पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से एक की मौत, 101 एक्टिव केस, जानिए इस बीमारी के बारे में

पुणे, 27 जनवरी 2025: पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से रविवार को पहली मौत हुई। सोलापुर के एक मरीज ने दम तोड़ दिया। हफ्ते भर में महाराष्ट्र में GBS के 73 नए केस सामने आए हैं। इस बीच पुणे में इस बीमारी के 101 एक्टिव केस सामने आ चुके हैं। इनमें 19 नौ साल से कम उम्र के बच्चे भी शामिल हैं।

क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक रेयर ऑटोइम्यून कंडीशन है। इसमें इम्यून सिस्टम नर्वस सिस्टम के पेरिफेरल नर्व्स पर हमला करता है। इससे ब्रेन से मसल्स तक सिग्नल पहुंचाने की क्षमता प्रभावित होती है। यह ज्यादातर मामलों में किसी बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के बाद ट्रिगर होता है। पुणे में मिले सैंपल्स में E. कोली बैक्टीरिया का स्तर भी अधिक पाया गया है। इस बीमारी में हाथ-पैर कमजोर हो जाते हैं और मरीज चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है। कुछ मामलों में सांस लेने में भी कठिनाई हो सकती है।

क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का लक्षण

GBS के लक्षण शुरुआत में मामूली लग सकते हैं जैसे पैर या हाथ में झुनझुनी और कमजोरी महसूस हो सकती है। लेकिन अगर यह बीमारी तेजी से बढ़ती है, तो मांसपेशियों पर काबू समाप्त हो जाता है। कुछ मामलों में मरीज को सांस लेने में भी परेशानी होती है। डॉक्टरों का कहना है कि शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। ऐसे में जैसे ही लक्षण नजर आएं, तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करें।

क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम का इलाज

इस बीमारी के इलाज के बारे में डॉक्टरों का कहना है कि फिलहाल इस बीमारी का कोई इलाज मौजूद नहीं है। हालांकि, इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) थेरेपी और प्लाज्मा एक्सचेंज (Plasmapheresis) जैसी ट्रीटमेंट से इस बीमारी के लक्षणों को काबू किया जा सकता है। हालांकि, इन इलाजों का खर्च काफी ज्यादा होता है। ऐसे में इस बीमारी की चपेट में आने से गरीब तबके से आने वाले मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

कैसे करें गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से बचाव

डॉक्टरों का कहना है कि GBS के मामलों में समय पर इलाज शुरू करना बेहद जरूरी होता है। गंभीर मरीजों के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है। पुणे में फिलहाल 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। फिलहाल बचाव ही इससे बचने का रास्ता है। जनता को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। खासकर पानी और खाने की स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। GBS कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी (Campylobacter jejuni) जैसे बैक्टीरिया की वजह से फैलता है। दूषित पानी और खाना इस बैक्टीरिया को फैलने में मददगार होते हैं। ऐसे में साफ और स्वच्छ खानपान का ध्यान रखना जरूरी है।