कोरबा 06 जुलाई (वेदांत समाचार) । धान उपार्जन का काम करने वाले सहकारी समितियों से संबंधित कर्मियों की समस्याएं थमने का नाम नहीं ले रही है। लगातार दबाव बनाने के बाद अब जाकर दो वर्ष पहले की गई धान खरीदी की कमीशन राशि अब जारी की गई है। समितियों को इसका भुगतान होना बाकी है जबकि सत्र 2020-21 की अवधि का मिलान अब तक नहीं हो सका है। ऐसे में प्रोत्साहन और कमीशन की राशि कब तक मिल सकेगी, कुछ नहीं कहा जा सकता।
इस वर्ष से कोरबा जिले में 49 समितियों और इन पर आधारित उपार्जन केंद्रों के माध्यम से पंजीकृत किसानों का धान क्रय किया गया। पिछले वर्ष की तुलना में धान की बिक्री करने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई। रकबा सत्यापन और कटौती करने पर किसानों ने अबकी बार कुल उत्पादन के विरूद्ध कुछ मात्रा ही विक्रय करने में सफलता हासिल की। खबर के अनुसार उपार्जन से संबंधित प्रक्रियाओं को संपादित करने वाले समितियों के प्रबंधक, कर्मचारियों और वहां के मजदूरों का वेतन प्रोत्साहन व कमीशन राशि से तय होता है। दिक्कतें यह है कि इसके लिए युक्तिसंगत व्यवस्था नहीं बनाई जा सकी है। यही कारण है कि वर्ष 2019-20 में जो खरीदी की गई थी उसके विरूद्ध प्रोत्साहन राशि अब जाकर संस्था ने बैंकों को जारी किया है। इस बारे में पुष्टि हुई है। अगले क्रम में बैंक के द्वारा समितियों के खाते में राशि हस्तांतरित की जाएगी और उसके जरिए वहां की व्यवस्थाएं तय होंगी।
इसके उल्टे वर्ष 2020-21 के अंतर्गत कोरबा जिले के पांच विकासखंडों में संचालित सहकारी समितियों में उपार्जित मात्रा का मिलान अंतिम रूप से अभी भी नहीं हो सका है। कुछ समय तक बताया जाता रहा कि साफ्टवेयर में तकनीकी समस्या आने के चक्कर में काम अटका हुआ है। इन कारणों से वैकल्पिक रूप से कहा गया था कि मैनुअल मिलान कर लिया जाए। इसके बाद अभी फाइनली काम बचा हुआ है। जब तक ये सब प्रक्रियाएं पूरी नहीं हो जाती, समितियों को एक वर्ष पहले धान उपार्जन के संबंध में प्राप्त होने वाली कमीशन की राशि के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।