मुंबई : पाकिस्तान की क्रिकेट टीम चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर हो गई है. वहीं, दूसरी ओर देश को आर्थिक मोर्चे पर भी झटका लगा है. चालू वित्त वर्ष में देश के टैक्स घाटे में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी खेली जा रही है. मेजबान पाकिस्तान न्यूजीलैंड और भारत से करारी हार के बाद टूर्नामेंट से बाहर हो गया है. जहां एक ओर देश को क्रिकेट से निराशा हाथ लगी है. वहीं, आर्थिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान के लिए बुरी खबर आई है. खबर देश के टैक्स घाटे से जुड़ी है. पाकिस्तान को पिछले आठ महीनों में 606 बिलियन रुपये का घाटा लगा है.
पाकिस्तान अपनी इकोनॉमी के चलते पिछले परेशान ही रहता है. देश में महंगाई बढ़ती जा रही है. इसी बीच कर घाटा से जुड़ी एक खबर पाकिस्तान के लिए आई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान का कर घाटा इस वित्तीय वर्ष के पहले आठ महीनों में बढ़कर ₹606 बिलियन हो गया है. यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ की गई प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करने के लिए अधिकारियों पर दबाव बढ़ा रहा है.
IMF की सख्ती
वहीं, देश की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के लिए IMF ने 7 बिलियन अमरीकी डॉलर का कर्ज तो दिया, लेकिन कर्ज वसूलने की कई शर्तें लगाई हैं. पाकिस्तान के संघीय राजस्व बोर्ड (FBR) को जुलाई-फरवरी के ₹7.95 ट्रिलियन के लक्ष्य के मुकाबले ₹606 बिलियन की भारी कमी का सामना करना पड़ा है. हालांकि, FBR ने पिछले साल की तुलना में ₹1.65 ट्रिलियन अधिक एकत्र किए हैं, जो पहली तिमाही में 1 प्रतिशत से कम की दर से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.
विश्व बैंक के संकेत
विश्व बैंक ने घोषणा की है कि पाकिस्तान में आर्थिक स्थिरता बढ़ रही है. वित्त मंत्रालय की मासिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी में पाकिस्तान की उपभोक्ता मुद्रास्फीति स्थिर रहने और पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट जारी रहने की उम्मीद है. मुद्रास्फीति में कमी आई है, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) जनवरी में 2.4 प्रतिशत दर्ज किया गया. इसका मतलब साफ है कि अभी पाकिस्तान की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है. लेकिन अभी भी देश की स्थिति पूरी तरीके से ठीक नहीं है. इकोनॉमी को पटरी पर आने में समय लगेगा.