दिल्ली में साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत की शानदार शुरुआत

  • पहले दिन संतूर की धुन, मरहूम की याद में और शायरी नशिस्त जैसी गतिविधियों से झूम उठा दिल्ली
  • दूसरे दिन बैतबाजी, मुशायरा- नौ-बहार, सिनेमा में एनएसडी, अपनी-अपनी कहानी – अपने-अपने किरदार, जुगलबंदी सितार और सेलो, महफिल-ए-कव्वाली और कवि सम्मलेन जैसे कार्यक्रम शामिल
  • मुशायरा दिल्ली वालों का, रहें ना रहें हम, सच्ची दा की कहानियाँ, सुखन बहार- मुशायरा, रक्स करती हुई तस्वीर नज़र आई है, सुर-साधना और बांसुरी वादन जैसी दिलकश गतिविधियाँ बढ़ाएँगी तीसरे दिन का मान

दिल्ली, 08 नवंबर, 2024: दिल वालों की नगरी, दिल्ली, साहित्य और संगीत के महाकुंभ ‘जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत’ का गवाह बनी है। भारत के सबसे लोकप्रिय साहित्योत्सव में से एक, यह आयोजन साहित्य, संगीत और संस्कृति के विविध रंगों को एक मंच पर प्रस्तुत करने का माध्यम बना है। यह महोत्सव 8 से 10 नवंबर 2024 तक एम्फी थिएटर, इंडिया हैबिटेट सेंटर (आईएचसी) लोदी रोड, दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम में शास्त्रीय गायन, गज़ल गायन, पैनल चर्चाएं, बैतबाज़ी, नाटक, दास्तानगोई, मुशायरा, कवि सम्मेलन, कव्वाली, वाद्य संगीत, शास्त्रीय नृत्य और लोक गायन जैसी एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियाँ होंगी। कार्यक्रम में प्रवेश पूरी तरह से नि:शुल्क है और www.jashneadab.org लिंक पर खुद को रजिस्टर करके इसमें शामिल हुआ जा सकता है।

इस भव्य जश्न को लेकर अपना उत्साह व्यक्त करते हुए, जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत के संस्थापक, कुँवर रंजीत चौहान ने कहा, “जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और उसे जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम है। हम उम्मीद करते हैं कि दिल्ली में आयोजित होने जा रहा यह समारोह जश्न-ए-अदब के सबसे सफलतम कार्यक्रमों में से एक होगा और साहित्य तथा संस्कृति प्रेमी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। यह आयोजन सिर्फ एक महोत्सव नहीं, बल्कि भारतीय साहित्य और संस्कृति की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने का एक अनूठा प्रयास है। इस वर्ष का आयोजन विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि इसमें देश के कुछ सबसे प्रतिष्ठित कलाकार और साहित्यकार शामिल हो रहे हैं।”

पहले दिन की शुरुआत 8 नवंबर, 2024, शुक्रवार को भव्य उद्घाटन समारोह के साथ हुई। उद्घाटन समारोह का मुख्य आकर्षण मशहूर संतूर वादक पद्मश्री पंडित सतीश व्यास का कार्यक्रम ‘संतूर की धुन’ रहा, जिसने श्रोताओं को संगीत की अद्भुत दुनिया की सैर कराई। इसके बाद पतरस बुखारी की ‘मरहूम की याद में’ नामक हास्य नाट्य प्रदर्शन हुआ, जिसे तारिक़ी हामिद ने प्रस्तुत किया। इस नाटक ने दर्शकों को हँसी के ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। इस दिन का समापन शायरी नशिस्त के आयोजन के साथ हुआ, जिसमें फ़रहत एहसास, मदन मोहन दानिश, डॉ. ओम निश्चल, अज़म शाकिरी, मोइन शादाब, अश्वनी कुमार चंद-आईपीएस, रजनीश गर्ग-आईएएस, रहमान मुसव्विर, कुँवर रंजीत चौहान और अमीर इमाम शामिल थे। इस सत्र की निज़ामत खुबाइब अहमद ने की। शायरी की इस महफिल में अदब और कलाम के रंग बिखेरने का काम किया, जिससे श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।

9 नवंबर, 2024 को शनिवार के दिन, ‘बैतबाजी’- उर्दू शायरी का खेल, युवा कवियों की संगोष्ठी ‘मुशायरा- नौ-बहार’, और ‘सिनेमा में एनएसडी’, ‘अपनी-अपनी कहानी – अपने-अपने किरदार’, ‘महफिल-ए-कव्वाली’ और ‘कवि सम्मलेन’ जैसे कई आकर्षक सत्र आयोजित किए जाएँगे। जहाँ एक तरफ, बैतबाजी का खेल विशेष रूप से युवा शायरों के बीच लोकप्रिय है, तो ऐसे में यह उर्दू शायरी के प्रति उनकी निष्ठा और प्रेम को प्रदर्शित करेगा। वहीं, दूसरी तरफ युवा कवियों की संगोष्ठी ‘मुशायरा- नौ-बहार’ की कमान अदनान शेख, शोएब फिरोज़ी, दक्षत रावल मिराज, नितिन कबीर, मीम अलिफ़ शाज़ और इशरत सग़ीर के हाथों में होगी। ‘सिनेमा में एनएसडी’ में जाने-माने एक्टर सुशील पांडे और डॉ. आमना मिर्ज़ा के बीच महत्वपूर्ण संवाद होगा। इसके बाद मशहूर अभिनेता और लेखक मनु ऋषि चड्ढा द्वारा कहानी वाचन का सत्र ‘अपनी अपनी कहानी – अपने अपने किरदार’ आयोजित किया जाएगा, जिसमें वे अपने अनोखे अंदाज़ में कहानियाँ प्रस्तुत करेंगे।

शाम को ‘परंपरा से नवाचार तक- रंगकर्म से ओटीटी की यात्रा’ पर चर्चा आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रसिद्ध अभिनेता और लेखक मनु ऋषि चड्ढा, प्रसिद्ध अभिनेत्री सुनीता राजवार, प्रसिद्ध अभिनेता और लेखक अतुल तिवारी, प्रसिद्ध अभिनेता सुशील पांडे और सिनेमा की दिग्गज सुश्री निरुपमा कोटरू-आईआरएस के साथ प्रसिद्ध पत्रकार, संकेत उपाध्याय का संवाद होगा। इस चर्चा में थिएटर से ओटीटी तक की यात्रा के अनुभव और चुनौतियों पर विचार-विमर्श होगा। इसके बाद पंडित शुभेंद्र राव और विदुषी सस्किया राव के साथ तबला वादक ज़ुहेब अहमद खान की ‘जुगलबंदी सितार और सेलो’ का प्रदर्शन होगा। यह जुगलबंदी श्रोताओं को भारतीय और पश्चिमी संगीत का अनूठा संगम पेश करेगी।

शाम में कव्वाली के रंग भरते हुए, राजा सरफराज दरबारी द्वारा ‘महफिल-ए-कव्वाली’ का आयोजन होगा, जो श्रोताओं को सूफी संगीत की गहराइयों में ले जाएगा। इस दिन का समापन ‘हँसते गाते – कवि सम्मेलन’ से होगा, जिसमें पद्म सुरेंद्र शर्मा, महेंद्र अजनबी, वेद प्रकाश वेद, संगीता गुप्ता-आईआरएस, और निलोत्पल मृणाल जैसे प्रसिद्ध कवि शामिल होंगे। इस कवि सम्मेलन में हास्य और व्यंग्य के रंग बिखेरेंगे, जिससे श्रोता ठहाके लगाते रहेंगे।

10 नवंबर, 2024 को रविवार के दिन, विशेष सत्र ‘यही कहा था मेरी आँख देख सकती है – सो मुझ पे टूट पड़ा सारा शहर-ए-नाबीना’ का आयोजन होगा, जिसमें दृष्टिहीन कवियों द्वारा कविता पाठ किया जाएगा। इस सत्र में यह दर्शाया जाएगा कि कैसे दृष्टिहीन कवि अपनी कविताओं के माध्यम से दुनिया को देखने और समझने का प्रयास करते हैं। इसका नेतृत्व चंद्रवीर, मनोज कुमार वाजपेई, उदय पाल सिंह चौहान, शैलेन्द्र साहिल, सैफुर रहमान ‘सैफ’ और संतोष कुमार दिनकर करेंगे। इसके बाद ‘मुशायरा दिल्ली वालों का’ आयोजित किया जाएगा, जिसमें डॉ. इफ़्फ़त ज़रिन, शाहिद अनवर, डॉ. वसीम राशिद, सिकंदर मिर्जा, शाकिर देहलवी, अनस फैज़ी, खालिद अखलाक और इमरान रही जैसे शायर अपनी दिलकश शायरियों से महफिल लूटेंगे। ‘रहें ना रहें हम’- बॉलीवुड के दो महानायकों, मोहम्मद रफी और राज कपूर, की शताब्दी समारोह के दौरान प्रसिद्ध लेखक पवन झा, अभिनेता और लेखक अतुल तिवारी और सिनेमा की दिग्गज सुश्री निरुपमा कोटरू-आईआरएस के साथ डॉ. आमना मिर्जा का संवाद होगा।

इसके बाद कवि, लेखक, रंगमंच व्यक्तित्व एवं सदस्य सचिव, आईजीएनसीए डॉ. सच्चिदानंद जोशी द्वारा ‘सच्ची दा की कहानियाँ’ – लघु कथा पाठ का सत्र होगा। इस सत्र में डॉ. जोशी अपनी कहानियों के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करेंगे। इसके बाद ‘सुखन बहार- मुशायरा’ के आयोजन में प्रो. वसीम बरेलवी, पद्म श्री। प्रो. अशोक चक्रधर, डॉ. सुनील पंवार ‘वारी’, आलोक अविरल, कर्नल गौतम राजऋषि, पवन कुमार-आईएएस, नैना सोइन कपिल-आईआरएस, जावेद मुशिरी, अरशद नदीम, शिखा पचौली और रंजन निगम शामिल होंगे। इस मुशायरे में अदब और शायरी के रंग बिखेरेंगे, जिससे श्रोताओं को साहित्य का सच्चा आनंद मिलेगा।

अंतिम दिन की शाम ‘रक्स करती हुई तस्वीर नज़र आई है’ पद्मश्री गुरु शोवना नारायण द्वारा कथक प्रदर्शन से सजी होगी। यह कथक प्रस्तुति दर्शकों को भारतीय शास्त्रीय नृत्य की सुंदरता और भावनाओं की गहराई में ले जाएगी। इसके बाद, पद्म श्री डॉ. यश गुलाटी द्वारा सैक्सोफोन पर प्रस्तुति महफिल लूटने का काम करेगी। वहीं, समापन समारोह माननीय न्यायाधीश सी.डी. सिंह द्वारा किया जाएगा। ‘सुर-साधना’ में जान डालते हुए पद्म भूषण पं. साजन मिश्रा, प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय गायक स्वारांश मिश्रा, तबला वादक दुर्जय भौमिक और हारमोनियम वादक दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने का काम करेंगे। ‘बांसुरी वादन’ कार्यक्रम में प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय बांसुरी वादक और पद्म विभूषण पं. हरिप्रसाद चौरसिया समेत तबला वादक उस्ताद रशीद मुस्तफा की दिलकश प्रस्तुतियाँ शामिल होंगी।

इस तरह, ‘जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत’ का यह आयोजन साहित्य, संगीत और संस्कृति के रंगों से सजी एक अद्भुत यात्रा होगी, जो न सिर्फ दिल्ली के दिल में बस जाएगी, बल्कि लंबे समय तक दिल वाली दिल्ली में यादगार भी बनी रहेगी। यह महोत्सव न केवल भारतीय संस्कृति की समृद्धि को प्रदर्शित करेगा, बल्कि लोगों को एक साथ लाने और उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा। साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत का यह साहित्योत्सव एक बार फिर साबित करेगा कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर कितनी विविध और समृद्ध है।

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