बिलासपुर,26दिसंबर 2024 (वेदांत समाचार)। प्रदेश में लगातार डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते नजर आ रहे हैं. लोग आय-दिन ठगी के शिकार हो रहे हैं. सरकारी अफसर बनकर फोन करने वाले ठग आमलोगों को अवैध नशीले पदार्थ की तस्करी या मोबाइल यूजर्स को ऑनलाइन अश्लील फोटो/वीडियो लीक करने का आरोप लगाते हुए जेल की धमकी देकर लाखों रुपए ऐठ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला बिलासपुर से सामने आया है, जहां ठगों ने एक छात्रा को ड्रग्स तस्करी में फंसाने की धमकी देते हुए 10 लाख रुपये ठग लिए.
जानकारी के मुताबिक, बिलासपुर में रहने वाली एक 24 साल की छात्रा को अनजान नंबर से कॉल आया. जिसमें छात्रा को बताया गया, कि उसके आधार कार्ड का उपयोग कर ड्रग्स की तस्करी करने वाले पकड़े गए हैं, साथ ही खाते से करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ है. सीबीआई और ईडी इस मामले की जांच कर रही है.
ठगों ने छात्रा के मोबाइल पर गिरफ्तारी और जांच के फर्जी दस्तावेज भी भेजे और वीडियो कॉल पर बात भी की. यह सब सुनने और देखने के बाद छात्रा डर गई, जिसका फायदा उठाते हुए ठगों ने छात्रा से बैंक डिटेल मांगी और इस बात की जानकारी किसी को भी देने से जेल भेजने की धमकी दी और जांच के नाम पर 10 लाख रुपये की मांग की. डरी-सहमी सी छात्रा ने ठगों के झांसे में आकर परिजनों और रिश्तेदारों से 10 लाख रुपये मंगाए और ठगों के बताए अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए. लेकिन इसके बाद भी ठग छात्रा से फिर पैसों की मांग करने लगे.
छात्रा ने 10 लाख रुपए देने के बाद जब और पैसों के लिए अपने परिचित से बात की, तब दोनों को ठगी का एहसास हुआ. इसके बाद पीड़िता ने मामले की शिकायत सायबर पुलिस में की. फिलहाल पुलिस अज्ञात आरोपियों के खिलाफ जुर्म दर्ज कर जांच में जुट गई है.
जानिए क्या है डिजिटल अरेस्ट:
बता दें, डिजिटल अरेस्ट” साइबर ठगी का एक नया तरीका है, जो खासकर हाल के समय में देखने को मिला है। इस प्रक्रिया का कोई कानूनी वजूद नहीं है, लेकिन इसमें ठग खुद को पुलिस या कानून प्रवर्तन एजेंसी का अधिकारी बताते हैं और फिर लोगों से ऑडियो या वीडियो कॉल के जरिए संपर्क करते हैं. वे किसी अपराध में शामिल होने या कुछ गलत करने का आरोप लगाकर पीड़ित को डराते हैं और पीड़ित से कहते हैं कि अगर वह गिरफ्तारी से बचना चाहते हैं, तो उन्हें तुरंत कुछ पैसे या जानकारी देनी होगी.
कैसे काम करता है डिजिटल अरेस्ट ठगी?
ऑनलाइन बंधक बनाना: जब पीड़ित डरकर या घबराकर ठग की मांगों को पूरा करता है, तो ठग उसे डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं और अधिक पैसे या जानकारी की मांग करते हैं.
ऑडियो/वीडियो कॉल: ठग कॉल करके खुद को पुलिस अधिकारी या किसी अन्य सरकारी एजेंसी का सदस्य बताते हैं और पीड़ित को यह विश्वास दिलाते हैं कि उसके खिलाफ कोई गंभीर आरोप हैं.
डर और धमकी: वे पीड़ित को गिरफ्तार करने की धमकी देते हैं, और इसे रोकने के लिए तुरंत पैसे या अन्य व्यक्तिगत जानकारी देने की मांग करते हैं.
Digital Arrest होने से कैसे बचें ?
इसलिए आपको किसी भी अनजान नंबर से कॉल आने पर बिलकुल भी डरने की जरूरत नहीं है. क्योंकि पुलिस कभी अपनी पहचान बताने के लिए कॉल नहीं करती और ना ही गिरफ्तारी का ऑनलाइन वारंट भेजती है. पुलिस किसी भी मामले में पैसे की मांग या बैंक डीटेल्स की मांग नहीं करती और ना ही कोई ऐप डाउनलोड कर वाइस कॉल या वीडियो कॉल पर बात नहीं करती. इसलिए अपनी निजी जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए.