छठ पूजा, बिहार का एक महत्वपूर्ण त्योहार, सूर्योपासना और लोक आस्था का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल बिहार में बल्कि पूरे देश और दुनिया में मनाया जाता है। छठ पूजा की तैयारी हफ्तों पहले शुरू हो जाती है, जिसमें घरों की सफाई, नदियों और तालाबों के घाटों की सजावट और कठिन व्रत शामिल है।
इस त्योहार का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक भी है। यह हमारी कल्चरल यूनिटी का सिंबल है और आज बिहार के लोगों के साथ-साथ अन्य समुदाय भी इसे मनाते हैं। छठ पूजा के साथ बिहार की मिट्टी की खुशबू से मानो पूरी दुनिया महक जाती है।
वेदांता ग्रुप के चेयरमैन और अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल बताते है कि जब मैं अपने बचपन के छठ पूजा वाले दिनों को याद करता हूँ तो याद आता है सुबह और शाम सबका मिलके गोरिया टोली वाले घर से बांस घाट जाना, जहां महिलाएं छठी मइया को पूजने के लिए उमड़ पढ़ती थीं। वो नज़ारा बस आँखों में बसा हुआ है: पानी के किनारे खड़े व्रतधारी, अपने हाथों में सूप लिए, जिनमें गन्ना, ठेकुआ, नारियल और ताज़े फल सजे होते थे।
बिहार के लोग छठ को सिर्फ एक त्योहार ही नहीं, बल्कि अपनी मिट्टी से जुड़े संस्कार के रूप में देखते हैं। इसकी तैयारी हफ्तों पहले ही शुरू हो जाती है। घर की सफाई, नदियों और तालाबों के घाटों की सजावट, और वो चार दिनों का कठिन व्रत जो पूरी श्रद्धा के साथ रखा जाता है। इस पूजा को मन से करने में एक अलग ही dedication, purity और austerity लगती है।
आज जब मैं देखता हूँ कि छठ का ये पर्व बिहार से निकलकर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता – पूरे देश और दुनिया में मनाया जा रहा है, तो गर्व महसूस होता है। आज सिर्फ बिहारी ही नहीं बल्कि बाकी कम्युनिटीज भी इसे मनाते हैं। ये पर्व हमारी कल्चरल यूनिटी का सिंबल है।
छठी मइया की कृपा से सभी को शक्ति और समृद्धि मिले, यही कामना करता हूँ। सूर्योपासना और लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की आप सबको शुभकामनाएँ!
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