नई दिल्ली,22 जनवरी 2025:। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने भाजपा को झटका दिया है। जेडीयू ने पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। 60 सीटों वाली असेंबली में भाजपा के पास बहुमत से कहीं ज्यादा 32 सीटें हैं, लेकिन 6 सीटों वाली जेडीयू भी उसके साथ थी। लेकिन अब नीतीश कुमार की पार्टी ने भाजपा सरकार से अलग होने का फैसला लिया है। बीते करीब दो सालों से अशांत चल रहे मणिपुर में भाजपा के लिए यह झटके की तरह है, जो पहले ही कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्ष का दबाव झेल रही है।
सूबे में भाजपा की 32 सीटों के साथ अपने दम पर सरकार है, जबकि एनपीएफ के पास 5 सीटें हैं और एनपीपी के पास 7 हैं। जेडीयू को अप्रत्याशित तौर पर मणिपुर के विधानसभा चुनाव में 6 सीटें मिली थीं। यहां कांग्रेस के पास 5 सीटें हैं, जबकि केपीए के पास 2 विधायक हैं। जेडीयू के समर्थन वापस लेने से भाजपा की सरकार के समक्ष कोई खतरा नहीं है, लेकिन इस फैसला का दूरगामी का असर होगा। खासतौर पर दिल्ली से पटना तक इसके मायने निकाले जाएंगे। बिहार में इसी साल अक्टूबर के आसपास विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में नीतीश की पार्टी के इस फैसले को भाजपा पर सीट बंटवारे के लिए दबाव की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
मणिपुर में एन. बीरेन सिंह भाजपा के मुख्यमंत्री हैं, जिन पर हिंसा को नियंत्रित न करने के आरोप लगते रहे हैं। विपक्ष की ओर से लगातार उन्हें हटाने की मांग होती रही है, लेकिन भाजपा ने उन्हें लगातार मुख्यमंत्री बनाए रखा है। बता दें कि सूबे में कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों के बीच हिंसक झड़पों का दौर लंबे समय से जारी है। गुवाहाटी हाई कोर्ट की ओर से मैतेई समुदाय के लोगों को भी आदिवासी इलाकों में बसने की अनुमति दिए जाने के बाद यह विवाद शुरू हुआ था। बता दें कि राज्य के लगभग तीन चौथाई गैर-शहरी इलाके में कुकी रहते हैं, जबकि मैतेई समुदाय की आबादी राजधानी और उसके आसपास के इलाके में ही केंद्रित है।