युसुफ खांन
कोरबा::- मामला है पोड़ी उपरोड़ा विकाशखण्ड अंतर्गत ग्राम पिपरिया का जहां शिक्षक मदन लाल राज , के के गंधर्व एवम अनेकों सरकारी कर्मचारियों द्वारा स्कूल व आसपास की सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कर मकान व व्यावसायिक परिसर का निर्माण किया गया है .. !
नियमो को दरकिनार कर लगातार अतिक्रमण जारी है वही स्कूल के शिक्षक द्वारा इस प्रकार के कृत्य को देखते इसकी शिकायत पूर्व में विधायक स्तर से लेकर राजस्व के उच्च अधिकारियों तक पिपरिया के सामाजिक कार्यकर्ताओं व जनप्रतिनिधियों द्वारा कई बार की जा चुकी हैं । परन्तु मुख्य बात यह है कि जाँच तो हमेशा किया जाता है किंतु परिणाम शून्य होता हैं ….!!!
वही जनप्रतिनिधियों की माने तो इतना गम्भीर मामला व राजस्व अधिकारियों को सभी जानकारी होने बाद भी कार्यवाही का ना होना काफी आश्चर्यजनक हैं..!!
अगर हम शासन कि नियमों की माने तो यदि सरकारी जमीन पर कोई अतिक्रमण करता है तो उसके खिलाफ में एक प्रकार की कार्रवाई नहीं होगी बल्कि अब प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा
क्या है सजा
भू-राजस्व अधिनियम की धारा-91 के मुताबिक यदि पटवारी की मौका रिपोर्ट के आधार पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण पाया जाता है तो पहली बार में अतिक्रमी के खिलाफ नियमानुसार बेदखली की कार्रवाई की जाती है। यदि तीसरी बार अतिक्रमण करने की पुष्टि होती है तो अतिक्रमी को तीन माह की साधारण सजा हो सकती है।इस मामले में तहसीलदार और नायब तहसीलदार को धारा 91 के तहत यह अधिकार है।
क्या है धारा 91
यदि किसी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया जाता है तो तहसील की ओर से अतिक्रमी के खिलाफ भू- राजस्व अधिनियम की धारा-91 बेदखली की कार्यवाही की जाती है। सरकारी जमीन में बिलानाम भूमि ((सिवायचक)), चरागाह, गैर मुमकिन पहाड़ी ((सरकारी)) और वन क्षेत्र आता है। वनक्षेत्र की भूमि को तहसील के दायरे से बाहर रखा गया है।
नियम लागू हुआ तो यह होगा असर
पटवारियों की जिम्मेदारी बढ़ेगी।
सरकारी जमीनों पर काबिज अतिक्रमण सूचीबद्ध होंगे। अतिक्रमण नहीं होने को लेकर प्रशासनिक व निचले स्तर पर कर्मचारियों की जवाबदेही बढ़ेगी।
आरक्षित दर लागू होने पर राजस्व आय की हानि रुकेगी और रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी।
अवैध खनन व खनिज आधारित उद्योगों में सरकारी भूमि के दुरुपयोग पर अंकुश लगेगा।
अतिक्रमण के सम्बन्ध में ग्रामीणों ने कहा कि शिक्षक के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होना चाहिए। यदि शासकीय कर्मचारि ही ऐसा करेंगे तो जमीन नहीं रहेगा तो भविष्य में कैसे शासकीय भवनों का निर्माण हो पाएगा। शासकीय जमीन के कब्जे को लेकर राजस्व विभाग को सक्रिय होना चाहिए और अपने जमीन को बचाना चाहिए। !!
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