छत्तीसगढ़: ED ने शराब घोटाला मामले में किया बड़ा खुलासा, बोली- ‘कवासी को थी घोटाले की जानकारी, इनके सहयोग से हुई FL-10 लाइसेंस की शुरुआत’

रायपुर,20 जनवरी 2025:(वेदांत समाचार) । छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में ED ने बड़ा खुलासा किया है। ED ने अपना बयान जारी कर रहा है कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा को आबकारी विभाग में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी थी। लेकिन उन्होनें ने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया ।

लखमा ने शराब नीति बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण छत्तीसगढ़ राज्य में FL-10A लाइसेंस की शुरुआत हुई। गौरतलब है पिछली सरकार में हुए लीकर स्कैम मामले में विधायक कवासी लखमा 21 जनवरी तक ED की रिमांड पर है। जहां प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी उनसे पूछताछ कर रहे है।

सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे कवासी

प्रवर्तन निदेशालय ने अपने प्रेस नोट में बताया है कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे । लखमा के निर्देश पर ही सिंडिकेट काम करता था। शराब सिंडिकेट को मदद मिलती थी। जिसके बदल में कवासी लखमा को शराब घोटाले से होने वाली कमाई से हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलता था। ईडी ने जांच में पाया कि कवासी लखमा घोटाले से मिलने वाली आय से कई अचल संपत्तियों के निर्माण में लगाया।

कमिशन रुपए बेटे के घर निर्माण और कांग्रेस भवन के निर्माण में लगे

शराब घोटाला केस में ED की हिरासत पर चल रहे पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर ED का आरोप है कि शराब घोटाला मामले में हर महीने कवासी लखमा 2 करोड़ रुपए मिलते थे। ED के वकील सौरभ पांडेय ने कहा कि, 3 साल शराब घोटाला चला इस दौरा 36 महीने में विधायक लखमा को 72 करोड़ रुपए मिले और ये राशि उनके बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और कांग्रेस भवन सुकमा के निर्माण में लगे।

FL-10 लाइसेंस क्या है?

FL-10 का फुल फॉर्म है, फॉरेन लिकर-10। इस लाइसेंस को छत्तीसगढ़ में विदेशी शराब की खरीदी की लिए राज्य सरकार ने ही जारी किया था। जिन कंपनियों को ये लाइसेंस मिला है, वे मेनूफैक्चर्स यानी निर्माताओं से शराब लेकर सरकार को सप्लाई करते थे। इन्हें थर्ड पार्टी भी कह सकते हैं।

खरीदी के अलावा भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम भी इसी लाइसेंस के तहत मिलता है। हालांकि इन कंपनियों ने भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम नहीं किया इसे बेवरेज कॉर्पोरेशन को ही दिया गया था। इस लाइसेंस में भी A और B कैटेगरी के लाइसेंस धारक होते थे।

FL-10 A इस कैटेगरी के लाइसेंस-धारक देश के किसी भी राज्य के निर्माताओं से इंडियन मेड विदेशी शराब लेकर विभाग को बेच सकते हैं।


FL-10 B राज्य के शराब निर्माताओं से विदेशी ब्रांड की शराब लेकर विभाग को बेच सकते हैं।


घोटाले की रकम 2161 करोड़

निदेशालय की ओर से लखमा के खिलाफ एक्शन को लेकर कहा गया कि, ED की जांच में पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले की रकम 2161 करोड़ रुपए है। जांच में पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी से हर महीने कमीशन मिला है ।

2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में ED के मुताबिक ऐसे होती थी अवैध कमाई।

पार्ट-A कमीशन: सीएसएमसीएल यानी शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के प्रति ‘केस’ के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती थी।


पार्ट-B कच्ची शराब की बिक्री: बेहिसाब “कच्ची ऑफ-द-बुक” देशी शराब की बिक्री हुई। इस मामले में सरकारी खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी रकम सिंडिकेट ने हड़प ली। अवैध शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी।
पार्ट-C कमीशन: शराब बनाने वालों से कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी दिलाने के लिए रिश्वत ली जाती थी। एफएल-10ए लाइसेंस धारकों से कमीशन ली गई जिन्हें विदेशी शराब के क्षेत्र में कमाई के लिए लाया गया था।