कोविड द्वारा लगाया गया लॉकडाउन पूरे देश में आम लोगों के लिए अभूतपूर्व आर्थिक संकट पैदा कर रहा है। लाखों लोगों की नौकरी चली गई है और कई लोगों को वेतन कटौती का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया के कई हिस्सों में आम लोगों को उनकी सरकारें मुआवजा दे रही हैं। लेकिन भारत में केंद्र और राज्य सरकारों ने आम आदमी को कोई खास राहत नहीं दी है. बिजली के बढ़े हुए बिल, किराया, कर्ज और ट्यूशन फीस के कारण आज जनता काफी परेशान है।
अधिकांश निजी स्कूल सार्वजनिक जमीनों पर बने हैं। इनमें से कई स्कूल स्थानीय राजनेताओं के भी हैं। ऑफ़लाइन से ऑनलाइन शिक्षण पद्धति में परिवर्तन के चलते स्कूलों के खर्चों में भारी कमी आई है. राज्य सरकार ने स्कूल प्रबंधन को मौजूदा फीस की समीक्षा करने और फीस कम करने के प्रयास के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं. लेकिन ऐसे मुश्किल समय में ये स्कूल अभिभावकों को कोई रियायत दिए अवैध फीस वसूल रहे हैं। निजी स्कूलों ने अभिभावकों को प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
मीरा भायंदर के किसी भी स्कूल ने फीस कम नहीं की है। इसके बजाय, वे ‘बिल्डिंग डेवलपमेंट फंड’ या ‘अन्य शुल्क’ धोखाधड़ी करके अधिक पैसे की मांग कर रहे हैं. यहां कई स्कूल चोरी को छुपाने के लिए चेक या डिमांड ड्राफ्ट के बजाए नकदी की मांग कर रहे हैं। बाजार में उपलब्ध किताबों की जगह अभिभावकों को स्कूल से ही किताबें, वर्कशीट और स्टेशनरी महंगी दर पर खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन पर सवाल उठाने वाले अभिभावकों पर तरह-तरह का दबाव डाला जाता है। विरोध करने वाले माता-पिता के बच्चों को ऑनलाइन व्हाट्सएप ग्रुप से हटा दिया जाता है, हर दिन बार-बार फोन कॉल और टेक्स्ट मैसेज से परेशान किया जाता है। एडमिशन नकारने, परीक्षा नहीं लेने, बच्चों को डराने-धमकाने जैसे दबावतंत्र का सामना पालक रोज ही कर रहे हैं स्कूल प्रबंधन एक तरफ वे माता-पिता को लूटते हैं और दूसरी ओर शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का वेतन काटकर उनका शोषण करते हैं और बिना किसी सूचना के उन्हें मनमाने ढंग से बर्खास्त कर देते हैं।
ये निजी स्कूल भी आरटीई के तहत राज्य सरकार द्वारा दिए गए प्रवेश को स्वीकार नहीं करते हैं। बार-बार शिकायत के बावजूद शिक्षा विभाग ने किसी भी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। इन सब पर रोक लगाने की मांग लेकर विभिन्न स्कूलों के करीब 200 अभिभावकों ने हक है संगठन के नेतृत्व में स्थानीय विधायक गीता जैन के आवास तक मार्च किया और दोषी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की. उन्होंने मीरा-भायंदर नगर आयुक्त दिलीप ढाले को भी ज्ञापन सौंपा है. इन आन्दोलनों के माध्यम से विद्यालयों के खातों का लेखा-जोखा करने तथा अभिभावकों की स्वतंत्र शिकायतों पर निगरानी रखने तथा एक माह के अन्दर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु एक लेखा समिति का गठन की मांग की गई है. अभिभावकों से नकद राशि की मांग करने पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने, पिछले शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में एकत्रित अतिरिक्त एवं अधिक शुल्क की वापसी का आदेश,और वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के लिए स्कूलों को केवल ट्यूशन फीस और टर्म फीस जमा करने का आदेश दिया जाने की भी मांग आन्दोलनकर्ता संगठन और पालकों ने की है.
इस आंदोलन का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और आम आदमी पार्टी ने सक्रिय समर्थन किया और उसमे सहभागी हुए. मांगें पूरी नहीं होने पर अभिभावकों व संगठनों ने आंदोलन तेज करने की चेतावनी भी दी है.
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