देहरादून । हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा को स्थगित जरूर कर दिया है, परंतु इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार के विधि विभाग और शासन के अफसरों की एक टीम दिल्ली पहुंच चुकी है।
राज्य सरकार ने एक जुलाई से सीमित संख्या में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री की यात्रा स्थानीय लोगों के लिए खोलने का फैसला लिया था। 25 जून को कैबिनेट ने यह निर्णय लिया और 28 जून की देर रात मुख्य सचिव ने एसओपी भी जारी की थी। इससे पहले 28 जून को ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के तर्क को अमान्य करते हुए यात्रा स्थगित करने के आदेश दिये। बुधवार को शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की विधि विभाग ने राय दी है। दिल्ली पहुंचे अफसर केस तैयार कर रहे हैं।
बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने आंशिक रूप से चारधाम यात्रा शुरू करने का निर्णय लिया था। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने हालांकि कहा कि कोविड-19 की परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश में फिलहाल कर्फ्यू 22 जून तक लागू रखने का भी फैसला किया गया। मंगलवार (15 जून) की सुबह छह बजे कर्फ्यू की अवधि समाप्त हो रही थी। उनियाल ने बताया कि इस अवधि के दौरान कुछ परिवर्तनों के साथ पुरानी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू रहेगी। उन्होंने बताया कि जिन जिलों में चारधाम स्थित हैं, उन जिलों के निवासियों को निगेटिव आरटीपीसीआर कोविड जांच रिपोर्ट के साथ मंदिरों के दर्शन की अनुमति दे दी गयी है।
उन्होंने बताया कि अब निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट के साथ चमोली जिले के निवासी बदरीनाथ धाम, रूद्रप्रयाग जिले के निवासी केदारनाथ तथा उत्तरकाशी जिले के निवासी गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि शादी और अंत्येष्टि में शामिल होने वाले लोगों की संख्या 20 से बढ़ाकर 50 करने का निर्णय भी किया गया। हालांकि शादी में शामिल होने वाले लोगों के लिए आरटीपीसीआर कोविड जांच रिपोर्ट अनिवार्य है।
मंत्री ने बताया कि इसके अलावा, प्रदेश में मिठाई की दुकानें भी सप्ताह में पांच दिन खुलेंगी। उन्होंने बताया कि दुकानदारों की मिठाई खराब होने की परेशानी के चलते सरकार ने यह निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि टेपों और ऑटो के संचालन को भी कर्फ्यू अवधि के दौरान अनुमति दी गयी है। उन्होंने कहा कि राजस्व के लंबित पडे मामलों को निपटाने के लिए 20 लोगों की सीमित संख्या के साथ राजस्व अदालतों को खोलने का निर्णय भी लिया गया है।
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