छत्तीसगढ़ को केंद्र सरकार ने दिया 1,909 करोड़ का अनुदान

00 ताकि ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत हर घर को पहुंचे नल से जल
00 राज्य में प्रत्येक ग्रामीण घर को 2023 तक नल से जल सुनिश्चित करने के लिए
00 केंद्र का भारी प्रोत्साहन


रायपुर । हर घर में नल से शुद्ध पेय जल पहुँचाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत 2021-22 के लिए अनुदान की राशि बढ़ा कर 1,908.96 करोड़ रुपये कर दी है। पिछले वर्ष केन्द्रीय अनुदान की यह राशि 445.52 करोड़ रुपये थी। राष्ट्रीय जल जीवन मिशन, जल शक्ति मंत्रालय, ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 453.71 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी भी कर दी है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राज्य के आवंटन में चार गुना वृद्धि को मंजूरी प्रदान करते हुए छत्तीसगढ़ को भरोसा दिया है कि राज्य में प्रत्येक ग्रामीण घर में 2023 तक नल से शुद्ध पेय जल पहुंचाने के लिए उसे हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।


2019 में ‘जल जीवन मिशन’ के शुभारंभ के समय देश में कुल मौजूद 19.20 करोड़ ग्रामीण घरों में से केवल 3.23 करोड़ घरों, यानि मात्र 17% के यहाँ घरेलू नल कनेक्शन था। और, उसके बाद के 21 महीनों के दौरान – कोविड-19 महामारी की विभीषिका और उसके कारण लगे अनेक लॉकडाउन के बावजूद – ‘जल जीवन मिशन’ ने पूरी निष्ठा, समर्पण और कार्यकुशलता से काम करते हुए सवा चार करोड़ नए घरों तक नल से शुद्ध जल पहुंचाया है। यानि इन 21 महीनों में 22% प्रगति हासिल की गयी जिसके फलस्वरूप आज देश के ग्रामीण इलाकों के 7.50 करोड़ घरों में (अर्थात 39%) पीने के साफ पानी की सप्लाई नल से होने लग गयी है। गोवा, तेलंगाना, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और पुदुचेरी ने अपने यहाँ के सभी ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन पहुंचा कर 100% कामयाबी हासिल कर ली है और वे ‘हर घर जल’ प्रदेश बन गए हैं। प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ सिद्धान्त में अंतर्निहित मूल भावना के ही अनुरूप ‘जल जीवन मिशन’ का भी संकल्प है कि ‘कोई भी छूटे ना’ और हर गाँव के हर घर में नल से जल उपलब्ध कराया जाए। आज देश के 62 जिलों और 92 हज़ार से ज़्यादा गावों में हर घर में नल से पेय जल मिल रहा है।
छत्‍तीसगढ़ में 19,684 गावों में रह रहे कुल 45.48 लाख परिवारों में से केवल 5.69 लाख ग्रामीण परिवारों (12.51%) को ही नल से जल की आपूर्ति हो पा रही है। 15 अगस्त 2019 को ‘जल जीवन मिशन’ के शुभारंभ के समय राज्य में 3.19 लाख ग्रामीण घरों (7.03%) में ही नल जल कनेक्शन था। और, इन 21 महीनों के दौरान भी छत्तीसगढ़ में केवल 2.49 लाख (5.49%) ग्रामीण घरों तक ही नए नल जल कनेक्शन पहुंचाए जा सके- जो धीमी गति के मामले में पूरे देश में दूसरे नंबर पर है। राज्य को ‘हर घर जल’ बनने के लिए अभी शेष 39.78 ग्रामीण घरों में नल जल कनेक्शन पहुंचाना बाकी है। छत्तीसगढ़ के 5,530 गावों में नल जल कनेक्शन देने के लिए तो अब तक जल आपूर्ति संबंधी कार्य भी शुरू नहीं हुए हैं। ‘हर घर जल’ बनने के लिए राज्य ने 2021-22 के दौरान 22.14 लाख घरों में नल जल कनेक्शन देने की योजना बनाई है, जबकि 2022-23 में 11.37 लाख घरों को तथा 2023-24 में शेष बचे 6.29 लाख घरों तक नल कनेक्शन से पीने का पानी पहुंचाया जाएगा।


पिछले वित्त वर्ष के दौरान छत्तीसगढ़ ‘जल जीवन मिशन’ के तहत केवल 1.51 लाख नल जल कनेक्शन ही उपलब्ध करा पाया था। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इस सिलसिले में राज्य के मुख्य मंत्री को पत्र कर छत्तीसगढ़ से आग्रह किया है कि ग्रामीण घरों में नल जल कनेक्शन देने के काम में तेज़ी लायी जाए तथा इस दिशा में हर गाँव में कार्य शुरू कर दिया जाए ताकि राज्य 2023 तक ‘हर घर जल’ बन जाए।
2020-21 के दौरान छत्तीसगढ़ को ‘जल जीवन मिशन’ के तहत केन्द्रीय अनुदान के रूप में 445.52 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन कार्यान्वयन की धीमी रफ्तार के कारण राज्य केवल 334.14 करोड़ रुपये ही आहरित कर पाया, जिस कारण उसे गाँव-देहात की जल आपूर्ति जैसे जनसेवी कार्य के लिए दिए गए 111.48 करोड़ रुपये लौटाने पड़े। छत्तीसगढ़ के लिए केंद्रीय आवंटन (1,908.96 करोड़ रुपये) में इस वित्त वर्ष में हुई इस चार गुना वृद्धि, पिछले वित्त वर्ष के अंत में खर्च न हो पाए 168.52 करोड़ रुपये की राशि और राज्य के समतुल्य अंश के रूप में दी गई राशि में 113.04 करोड़ रुपये की कमी वाली राशि के साथ मौजूदा वित्त वर्ष के लिए राज्य के समतुल्य अंश की राशि को जोड़ कर राज्य के पास ‘जल जीवन मिशन’ से जुड़े कार्यों के लिए 2021-22 में समग्र रूप से 4,268 रुपये पक्के तौर पर उपलब्ध हैं। यानि, ‘हर घर जल’ के लिए धन की कोई कमी नहीं है। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने उम्मीद जताई है कि छत्तीसगढ़ सरकार इस विशाल धनराशि का भरपूर उपयोग कर राज्य के प्रत्येक ग्रामीण घर में नल जल कनेक्शन सुनिश्चित कर पाएगी।
इसके अलावा, 15वें वित्‍त आयोग के तहत ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्‍थाओं को जलापूर्ति एवं स्‍वच्‍छता के लिए दी जाने वाली राशि के रूप में छत्तीसगढ़ को 2021-22 में 646 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके फलस्वरूप, राज्य को अगले पांच वर्षों यानी 2025-26 तक 3,402 करोड़ रुपये का पक्का आश्वासन है। राज्य के ग्रामीण इलाकों में इस विशाल राशि के निवेश से निश्चित तौर पर रोजगार के व्यापक अवसर पैदा होंगे तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई तेज़ी और मजबूती आएगी।


स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और आश्रमशालाओं में बच्चों के लिए शुद्ध पेय जल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सौ दिन के विशेष अभियान की घोषणा की थी, जिसका शुभारंभ केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत तथा राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने 2 अक्तूबर 2020 को किया था। इसके परिणामस्वरूप अनेक राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों: हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, आंध्र प्रदेश, गोवा, तमिल नाडु, तेलंगाना तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह ने स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और आश्रमशालाओं में भी नल से शुद्ध पेय जल उपलब्ध करने का प्रावधान किया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की है कि छत्तीसगढ़ में केवल 11,521 स्कूलों (25%) और 4,810 आंगनवाड़ी केन्द्रों (10%) में ही नल से पेय जल की व्यवस्था है। उन्होने राज्य का आह्वान किया है कि अगले कुछ महीनों में सभी शेष स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और आश्रमशालाओं में भी नल से पेय जल पहुंचाया जाए ताकि बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य और स्वच्छ माहौल उपलब्ध कराया जा सके।
‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत राज्यों को जल संकटग्रस्त/ सूखाप्रभावित क्षेत्रों, जल गुणवत्ता प्रभावित गांवों, आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों, सांसद आदर्श ग्राम योजना गांवों, आदि को प्राथमिकता प्रदान करनी होती है।
इसी प्रकार, जल-गुणवत्ता निगरानी तथा पर्यवेक्षण से जुड़ी गतिविधियों को प्राथमिकता देना भी जरूरी है, जैसे कि प्रत्येक गांव में 5 महिलाओं को प्रशिक्षित करना, पेयजल-स्रोत की जांच करवाना, नियमित स्वच्छता सर्वेक्षण करवाना, जल-जांच प्रयोगशालाओं को आम जनता के लिए खोलना, जल-जांच प्रयोगशालाओं को और बेहतर बनाना, आदि। छत्तीसगढ़ में मौजूद 68 जल जांच प्रयोगशालाओं में से केवल 3 ही एनएबीएल से प्रमाणीकृत हैं। राज्य को शेष प्रयोगशालाओं को भी और बेहतर बनाना होगा तथा ज़्यादा से ज़्यादा प्रयोगशालाओं को एनएबीएल प्रमाणीकरण दिलाने का प्रयास करना होगा।


‘जल जीवन मिशन’ अपनी कार्यप्रणाली में विकास के ‘नीचे से ऊपर की ओर’ के दृष्टिकोण को अपनाए हुये है, जिसमें स्थानीय लोगों को समूची प्रक्रिया के प्रारम्भ से ही साझीदार के रूप में शामिल किया जाता है। इसे हासिल करने के लिए राज्य सरकार को कुछ और सहयोग गतिविधियां भी चलानी होंगी जैसे कि ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति/ पानी समिति को सुदृढ़ और अधिकारसमपन्न बनाना, अगले पाँच वर्षों के लिए ग्राम कार्य योजना बनाना तथा स्वयंसेवी संस्थाओं को ‘कार्यान्वयन सहयोग एजेंसियों’ (आई.एस.ए.) के रूप में शामिल करना ताकि वे सामुदायिक जागृति पैदा करने, ग्रामीणों के प्रशिक्षण और आईईसी गतिविधियों, आदि में मदद कर सकें। छत्तीसगढ़ में गावों की विशाल संख्या के मद्देनजर उसे 2021-22 के लिए निर्धारित 14 की बजाय और ज़्यादा संख्या में कार्यान्वयन सहयोग एजेंसियां शामिल करनी होंगी। ग्रामीण लोगों को इस प्रकार से सहयोग प्रदान करना और उनकी क्षमता में वृद्धि करना हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए चलाई जा रही जल आपूर्ति प्रणाली को लंबे समय तक चलाने तथा उनके प्रचालन और रखरखाव के लिए निर्णायक साबित होती हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से घोषित ‘जल जीवन मिशन’ का लक्ष्य देश के सभी ग्रामीण घरों को 2024 तक नल के जरिये शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराना है। इस मिशन को राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों की साझेदारी में चलाया जा रहा है। ‘जल जीवन मिशन’ के लिए इस वित्त वर्ष में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि उपलब्ध है (केंद्रीय अनुदान के 50,011 करोड़ रुपये, राज्यों का समतुल्य अंश, तथा 15वें वित्त आयोग के तहत ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्थाओं को जल एवं स्वच्छता कार्यों के लिए निर्धारित 26,940 करोड़ रुपये) जो गाँव-देहात की पेय जल आपूर्ति परियोजनाओं पर खर्च की जानी है। निश्चित तौर पर इस विशाल धनराशि से देश के ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं, और गाँव-देहात की अर्थव्यवस्था को नई शक्ति, नई ऊंचाई हासिल हो रही है।