रायपुर, 28 जनवरी (वेदांत समाचार) मौनी अमावस्या का पवित्र पर्व 29 जनवरी, बुधवार को मनाया जाएगा। पं चन्द्रकान्त तिवारी हनुमान मंदिर पुजारी राम नगर रायपुर ने बताया कि मौनी अमावस्या मै गंगा यमुना सरस्वती या किसी भी त्रिवेणी संगम मै स्नान करने से हमारे किए हुए पाप है वह धुल जाता है सुबह 4 बजे से लेकर 6 बजे तक स्नान किया जाता है स्नान करने के बाद सुर्य अर्घ करें और अपने शक्ति के अनुसार दान करना श्रेस्ठ माना गया है भगवान का भजन पुजा पाठ करें पंडि़तो से कराए ऐसे करने से देव पितर सब खुश रहते है।
पं चन्द्रकान्त जी ने आगे कहा की
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन संगम में स्नान और यह महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी है, जो आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। महाकुंभ में स्नान के दौरान पांच डुबकी लगाने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि मौनी अमावस्या पर पांच डुबकी लगाने की विधि और प्रत्येक डुबकी का महत्व क्या है…
इस प्रकार लगाया जाता है
डुबकी
पहली डुबकी:
पहली डुबकी लगाने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्नान करें। इससे पहले गंगा, यमुना, सरस्वती और जल देवता को प्रणाम करना चाहिए। यह डुबकी आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
दूसरी डुबकी
दूसरी डुबकी भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके लगानी चाहिए। इसे लगाने से कुल देवता और इष्ट देवता की कृपा प्राप्त होती है।
तीसरी डुबकी
तीसरी डुबकी उत्तर दिशा की ओर मुख करके लगानी चाहिए। इससे भगवान शिव, माता पार्वती, सप्त ऋषियों और गुरुओं का आशीर्वाद मिलता है।
चौथी डुबकी
चौथी डुबकी पश्चिम दिशा की ओर मुख करके लगानी चाहिए। यह किन्नर, यक्ष, गरुड़ और 33 कोटि देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्रदान करती है।
पांचवीं डुबकी
अंतिम डुबकी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके लगानी चाहिए। यह डुबकी पूर्वजों की आत्मा की शांति और कल्याण के लिए होती है। इन पांच डुबकियों के माध्यम से श्रद्धालु सभी देवी-देवताओं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। यह स्नान जीवन में उन्नति और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।