छत्तीसगढ़ के कोटमीसोनार क्रोकोडाइल पार्क में पहली बार हो रहा है वैज्ञानिक सर्वेक्षण, ड्रोन और ऑक्युलर सर्वे के माध्यम से मगरमच्छों की गणना, संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल

छत्तीसगढ़ के एकमात्र मगरमच्छ उद्यान, कोटमीसोनार क्रोकोडाइल पार्क (जिला जांजगीर-चांपा) में पहली बार वैज्ञानिक पद्धति से मगरमच्छों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक पहल को जांजगीर-चांपा वनमंडल द्वारा नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के सहयोग से किया जा रहा है। सर्वेक्षण में ड्रोन तकनीक और ऑक्युलर सर्वेक्षण (दृष्टि आधारित गणना) का उपयोग किया जा रहा है, जिससे मगरमच्छों की सही संख्या और उनके आवासीय व्यवहार को समझने में मदद मिलेगी।

स्थानीय लोगों और पर्यटकों में जागरूकता बढ़ाने की पहल


इस सर्वेक्षण के साथ-साथ पहली बार कोटमीसोनार क्रोकोडाइल पार्क में थिएटर आधारित जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। उद्यान के व्याख्या केंद्र (इंटरप्रिटेशन सेंटर) में पर्यटकों और स्थानीय लोगों को मगरमच्छ संरक्षण की जानकारी दी जा रही है। इसके तहत ड्रोन कैमरों से लिए गए मगरमच्छ उद्यान के हवाई दृश्य दिखाए जा रहे हैं, जिससे लोगों को पक्षियों की दृष्टि से उद्यान की खूबसूरती और मगरमच्छों के बारे में जानने और देखने का अनूठा अनुभव मिल रहा है।

वन्यजीव संरक्षण की दिशा में अहम कदम


यह वैज्ञानिक सर्वेक्षण कोटमीसोनार मगरमच्छ उद्यान में मगरमच्छों की स्थिति को बेहतर तरीके से समझने और उनके आवास को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल है। इससे न केवल मगरमच्छों की सटीक संख्या का पता चलेगा, बल्कि उनके प्राकृतिक आवास और संरक्षण की जरूरतों पर भी अध्ययन किया जा सकेगा।

इस पहल से स्थानीय समुदाय और पर्यटकों में मगरमच्छों के संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ेगी, जिससे वन्यजीवों के प्रति सह-अस्तित्व की भावना विकसित होगी। नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी और जांजगीर-चांपा वनमंडल की इस सराहनीय पहल से मगरमच्छों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने में मदद मिलेगी, इस सर्वे में नोवा नेचर अध्यक्ष एम सूरज,रेस्क्यु हेड जितेंद्र सारथी, सीनियर बायोलॉजिस्ट मयंक बक्शी, सीनियर बायोलॉजिस्ट सिद्धांत जैन, फील्ड रिसर्चर भूपेंद्र जगत की एहम भूमिका हैं।