NTPC के राखड़ डैम के पानी के ओवरफ्लो होने से आसपास के गांवों में बरसात के दिनों में बाढ़ जैसे हालात, प्रशासन मौन

बिलासपुर 10 जुलाई (वेदांत समाचार) एनटीपीसी के राखड़ डैम के पानी के ओवरफ्लो होने से आसपास के गांवों में बरसात के दिनों में बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं, रात हो या दिन तेज बारिश के बाद यहां लोगों के घरों में डैम का विषैला पानी घुस जाता है वही बारिश के दिनों में गांव सुखरीपाली, रलिया, कौड़िया, में ग्रामीणों के घर में पानी घुसता हैं, फसल अलग बर्बाद होता हैं, जिससे ग्रामीण और किसानों का जीवन अस्त-वयस्त हो जाता है।

क्षेत्रवासियों ने इस मामले को लेकर एनटीपीसी प्रबंधन को कई बार शिकायते भी की मगर प्रबंधन द्वारा क्षेत्रवासियों की समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है, लेकिन सीपत स्थित एनटीपीसी के राखड़ डैम और वहां के निकलने वाले विषैले पानी ने इनका जीवन को बर्बाद कर रखा है, डैम के पानी के सीपेज होने से आसपास के गांवों में बरसात के दिनों में बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं।

सूखे के मौसम में राखड़ डैम से उड़ने वाले धुल से भी होता है भारी परेशानिया..??

राखड डेम से उड़ने वाले धुल से क्षेत्र का वातावरण प्रदूषित लेकिन एनटीपीसी सीपत द्वारा बिजली उत्पादन के दौरान निकले राखड़ को आसपास के गांव के निकट बनाए गए राखड़ डेम में डाला जाता है जो तेज हवाओं के चलने पर उड़ उड़ कर लोगो के घरों तक पहुँचता रहता है जिससे खाना, पानी और वातावरण प्रदूषित हो रहा है सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि पीने के पानी में भी राखड़ घुल कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। किसानों की फसलें बर्बाद हो रही है तो वहीं कृषि भूमि बंजर होती जा रही है। ग्रामीणों की मानें तो उनका जीना मुश्किल हो गया है।

पिछले कई साल से लगातार शिकायत कर रहे हैं लेकिन जिम्मेदार प्रशासन कुभकर्णीय नींद से जागता ही नहीं, एनटीपीसी के जिम्मेदार अधिकारी ग्रामीणों की सुनते नहीं, तहसीलदार, SDM, कलेक्टर, और पर्यावरण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ग्रामीणों की शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं करते। एनटीपीसी सीपत के द्वारा ग्राम रलिया, सुखरीपाली, भिलाई, हरदाडीह में राखड़ डेम बनाया गया है गर्मी का मौसम आते ही तेज हवाओं के चलने से राखड़ डेम से बड़ी मात्रा में राखड़ उड़ कर आस पास स्थापित गांव के घरों तक पहुंच जाता और गांवो के लोगो के भोजन, पानी और जीवन को प्रभावित कर देता है। ग्रामीणों की माने तो उनके घरों में डेम से उड़कर आए राखड़ की मोटी परत चढ़ जाती है वही खाने के समान, पीने के पानी और कपड़ो में डस्ट जमा हो जाता है जो आस पास के 10 K.M. तक के एरिया को प्रभावित करता है हवा में राखड़ इतनी ज्यादा मात्रा में रहता है कि दूर दूर तक कुछ ठीक से दिखलाई नहीं देता रोड में चलने वाली गाड़िया तक नही दिखती और एक्सीडेंट होने का खतरा बना रहता है, एनटीपीसी के राखड़ डेम ग्रामीणों लिए अभिश्राप साबित हो रहा है। एनटीपीसी की लापरवाही से प्रतिदिन हजारों ग्रामीणों के स्वास्थ से खिड़वाड हो रहा है साथ ही पर्यावरण को भारी नुकसान पहुचाया जा रहा है लेकिन अब तक पर्यावण विभाग की उदासीनता से इन पर कोई कार्यवाही नही हो पाया है और न ही राखड़ डेम प्रबंधन के द्वारा कोई उचित व्यवस्था किया गया है।

अब देखना होगा कि कब तक ग्रामीणों को राखड़ की आंधी और तूफान से निजात दिलाने जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम उठाया जाता है या फिर कहे कि जो चल रहा है वही चलता रहेगा और NTPC व प्रशासन कुम्भकर्णीय नींद में सोते रहेंगे व ग्रामीणों को उनके हाल में छोड़ देंगे।

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