कारगिल विजय दिवस हमारे जांबाज सैनिकों की वीरता, शौर्य और बलिदान की याद दिलाता है, मातृभूमि के अमर शहीदों को शत-शत नमन – डॉ. संजय गुप्ता

आईपीएस दीपका में मनाया गया कारगिल विजय दिवस ।

कारगिल के शहीद जवानों को बच्चों ने अपनी कला से दिया सम्मान ।

सदियों तक अमर रहेगा तेरा बलिदान, मेरा शत-शत नमन तुम तक पहुँचे यही है अरमान-डॉ. संजय गुप्ता‘‘

विद्यार्थियों के मन में देशभक्ति की भावना जागृत करना हमारा उद्देश्य-डॉ. संजय गुप्ता

कोरबा 27 जुलाई (वेदांत समाचार) भारतीय सेना की शौर्य गथाएँ इतनी ज्यादा है कि उनके लिए शब्द कम पड़ जाते हैं । उसने जहाँ एक ओर अपने पराक्रम का लोहा मनवाया है वहीं दूसरी ओर संकट में फँसे लोगों को भी बचाया है । भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी और भारतीय राज्यों के सेना से हुआ जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणित हुई । भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंन्ट का विविध इतिहास रहा है । इसने दुनिया भर में कई लड़ाईयाँ लड़ी और अभियानों में हिस्सा लिया है तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में सम्मान अर्जित किया है ।


प्रथम कश्मीर युध्द 1947 में हुआ इसके बाद 1965 में दूसरा कश्मीर युध्द लड़ा गया । सन् 1999 में कारगिल युध्द में विजयी हासिल कर हमारी सेना ने अपने बहादुरी के परचम गाड़े हैं । सेना ने बहुत सारी नई तकनीक के जरिए काफी बुलंदी को छुआ है । भारतीय सैनिकों के शौर्य, साहस, पराक्रम एवं बलिदान की गथाएँ इतिहास में स्वर्णच्छारों में अंकित है । शौर्य और साहस के अतिरिक्त भारतीय सेना सैन्य धर्म एवं चरित्रगत आचरण के लिए भी जानी जाती है । सेना का अनुशासन सबको अपने जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है ।
भारतीय सेना के विजयी दिवस के रूप में 26 जुलाई को प्रतिवर्ष कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन कारगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी दुश्मनों को परास्त कर सेना ने भारतीय झंडा लहराया था ।

विजय दिवस के उपलक्ष्य में दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में विजय सभा का आयोजन किया गया और कारगिल युध्द में विजयी सैनिकों को अपने कला के माध्यम से सम्मानित किया गया और जो शहीद हुए उन्हे दिल से याद किया गया । कार्यक्रम में सबसे पहले शिक्षक श्री हेमलाल श्रीवास ने बच्चों को भारतीय सेना के पराक्रम एवं कारगिल युध्द पर किस तरह से सेना ने विजय पाया के बारे में बताया उसके बाद प्राथमिक कक्षा के बच्चों द्वारा सैनिकों के सम्मान में एक मधुर गीत की प्रस्तुति दी गई इसी क्रम में प्राथमिक कक्षा के बच्चों ने एक प्रेरणादायक नृत्य की प्रस्तुति दी गई ।

इसी उमंग और जज्बे को सलाम करते हुए आई.पी.एस. दीपका में विजय दिवस के उपलक्ष्य में बच्चों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, देशभक्ति गीत, प्रेरणा गीत, भाषण, कविता, नाटक की प्रस्तुति द्वारा वीर शहीदों को श्रध्दांजलि दी गई । विजय दिवस के अवसर पर वीरों को याद करते हुए भारत के लोगों के हृदय में देशभक्ति भावना जागृत करने तथा देश के सैनिकों के प्रति सम्मान करने की प्रेरणा से संबंधित विविध विचार प्रस्तुत किए गए जिसमें देश के वीर सैनिकों के पराक्रम शौर्य, साहस, बलिदानों के बारे में बच्चों को बताया गया तथा देश की रक्षा हेतु स्वयं को एक मातृभूमि का सैनिक मानकर अपने कर्त्तव्यों का सही निर्वहन करने का गुण सीखया गया ।
16 दिसम्बर ‘विजय दिवस‘ के इस अवसर पर विद्यालय में सभी बच्चों व शिक्षकों द्वारा देश के इन शहीदों को याद कर सम्मान दिया गया ।

इस पावन दिवस पर विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम उन वीर शहीदों को सही अर्थों में श्रध्दांजलि व सम्मान अपने कर्त्तव्यों को पूरी निष्ठा के साथ पूर्ण कर दे सकते हैं । भारत एक महान देश है । यहाँ का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है । यह देश उन वीरों की कर्मभूमि भी रही है, जिन्होने अपने प्राणों की परवाह किये बिना इस देश के लिए कार्य किये हैं । आजादी के बाद भी हमारे वीर सैनिकों ने सीमाओं पर हमारी हिफाजत के लिए अपने प्राणों को दांव पर लगाया है । आओ हम सब उनकी कुर्बानी को याद करते हुए इस विजय दिवस को सफल बनायें । भारतीय सेना के बारे में बताया कि भारतीय सेना की तैयारी ऐसी है कि दुश्मनों को संभलने का मौका भी नहीं देंगें । भारतीय सेना के जवान हजारों फुट की ऊँचाई पर अपनी हड्डियाँ गलाते हैं और दुश्मनों की हर हरकत पर पैनी निगाह रखते हैं । तब जाकर हम अपने शहरों गाँवों और घरों में सुरक्षित रह पाते हैं । इन शहादत को भारतीय नागरिक को याद रखने की जरूरत है, देश को आगे बढ़ाने में सैनिकों का बहुत बड़ा सहयोग होता है ।

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