पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी द्वारा प्रदेश चुनाव में नंदीग्राम सीट के नतीजों को चुनौती देने याचिका पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई 24 जून तक के लिए टाल दी गई है। गौरतलब है कि नंदीग्राम विधानसभा सीट पर भाजपा के शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव हार चुकीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हार मानने को तैयार नहीं हैं और उन्होंने इस सीट की पूरी चुनाव प्रक्रिया को चुनौती देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया था।
दरअसल, हालिया विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट पर कांटे की टक्कर में बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को 2,000 से कम वोटों से हराया। चुनाव आयोग ने नंदीग्राम विधानसभा सीट पर फिर से मतगणना कराने के तृणमूल कांग्रेस के अनुरोध को खारिज कर दिया था।
3 आधारों पर अमान्य घोषित हों नतीजे
अपनी याचिका में मुख्यमंत्री ने मांग की है कि शुभेंदु अधिकारी के चुनाव को तीन आधारों पर अमान्य घोषित किया जाए- रिश्वतखोरी, घृणा और शत्रुता को बढ़ावा देने, धर्म के आधार पर वोट मांगने और बूथ पर कब्जा करने सहित भ्रष्ट आचरण; मतगणना प्रक्रिया में भी विसंगतियां और फॉर्म 17सी में विसंगतियां और गैर-अनुपालन, जो दर्ज किए गए मतों और मतगणना के परिणाम का लेखा-जोखा है।
चुनाव आयोग के फैसले पर भी उठाया सवाल
दूसरी ओर ममता बनर्जी ने फिर से मतगणना की उनकी याचिका को खारिज करने के चुनाव आयोग के फैसले पर भी सवाल उठाया है। याचिका के मुताबिक, “शुभेंदु अधिकारी कई भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त हैं, जिसने उनकी जीत की संभावनाओं को बढ़ाया और चुनाव में ममता बनर्जी की सफलता की संभावनाओं को मुख्य रूप से कम किया है।”
इधर अदालत का दरवाजा खटखटाने के ममता के इस कदम को लेकर भाजपा नेता अमित मालवीय ने तंज कसा है। उन्होंने कहा कि आप दो बार चुनाव कैसे हारते हैं? पहले चुनाव में और फिर एक हारे हुए व्यक्ति की तरह कोर्ट में जनमत को चुनौती देकर। मालवीय ने आगे कहा कि ममता बनर्जी को दो बार नंदीग्राम की हार का अपमान सहते देखना दिलचस्प होगा। बता दें कि चुनाव आयोग ने नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से अधिकारी को विजेता और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष बनर्जी को उपविजेता घोषित किया था।
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