CG:मिशन अस्पताल में तोड़फोड़ की कार्रवाई बंद, हाईकोर्ट में याचिका दायर; आज होगी सुनवाई

बिलासपुर,09 जनवरी 2025 (वेदांत समाचार) । बिलासपुर में नजूल विभाग से लीज पर ली गई मिशन अस्पताल के भवन पर बुधवार को बुलडोजर चलाकर तोड़ने की कार्रवाई की गई। सुबह से लेकर शाम तक प्रशासन की मौजूदगी में बुलडोजर चलाया गया। लेकिन, शाम को अचानक तोड़फोड़ की कार्रवाई बंद कर दी गई।

बताया गया कि, मिशनरीज संस्था ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसके चलते प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। केस की सुनवाई गुरुवार को होगी। दरअसल, बुधवार की सुबह 6 बजे से निगम के साथ ही जिला प्रशासन का अमला मिशन अस्पताल परिसर पहुंच गया। इस दौरान पुलिस जवानों के साथ ही जिला प्रशासन, नगर निगम और नजूल शाखा के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।

हीं, सुरक्षा व्यवस्था संभालने के लिए एडिशनल एसपी राजेंद्र जायसवाल, सीएसपी निमितेश सिंह अपनी टीम के साथ तैनात रहे। तोड़फोड़ की कार्रवाई के लिए 10 बेक होल लोडर, छह काउ केचर, दो पोकलेन बुलाया गया था। इसके साथ ही दो एंबुलेंस और अग्निशमन यंत्र भी बुला लिया गया। जिसके बाद परिसर में बने अस्पताल भवन सहित चौपाटी को ढहाने की कार्रवाई शुरू की गई। सुबह से लेकर शाम 5 बजे तक यह कार्रवाई चलती रही।

सामने का रास्ता किया बंद, लोग होते रहे हलाकान

इस कार्रवाई के दौरान ईदगाह चौक से लेकर सिम्स और कंपनी गार्डन जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया गया था। इसके चलते स्कूल जाने वाले बच्चों को खासी परेशानी हुई। वहीं, इस मार्ग से आवाजाही करने वाले लोग भी हलाकान होते रहे। यहां पूरे समय यातायात पुलिस के जवान मौजूद रहे, जो रूट डायवर्ट कराने में जुटे रहे।

शाम को अचानक बंद कर दी गई कार्रवाई

इस बीच शाम करीब 5 बजे अचानक तोड़फोड़ की कार्रवाई बंद कर दी गई। अफसरों ने बुलडोजर सहित पोकलेन को आनन-फानन में परिसर से बाहर करवा दिया। तोड़फोड़ की कार्रवाई रोकने के बाद तरह-तरह की चर्चाएं होती रही। बताया गया कि मिशनरीज संस्था ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश दिया है।

मिशनरीज संस्था की तरफ से बताया गया कि अभी हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हुई है। वहीं, प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि हाईकोर्ट में याचिका दायर होने के कारण कार्रवाई रोकी गई है। गुरुवार को केस की सुनवाई के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

लीज खत्म होने के बाद भी व्यवसायिक उपयोग

बता दें कि क्रिश्चियन वुमन बोर्ड आफ मिशन हास्पिटल, बिलासपुर की साल 1885 में स्थापना की गई थी। सेवा के नाम से मिशन अस्पताल को 11 एकड़ जमीन लीज पर दी गई थी। इसके बाद यहां अस्पताल भवन का निर्माण कर अस्पताल का संचालन किया जा रहा था। वहीं 1966 में इसका लीज खत्म हो गया था, तब फिर से 30 साल के लिए नवीनीकरण कर साल 1994 तक लीज को बढ़ा दिया गया।

1994 के बाद लीज बढ़ाने के लिए कोई भी प्रक्रिया नहीं की गई और मिशन अस्पताल 30 सालों से बिना लीज के ही चलता रहा। इसी दौरान परिसर में मिशनरी गतिविधियों को जोर दिया गया। जब यह जानकारी प्रशासन को लगी तो कलेक्टर अवनीश शरण ने इसके दस्तावेजों की जांच कराई। जांच में यह बात सामने आई कि लीज की शर्तों को दरकिनार कर अन्य तरह की गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है।

जांच में यह बात भी सामने आई कि यहां की कुछ जमीन का रजिस्टर विक्रय पत्र के माध्यम से बिक्री भी कर दी गई है। वहीं कमिश्नर महादेव कांवरे ने मामले की सुनवाई की और पूर्व कमिश्नर के आदेश को खारिज कर दिया। वैसे तो इस जमीन को सेवा के नाम पर लिया गया था।

लेकिन, बाद में धीरे-धीरे इसका व्यवसायिक उपयोग किया जाने लगा। पिछले कुछ सालों से परिसर में अवैध चौपाटी का संचालन किया जा रहा था। जिसके माध्यम से हर महीने लाखों रुपये की कमाई की जा रही थी। साथ ही कुछ संदिग्ध गतिविधियों का भी संचालन होने लगा था।

अस्पताल भवन की जांच के बाद जर्जर घोषित

डेढ़ माह पहले ही नगर निगम के भवन शाखा ने मिशन अस्पताल भवन का निरीक्षण किया था। इस दौरान भवन की मजबूती और कमजोरी का आंकलन किया गया। इसमें अधिकारियों ने भवन को जर्जर घोषित कर दिया। ऐसे में इस भवन को तोड़ना जरूरी हो गया था।