IPS दीपका में शिक्षकों द्वारा पाई अनुमोदन दिवस पर विद्यार्थियों को पाई के महत्व से कराया अवगत

⭕ पाई सबसे महत्वपूर्ण गणितीय एवं भौतिक नियतांको में से एक है-डॉ. संजय गुप्ता (प्राचार्य)।

⭕ पाई की खोज गणितज्ञ इतिहास में एक महत्वपूर्ण खोज है-डॉ. संजय गुप्ता (प्राचार्य)।

⭕ पाई की वजह से ही हम जान पाएं हैं कि पृथ्वी गोल है अतः पाई का खोज सर्वश्रेष्ठ खोजों में से एक है-एस.शंकर राव(गणित शिक्षक) ।

होड़ मची संख्याओं के बीच, है कौन सबसे महान।
किसकी पूजा हो पहले, किसकी हो पहले पहचान।।

सब अपनी करते थे बड़ाईए फिर उनमें हो गई लड़ाई।
सन 1706 में विलियम जोंस ने संकेत π की पहचान कराई।।
किसी की बुद्धि काम न आईए फिर सबने मिलकर सभा बुलाई ।
अंत में जाकर महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट ने π की याद दिलाई।।


कोरबा 21 जुलाई (वेदांत समाचार)। गणित विषय में रूचि रखने वालों के लिए आज 22 जुलाई एक महत्वपूर्ण दिवस है जिसे हम π. एप्रोक्सिमेसन डे के नाम से जानते हैं। ज्ञातव्य हो कि π पाई ग्रीक वर्णमाला का 16 वाँ अक्षर ; (अंग्रेजी वर्णमाला का 16 वाँ अक्षर P-Pi है) जिसका मान 3.14 गणना को दर्शाते हुए 14 मार्च को पाई डे के तौर पर मनाया जाता है जबकि इसके अन्य अनुमोदित मान ; 22/7 – 22 जुलाई को π-एप्रोक्सिमेसन डे के रूप में मनाया जाता है। पाई का इतिहास हजारों साल पुराना है। जब मानव ने पहिए का अविष्कार किया तो पहिया गोल नहीं होता था। इस वजह से जब लोग इधर-उधर सामान को ले जाया करते तो उनके सामान को गिरने एवं फैलने का डर रहता और काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इसी तरह समय गुजरता रहा।


एक कहावत है-आवश्यकता आविष्कार की जननी है। मतलब स्पष्ट हैं कि जब हमें कोई समस्या महसूस होती है तब उस समस्या से निजात पाने हेतु हमारे दिमाग में एक नया विचार जन्म लेता है और हो जाता है एक नया आविष्कार।
इसी तरह जब पहिए का इतिहास आगे बढ़ता रहा और पहिया गोल होता गया तब लोगों ने जाना कि कोई भी पहिया पूरी तरह गोल तब होता है जब उसके परिधि एवं व्यास का अनुपात एक निश्चित अंक हो। तात्पर्य गोला छोटा या बड़ा हो उससे नहीं है। इस निश्चित अंक का नाम π दिया गया लेकिन लोग निश्चित अंक π का मान नहीं जानते थे। समय गुजरता गया। अंततोगत्व लोगों को ज्ञान प्राप्त हुआ कि किसी भी गोल आकृति की परिधि 22 इकाई हो तो उसको परफेक्ट सर्कल बनाने हेतु उसका व्यास 7 इकाई होना चाहिए। इस परिधि और व्यास के अनुपात को ही निश्चित संख्या π; पाई कहा गया। अथार्त π एक गणितीय नियतांक है जिसका संख्यात्मक मान किसी वृत्त की परिधि और व्यास के अनुपात के बराबर होता है। गणित में π ;पाई के इतिहास में अनेक महान गणितज्ञों का योगदान रहा है परंतु विश्व को शून्य से अवगत कराने वाले महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट ने π ;पाई के सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए इसके मान दशमलव के चार स्थानों तक सटीक ज्ञात किया। आर्यभट्ट ने इसके सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए संस्कृत में लिखा है-
चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्त्राणाम्।
अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्य आसन्नौ वृत्तपरिणाहः॥
अथार्त. ;(100़+4)×8़+62000=62832
इस नियम से 20000 परिधि के एक वृत्त का व्यास ज्ञात किया जा सकता है अथार्त एक वृत्त का व्यास 20000 हो तो उसकी परिधि 62832 होगी।
π; पाई=62832/20000=3.1416=22/7 लगभग ।
आर्यभट्ट साहब ने π;पाई के संन्निटकरण (एप्रोक्सिमेसन) पर कार्य करते हुए बताया कि π एक अपरिमेय संख्या है जिसका मान इस तरह है। π= 22/7, 3.141592653589…

यह प्रक्रिया अनवरत रहती है तथा इसके अंक किसी भी नियमित पैटर्न को फॉलो नहीं करते है। π; पाई का उपयोग ज्यामिति के अलावे गणित की लगभग हर शखाओं एवं विज्ञान और अभियांत्रिकी में भी होता है। π;पाई की मदद से आज हम जान पाए कि ब्रहमांड का आकार अंडाकार है। मिस्र में π;पाई का उपयोग पिरामिड बनाने और उसका आकार ज्ञात करने हेतु किया जाता है। खगोल शास्त्री दो तारों के बीच की दूरी को मापने के लिए π;पाई का ही उपयोग करते है।

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में वर्चुअल पाई अनुमोदन दिवस मनाया गया जिसमें विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता के दिशा निर्देशन के अनुसार कार्यक्रम का संचालन एकेडेमिक इंचार्ज सह गणित शिक्षक श्री एस. शंकर राव के द्वारा किया गया जिसमें दैनिक जीवन में होने वाले पाई के महत्व को बताया साथ ही पाई से संबंधित बहुत ही रोचक और महत्वपूर्ण जानकारियाँ विद्यार्थियों को साझा किया गया । पाई से संबंधित ऑनलाइन क्वीज का आयोजन कर बच्चों को गणित के प्रति रूचि जागृत की । और कहा कि गणित में पाई का उपयोग दो तारों के बीच की दूरी को मापने में, नदियों के लंबाई मापने में, वृत्त का व्यास आदि मापने में किया जाता है ।


आर्यभट् ने पृथ्वी की परिधि की गणना की और 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व की गणना में π=22/7 का उपयोग किया । 2589-2566 ई. पूर्व बने गीजा की महान पिरामिड का परिमाप 1760 क्यूबिक और ऊंचाई 280 क्यूबिक थीय जिसका अनुपात 1760/280 ≈ 6.2857 पाई के मान का लगभग दोगुना है, इस अनुपात के आधार पर कुछ मिस्रविद्य मानते हैं कि पिरामिड बनाने वाले π का ज्ञान रखते थे । वृत के गुणधर्मों को निगमित करने वाले पिरामिड जान-बूझकर बनाए गए।


अन्त में विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने ऑनलाइन क्वीज में प्रथम आने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया और सभी प्रतिभागियों को ई-सर्टीफीकेट प्रदान किया गया और उन्होंने कहा कि पाई की वजह से हम ये जान पाए की हमारी धरती गोल है । आमतौर पर गणना में उपयोग किया जाने वाला पाई का अनुमानित मूल्य 3.141 यानी कि 22/7 है । पाई का उपयोग ज्यामिति, त्रिकोणमिति, भौतिकी, खगोल विज्ञान और विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में किया जाता है । इसका उपयोग विभिन्न सूत्रों में किया जाता है । पाई का सटीक मान आजतक कोई नहीं निकाल पाया है । जापान के एक इंजीनियर ने पाई का पूर्ण मान निकालने की लगातार 90 दिनों तक कड़ी मेहनत की लेकिन पाई का गणना खत्म नहीं हुई । इस दौरान उसने दशमलव के बाद पांच हजार अरब अंको तक पाई का मान निकाला । पाई : 22/7 =3.141…. यह दशमलव के बाद अनन्त तक खींचा जा सकता है और यह किसी भी नियमित पैटर्न को फॉलो नहीं करती है । ऐसे कई सारी महत्वपूर्ण और रोचक जानकारी प्रदान की गई ।

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