कसावट के अभाव में भ्रष्ट्राचार के शिखर को लांघने से बाज नही आ रहा कटघोरा वनमंडल, बनाना था नया तालाब लेकिन पूर्व से निर्मित तालाब का खोदाई कराकर दे दिया नए स्वरूप


कोरबा/कटघोरा-जटगा:- कटघोरा वनमंडल में आए दिन भ्रष्ट्राचार के किस्से देखने सुनने को मिल रहे है जिसमे से कुछ भ्रष्ट्राचार की गूंज विधानसभा से लेकर वन मंत्रालय तक गूंजी लेकिन कार्यवाही व कसावट के अभाव में कटघोरा वनमंडल के बेलगाम अधिकारी हठधर्मिता व अपने भ्रष्ट्र कृत्यों को लांघने से बाज नही आ रहे है और जंगलों के संरक्षण, संवर्धन तथा विकास के नाम पर विनाश का क्रम जारी है। जिस पर राज्य सरकार का नियंत्रण दूर- दूर तक देखने को नही मिल रहा है। ताजा मामले में कटघोरा वनमंडल अंतर्गत जटगा वनपरिक्षेत्र में एक नया तालाब बनाना था लेकिन अधिकारियों द्वारा हमेशा की तरह जेबें भरने की मंशा रख पुराने तालाब को ही मशीन से थोड़ी- बहुत खोदाई कराकर नया तालाब का स्वरूप देते हुए लाखों की राशि का जमकर दुरुपयोग किया।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जटगा वनपरिक्षेत्र के अधीन तथा इसके अंतिम सीमा एवं जटगा- पसान मुख्यमार्ग से लगभग 15- 20 किलोमीटर दूर बीहड़ वनांचल एवं दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र ग्राम कारीमाटी के जंगल मे वन्य जीवों के लिए पानी की उपलब्धता व उनके संवर्धन के लिए नया तालाब निर्माण कराया जाना था किंतु यहां के प्रभारी परिक्षेत्राधिकारी (डिप्टी रेंजर) सत्तू जायसवाल द्वारा जंगल के प्राकृतिक नाले पर पूर्व से निर्मित तालाब को ही जेसीबी के माध्यम से खोदाई कराते हुए मेढ़ में नए मिट्टी डालकर और भीतर की ओर आधे- अधूरे पिचिंग कार्य कराकर नए तालाब का स्वरूप दिया गया। अघोषित रूप से धन कमाने की लालसा रख कार्य कराने वाले वनविभाग के अधिकारियों ने नए तालाब निर्माण के लिए स्वीकृत लाखों की राशि से पुराने तालाब में कार्य कराकर जिस प्रकार नया बताने के जो कारनामे किये गए उस कार्य को कराने में स्वीकृति के आधे से भी कम खर्च आया होगा और उतना लागत नही जितना राशि आहरण किया गया होगा। अधिकारियों द्वारा जिस प्रकार अपने भ्रष्ट्र मंसूबे को पूरा करने पुराने तालाब का बीते माह मई- जून में खनन कार्य कराकर नया तालाब का अस्तित्व दिया गया उसमें स्थानीय जरूरतमंद ग्रामीण मजदूरों को भी नियोजित नही किया गया और गरीब ग्रामीणों को उपेक्षित रख आनन- फानन में जेसीबी से खोदाई कार्य कराया गया इस दौरान दर्जनों हरे- भरे पेड़ों की बलि ले ली गई तथा मशीन की चपेट में आकर धराशायी उन पेड़ों को कुछ दूर जंगल मे ही फेंक दिया गया। माना जा रहा है कि यह कार्य बिना वनमंडलाधिकारी के संरक्षण एक प्रभारी रेंजर के हाथों संभव नही। इस विषय पर ग्राम कारीमाटी के ग्रामीण पंचराम सहित अन्य का कहना है कि दूरस्थ बीहड़ वनांचल ग्राम होने के कारण उनके गांव में रोजी- मजदूरी का अक्सर अभाव रहता है तथा आवागमन का नियमित साधन उपलब्ध न रहने से वे काम करने शहर नही जा पाते ऐसे में वनविभाग द्वारा उन्हें रोजगार मुहैया न कराकर मशीन के माध्यम से कार्य कराया गया। दुर्भाग्य है कि कटघोरा वनमंडल के कार्यों में किसी का नियंत्रण नही रह गया है परिणामस्वरूप हालात यह हो चला है कि इस वनमंडल के अधिकतर परिक्षेत्रों में डिप्टी रेंजरों को बतौर प्रभारी रेंजर का दायित्व सौंप मनमाने कार्य कराया जा रहा है जहां निर्माण से लेकर सभी विकास योजनाओं में कमीशनखोरी व बंदरबांट के चलते घटिया निर्माण कार्य का बोलबाला है। ऐसा नही है कि इसे विभाग के आला अफसर या जनप्रतिनिधि नही जानते बल्कि उनसे कहीं ज्यादा अब आम जनता समझने लगी है और शायद यही वजह है कि भ्रष्ट्राचार मामले में कटघोरा वनमंडल प्रदेश भर में खासा चर्चित हो चला है।

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