बिगड़ रही शिमला की आबोहवा, 12 साल में 48 फीसदी बढ़ा एक्यूआई

नई दिल्ली,22 जनवरी 2025 । अपनी शुद्ध आबोहवा के लिए विख्यात हिल्सक्वीन शिमला की हवा बिगड़ती जा रही है। हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्टों के अनुसार शिमला शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है।

वर्ष 2011-2012 में औसतन एक्यूआई 35 था, जबकि 2024 में 52 पहुंच गया है। शहर की हवा में प्रदूषक तत्वों में बढ़ोतरी हुई है। इसके मुख्य कारण शहरीकरण बढ़ना, वाहनों की लगातार बढ़ती आवाजाही और जंगलों में लगने वाली आग है। आंकड़ों पर गौर करें तो 2011-2012 में शिमला की हवा में सल्फर डाइऑक्साइड का स्तर 2 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, वहीं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 8.1 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। इसके अलावा रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) का स्तर 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था।

2023-2024 की वार्षिक रिपोर्ट प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी नहीं की है। बोर्ड ने साल 2024 में 273 दिन की शहर की वायु गुणवत्ता की जांच की है और इनके आंकड़े जारी किए हैं। साल 2024 में औसत एक्यूआई 52 के पास रहा। हवा में सल्फर डाइऑक्साइड का स्तर बढ़कर 2.1 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हो गया है,

जबकि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 10.4 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पहुंच गया है। इस रिपोर्ट में प्रदूषण के अन्य महत्वपूर्ण तत्वों मसलन पीएम 10 और पीएम 2.5 की स्थिति भी सामने आई है। 2024 में पीएम 10 कणों का स्तर 51 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, जबकि पीएम 2.5 कणों का स्तर भी चिंताजनक रूप से बढ़कर 18 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2022-2023 के बाद से रिपोर्ट जारी नहीं की है।

बढ़ते वायु प्रदूषण से शिमला की हवा की गुणवत्ता में गिरावट आई है। शिमला की हवा अभी भी अच्छी श्रेणी में आती है, लेकिन लगातार घटती गुणवत्ता चिंताजनक है। वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के कारण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन संबंधी रोगों की संभावना बढ़ सकती है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों में।

2021-2022 के मुकाबले 2022-2023 में सुधार

साल 2020-2021 और साल 2021-2022 में शहर में साल का औसत एक्यूआई 53 के स्तर पर नापा गया था। 2022-2023 में घटकर यह 47 पर आ गया था। प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और निजी संस्थाओं के जारी आंकड़ों में बड़ा अंतर मिल रहा है। इस साल 15 जनवरी को प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की साइट पर एक्यूआई 77 के स्तर पर था। निजी संस्था की साइट पर एक्यूआई 155 के स्तर पर था।