थे हाजी अखलाक ने कहा कि अब लोगो के सिरों में हाथ फेरकर दुआएं देने वाला नही रहा।
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