भारत की सबसे लंबी नदी ब्रह्मपुत्र पर चीन दुनिया का सबसे बड़ा बांध बना रहा है। चीन के इस प्रोजेक्ट में 137 अरब डॉलर से भी ज्यादा का खर्च हो सकता है। इसे चीन दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे महंगा प्रोजेक्ट बता रहा है।
चीन की तरफ से तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए जा रहे हाइड्रोपावर डैम पर भारत की तरफ से चिंता जताई गई है। भारत ने कहा गया है कि चीन की इस परियोजना से निचले बहाव वाले देशों पर इसका असर पड़ेगा। इस मामले पर चीन की तरफ से अब सफाई सामने आई है।
बीजिंग ने शनिवार चार जनवरी को कहा कि इस परियोजना का दशकों के विस्तार के साथ अध्ययन किया गया है चीन की तरफ से कहा गया है कि इस परियोजना में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि पर्यावरण की सुरक्षा के साथ इसका निचले बहाव वाले देशों पर किसी तरह का नकारात्मक प्रभाव ना पड़े। भारत और बांग्लादेश दोनों ही देशों ने इस परियोजना पर सवाल खड़े किए हैं।
वहीं वाशिंगटन से शनिवार को आई रिपोर्टों के अनुसार अमेरिकी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन 5-6 जनवरी को अपनी भारत यात्रा के दौरान इस डैम के मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं। जेक सुलिवन भारत यात्रा के दौरान भारत के एनएसएअजित डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे और एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।
जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय सहयोग से हुए महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में बात करेंगे। जेक सुलिवन के भारत यात्रा की अधिकारिक घोषणा व्हाइट हाउस ने शुक्रवार रात को की। अमेरिका के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि हमने इंडो-पैसिफिक में देखा है कि चीन ने कई जगहों पर अपस्ट्रीम बांध बनाए हैं, जो वास्तव में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बल्कि डाउनस्ट्रीम देशों पर जलवायु प्रभाव डाल सकते हैं भारत में, चीनी दूतावास ने शनिवार को कहा कि चीन हमेशा सीमा पार नदियों के विकास के लिए जिम्मेदार रहा है।