पंचायतों में नहीं मिल रही सूचना के अधिकार के तहत जानकारी, आवेदन देकर भटक रहे लोग…भ्रष्टाचार का नहीं हो रहा पर्दापाश

युसुफ खांन

रायगढ़ 10 जुलाई (वेदांत समाचार) जिले के ग्राम पंचायत व जनपद कार्यालयों में सूचना के अधिकार अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। इसके चलते जानकारी लेने वाले पक्षकारों को भटकना पड़ रहा है और भ्रष्टाचार को बल मिल रहा है।


सरकारी कार्यों में पारदर्शी बनाने के लिए केन्द्र सरकार सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू किया गया है। जिसे संविधान के अनुच्छेद 19.1 के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है। जिसके तहत प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है और उसे यह जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य कर रही है इसकी क्या भूमिका है। सूचना के अधिकार के तहत प्रत्येक नागरिक को सरकार से और अन्य विभागों से प्रश्न पूछने का अधिकार देता है इसमें टिप्पणियां सारांश अथवा दस्तावेजों एवं अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियां व सामग्री के प्रमाणित नमूनों की मांग की जा सकती है लेकिन रायगढ़ जिला के ग्राम पंचायत झारगुड़ा, भगोरा,पतरापाली पूर्व , भेलवांटिकरा, बनोरा, व जनपद कार्यालय रायगढ़ द्वारा इस महत्वाकांक्षी योजना की अनदेखी कर नागरिक अधिकारों की खुलेआम धज्जिायां उड़ाई जा रही हैं और लोगों के अधिकारों से खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसे में पक्षकारों को जानकारी के लिए भटकना पड़ रहा है। रायगढ़ जिला अंतर्गत  रायगढ़ निवासी शहजादा खान द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पंचायत द्वारा वर्ष जनवरी 2014 से वर्ष जून 2017 तक ग्राम  पंचायत से  01 जनवरी 2014 से 30 जून 2017 के मध्य 13 वें 14 वें वित्त़ की राशि किस कार्य हेतु कितनी राशि कब – कब आहारण की गई है व इन राशियों को किया गया व्यय की पक्की विल व्हाउचर की कॉपी उपलब्ध करावे व ग्राम पंचायत से  01 जनवरी 2014 से 30 जून 2017 के विकास कार्य हेतु जनपद पंचायत से प्राप्त राशियों को सरपंच/सचिव द्वारा आहारण की गई राशियों की आय व्यय रोकड़ बही कैस बुक पंजी की जानकारी उपलब्ध करावे संबंधी जानकारी मांगी गई। साथ ही  सूची व भुगतान की स्थिति के संबंध में जानकारी मांगी गई, मगर पंचायत द्वारा अधिनियम की धज्जियां उड़ाई गई और लगभग 12 माह बीत जाने के बाद भी प्रार्थी को उक्त संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। ऐसे में प्रार्थी ने प्रथम अपीलीय अधिकारी रायगढ़ जनपद पंचायत कार्यालय में 14 अगस्त 2020 को 50 रूपये स्टाम्प शुल्क के साथ आवेदन प्रस्तुत किया, मगर दो माह बीत जाने के बाद भी प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा आदेश जारी करने के बाद भी उक्त संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई। इससे क्षुब्ध होकर प्रार्थी ने जानकारी के लिए राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील  आवेदन प्रस्तुत किया है।


इस संबंध में जानकारी नहीं है। इस संबंध में जानकारी नहीं  मिलने पर। इस संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता। राज्य सूचना आयोग में शिकायत आवेदन भी प्रस्तुत किया गया है, वहां से मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।

सूचना के अधिकार पर लालफीताशाही हावी

अधिनियम को 12 अक्टूबर 2021 को 16 साल पूरे हो रही है
छत्तीसगढ़। सूचना का अधिकार अधिनियम को लागू हुए 16 साल बीत गए, लेकिन आमजन के लिए यह अधिकार आज भी दूर की कोढ़ी ही बना हुआ है। हालात यह है कि 16 साल बाद भी आमजन को अधिकांश सरकारी कार्यालयों से वांछित सूचनाएं नहीं मिल पा रही है। कई कार्यालयों में तो इस अधिनियम के तहत आमजन से आवेदन ही नहीं लिए जाते। यदि जैसे तैसे आवेदन ले भी लेते हैं, तो उन्हें सूचना देने के बजाय बाहर से ही टरका दिया जाता है। या फिर आधी अधूरी सूचनाएं दी जाती है।

सूचना अधिकारी का काम देखने वाले अधिकारी -कर्मचारी आरटीआई आवेदकों से मिलने तक से कतराते हैं। कई कार्यालयों में तो आवेदन देने के लिए भी कई चक् कर काअने पड़ते हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य जिलों में क्या हाल होगा।

16 साल बीते, कहां मिला अधिकार
देश में 12 अक्टूबर, 2005 को सूचना अधिकार अधिनियम लागू हुआ था। शुक्रवार 2021 को अधिनियम को पूरे 16 साल हो जाएंगे। इस अधिनियम का उददेश्य था कि सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आए और प्रत्येक आम नागरिक को उसके क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों की पूरी जानकारी मिल सके।
अधिनियम को 16 साल बीतने के आ रही है अधिनियम की पूरी तरह से पालना नहीं हो रही। कहीं जानकारी के अभाव में तो, कहीं अफसरशाही के चलते आमजन को पूरी तरह से वांछित जानकारी नहीं मिल पा रही।


अधिनियम के तहत सभी सरकारी कार्यालयों में सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना बोर्ड पर जानकारी लिखवाना आवश्यक है, लेकिन अधिकांश कार्यालयों में अधिनियम की जानकारी तक नहीं है। ऐसे में जानकारी चाहने वालों को पता ही नहीं चल पाता कि कार्यालय में कौन सूचना अधिकारी है और आवेदन कैसे करना है।

अपीलों में बीत जाते हैं कई साल
आवेदन तिथि से 30 दिन बाद वांछित सूचना नहीं मिलने पर आवेदक को प्रथम अपील करनी पड़ती है। उसमें भी जानकारी नहीं मिलने पर द्वितीय अपील करनी पड़ती है। लेकिन अपील करने के बाद आवेदक को सूचना मिलने में कई साल बीत जाते हैं। वहीं, कार्यालयों के भी कई चक् कर लगाने पड़ते हैं।

प्रशासन की जनता के प्रति जवाबदेही बनाने के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया था। लेकिन सरकारी स्तर पर खामियां होने के कारण आज भी आमजन अधिनियम से दूर है। सरकार को इसे और प्रभावी बनाने की दिशा में सुधार करना चाहिए। ताकी विकास के कामकाज में पारदर्शिता आ सके।
सरकार को इस अधिनियम को अधिक मजबूत बनाने की आवश्यकता है। समय पर सूचना मिले इसकी कठोरता से पालना करानी चाहिए। साथ ही लोक सूचना अधिकारियों को प्रशिक्षण देना चाहिए और सरकारी कार्यालयों पर अधिनियम की जानकारी भी लिखी होनी चाहिए। जिससे आमजन गुमराह नहीं हो और समय पर वांछित सूचना प्राप्त कर सके।

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