⭕ बकरीद के उपलक्ष्य में इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में ऑनलाईन आयोजित हुए विभिन्न कार्यक्रम। बच्चों ने बनाए एक-से-बढ़कर एक चित्र।
⭕ प्री-प्रायमरी के विद्यार्थियों ने दिखाई अपनी प्रतिभा,बनाया चावल से चाँद एवं लालटेन।
⭕ बकरीद के पावन महत्व पर ऑनलाईन चर्चा कर शिक्षिकाओं ने सह-अभिभावक बढ़ाया बच्चों का ज्ञान।
⭕ इंडस परिवार ने सभी भारतवासियों को दी बकरीद की बधाई।
⭕ बकरीद हमें कुर्बानी और समर्पण की याद दिलाता है-डॉ0 संजय गुप्ता।
कोरबा 20 जुलाई (वेदांत समाचार) बकरीद मुसलमानों का बड़ा ही पवित्र पर्व है।यह पर्व एक महान त्यागवीर के अनुपम बलिदान की याद दिलाता है।इस त्यागवीर भक्त का नाम था-इब्राहिम। महात्मा इब्राहिम के दो लड़के थे। वे अपने छोटे लड़के इस्माइल को अधिक प्यार करते थे।इसे केखकर शैतान ने सोचा कि यह अच्छा मौका है परमात्मा से इब्राहिम की शिकायत कर उन्हें दंड दिलाना चाहिए। शैतान ने कहा यह देखिए अपने भक्त की लीला। आप समझते हैं वह सबसे अधिक आपसे प्रेम करता है, परंतु आपसे अधिक प्रेम तो वह अपने पुत्र से करता है। उसी दिन अल्लाह ताला ने इब्राहिम को सपने में कहा-तुम कुर्बानी दो। भक्त इब्राहिम ने पशु की कुर्बानी दी। परंतु फिर रात को प्रभु ने सपने में वही कहा। इब्राहिम ने बड़ी विनम्रता से स्वप्न में भगवान से कहा-मेरे मालिक तू मुझसे किसकी कुर्बानी चाहता है? ईश्वर ने कहा तेरे प्यारे बेटे की। मालिक की मर्जी सुनकर इब्राहिम को तनिक भी कष्ट ना हुआ।उन्होंने अपने जीवन की डोर प्रभु की इच्छा पर छोड़ दी। आदेश की पूर्ति के लिए दूसरे दिन अपने बेटे इस्माइल को बलिदान गृह की ओर ले चले। रास्ते में शैतान ने इस्माइल और उसकी माँ को बहुत बहकाया । इस्माइल ने अपने पिता से कहा-आप मेरे हाथ पाँव बाँध दें। आप कपड़ से मेरा बदन ढंक दें।ऐसा ना हो कि बेटे की ममता मुझे मेरे मार्ग से विचलित कर दे। इब्राहिम ने अपने हृदय पर पत्थर रखकर,आँसू की बाझ़ भीतर ही रोके,अपने पुत्र की गरदन पर छुरी चलाने को तैयार थे।भगवान महात्मा इब्राहिम की अपार भक्ति से द्रवित हुए। उन्होंने अपने भक्त से कहा-तुम परीक्षा में सफल हुए। इसी घटना की याद में जिल्हिज्जा महीने की दसवीं तारीख से यह पर्व मनाया जाता है। तीन दिनों तक यह रस्म चलती है।10वीं तारीख को हज करने वाले मक्का (हजरत मुहम्मद की जन्मभूमि)जाते हैं।
दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में बकरीद पर्व के पावन अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्री-प्रायमरी के नन्हे-मुन्हे बच्चों ने कई आकर्षक पोस्टर बनाए। र्किसी ने सुंदर चाँद बनाए तो किसी ने संदर लालटेन बनाकर अपनी कला का नायाब नमूना पेश किया। गौरतलब है कि एलकेजी एवं यूकेजी के विद्यार्थियों ने चावल की सहायता से विभिन्न रंगों की पुष्ठभूमि में आकर्षक चाँद एवं तारों को डिजाइन किया था साथ ही लालटेन बनाने के लिए भी विभिन्न रंगों का उपयोग किया । साथ ही नर्सरी के बच्चों ने आकर्षक मस्जिद का चित्र बनाकर रंग भरा।आयोजित सभी गतिविधियाँँ ऑनलाईन आयोजित की गईं। साथ ही कार्यक्रम में बकरीद के महत्व मनाने के रहस्य पर श्रीमती निहारिका श्रीवास्तव ने प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पर्व त्याग और बलिदान के साथ ही साथ समर्पण व निःस्वार्थ भक्ति का भी संदेश देता हे। हमें बिना किया स्वार्थ के लोकहित के लिए स्वयं को प्रभु के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए। उपस्थित अभिभावकों ने भी अपनी-अपनी राय व्यक्त की एवं एक-दूसरे को बकरीद की बधाइयाँ दीं। यह कार्यक्रम श्रीमती निहारिका श्रीवास्तव के नेतृत्व में संपन्न हुआ। संचालित कार्यक्रम की सभी अभिवकों ने प्रशंसा की। बच्चों ने भी कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया।
विद्यालय के सम्माननीय प्राचार्य डॉ0संजय गुप्ता ने सभी क्षेत्रवासियों को बकरीद की बधाइयाँ दीं।उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्र एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र हैं। यहाँ विभिन्न धर्म व संप्रदाय के लोग निवास करते हैं।हमारे संविधान में सभी धर्मों को सम्मान दिया जाता है।बकरीद हमें कुर्बानी और समर्पण की याद दिलाता है।यह त्योहार हमें सब के प्रति प्रेम,सहानुभूति व निःस्वार्थ सेवा हेतु प्रेरित करता है।इसे हम ईद-उल-जुहा के भी नाम से जानते हैं।अरब देशों में इसे ईद अल -झाई के नाम से जाना जाता है और उपमहाद्वीप में बकरीद के नाम से जाना जाता है।इस्लाम में लोगों की सेवा हेतु जीवन को त्यागना महत्वपूर्ण माना गया है। यह त्योहार हमें सभी गिले-शिकवे भुलाकर एक हो जाने का संदेश देता है।