रायगढ़, 08 नवम्बर (वेदांत समाचार) . रायगढ़ जिला प्रशासन की टीम ने आज केलो नदी के किनारे अंग्रेजो जैसा रवैया अपनाते हुए सुबह का सुरज उगने से पहले ही चार मकानों को आधा दर्जन अधिक बुलडोजरों के माध्यम से हटाते हुए सोते हुए लोगों को बेदखल कर दिया। जिस जगह यह कार्रवाई की गई है वहां ओपी चैधरी की पहल पर नालंदा परिसर के साथ-साथ कैफेटेरिया बनना है। हाल ही में एनटीपीसी व एसईसीएल एमओयू भी हो चुका है। अब जगह को लेकर निगम द्वारा जिला प्रशासन के साथ मिलकर कोष्टापारा पास वाले इलाके में पांच मकानों में से चार मकानों को देखते ही देखते ढहा दिया। कहने को तो यहां रह रहे लोग पचास सालों से मकान बनाकर अपना काम कर रहे थे और निगम ने हाल ही में नोटिस देकर जगह को खाली करने को कहा था, अंतिम नोटिस में सुबह 11 बजे तक मकानों को खाली करने संबंधी जानकारी भी दी गई थी लेकिन सुबह पांच बजे ही भारी पुलिस बल लेकर रायगढ़ एसडीएम व नगर निगम की टीम व कई थानों के प्रभारी पहुंचते हैं और देखते ही देखते मकानों को ढहा देते हैं।
यह पहला मौका था जब आजादी के बाद से पहली बार अंग्रेजो की तरह घरों में सो रहे लोगों को सुबह का सूरज देखने को नही मिला और उन्हें जिला प्रशासन और नगर निगम प्रशासन की टीम ने घर से बाहर करते हुए बुलडोजर की माध्यम से उनका घर गिरा दिया। पीड़ित मकान मालिकों का आरोप था कि रायगढ विधायक व प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी चैधरी के दबाव से इस प्रकार की कार्रवाई की गई है वे नालंद परिसर के लिये जगह देने के लिये भी तैयार थे लेकिन इस प्रकार की कार्रवाई काफी निंदनीय है इतना ही नही घरों में रखे सामानों को निकालने का मौका नही दिया गया और वित्त मंत्री के इशारे पर की गई यह कार्रवाई से उनके आशियाने छीन लिये गए हैं।
चार मकान ढहाये गए
नगर निगम व जिला प्रशासन द्वारा जिनके मकान गिराये गए हैं उनमें तारा बाई देवांगन, उमाबाई देवांगन, रामदिन देवांगन और पुरूषोत्तम देवांगन के घर हैं और पांचवा घर दोहन देवांगन के नाम से थे उसे छोड दिया गया। बताया यह भी जाता है कि करीब एक दिन पहले ही इन सभी को निगम द्वारा बेजा कब्जा हटाने के नाम पर नोटिस भी जारी किया गया था। साथ ही साथ यह भी बताया गया था कि 24 घंटे के भीतर वे खाली कर दें, लेकिन सुबह पांच बजे आधा दर्जन से भी अधिक जेसीबी व बुलडोजर उस जगह पहुंचते हैं और पुलिस की भारी मौजूदगी में यह कार्रवाई की गई है।
केलो नदी के किनारे बनना है भव्य नालंद परिसर
रायगढ़ के विधायक व प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी चैधरी ने चुनाव से पहले ही बेरोजगारों के लिये बेहतरीन नालंदा परिसर बनाने का वादा किया था जिसमें सर्व सुविधायुक्त अध्ययन स्थल के अलावा अन्य सुविधाओं से लैस किया जाएगा। जिसके लिये 41 करोड से भी अधिक की राशि खर्च की जानी है और इसमें पहली बार राज्य शासन की बजाए एनटीपीसी व एसईसीएल से सहयोग लेकर निर्माण किया जाना है और हाल ही में इसका एमओयू भी साईन हो चुका है। इसके बाद जिस जगह को चिन्हित किया गया था वहां पांच मकान बेजा कब्जा के तहत आ रहे थे और काम जल्दी शुरू करने के लिये प्रशासन ने आज सुबह सूरज उगने से पहले ही पांच बजे बेदखली की कार्रवाई कर दी है।
विपक्ष की चुप्पी संदेह के दायरे में
हमेशा गरीबों तथा भाजपा शासन के कई कार्यो को लेकर सड़कों में उतरने वाली कांगे्रस के अलावा अन्य विपक्षी दल के लोग चुप हैं जबकि सुबह पांच बजे घरों से बेदखल किये गए गरीब तबकों के लोगों के लिये किसी ने भी कोई विरोध नही किया। मामला प्रशासनिक तथा राज्य शासन से जुडा है और इसलिये कांगे्रस की चुप्पी कई संदेहों को जन्म दे रही है और स्थानीय पार्षद ने भी इस कार्रवाई के लिये कोई विरोध नही किया। इतिहास में पहली बार भारी पुलिस बल की मौजदूगी में बेदखली की यह कार्रवाई चर्चा में आ गई है।
हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका
बताया जा रहा है कि जिस जगह नालंदा कैफेटेरिया परिसर बनना है वहां एक निवासी द्वारा अपने मकान को बचाने के लिये हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और इसी से बचने के लिये निगम ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर याचिका कर्ता तथा अन्य तीन का मकान ढहा दिया। जानकारी के अनुसार सुनवाई आज सुबह 11 बजे थी और स्टे मिलने के बाद निगम वहां कोई काम नही कर पाता इसलिये सुबह पांच बजे बलपूर्वक बेजाकब्जा के नाम पर प्रशासन का कहर सोते हुए लोगों पर टूटा।
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