वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल का यह बयान भारतीय सोने की खरीदारी को वरीयता देते हैं. उन्होंने कहा कि चांदी की कीमतें अब 1 लाख रुपए प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गई हैं, और पिछले साल की तुलना में इसकी मांग दोगुनी हो चुकी है. आइए अब यह समझते हैं कि चांदी की डिमांड क्यों बढ़ रही है?
कोरबा,05 नवम्बर (वेदांत समाचार)। सोने की बढ़ती कीमतों के बीच चांदी ने भी निवेशकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर चांदी को भविष्य का महत्वपूर्ण मिनरल बताते हुए इसकी तेजी से बढ़ती मांग की बात कही है. भारतीय सोने की खरीदारी को वरीयता देते हैं. उन्होंने कहा कि चांदी की कीमतें अब 1 लाख रुपए प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गई हैं, और पिछले साल की तुलना में इसकी मांग दोगुनी हो चुकी है.
क्यों बढ़ रही चांदी की डिमांड?
अग्रवाल का कहना है कि यह महज पारंपरिक उपयोग नहीं बल्कि सोलर पैनल्स, इलेक्ट्रिक वाहनों, एडवांस हेल्थकेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में बढ़ती औद्योगिक मांग भी इसकी कीमतों में इजाफा कर रही है. चांदी का यह अनूठा संयोजन, जो इसे न केवल कीमती बल्कि औद्योगिक तौर पर अत्यधिक उपयोगी बनाता है, निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. अग्रवाल ने बताया कि चांदी की आपूर्ति और मांग के बीच का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे इसके भाव में और बढ़ोतरी की संभावना बनी हुई है.
अनिल अग्रवाल ने क्यों कही ये बात?
भारत में चांदी की बढ़ती मांग के मद्देनजर वेदांता ग्रुप के अनिल अग्रवाल ने अपनी कंपनी के योगदान पर भी बात की. उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान जिंक में वे पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित रिफाइनरी के जरिए चांदी का उत्पादन कर रहे हैं. पहले चांदी का उत्पादन कठिन होता था, लेकिन उन्नत तकनीक और काबिल इंजीनियरों के प्रयासों से वेदांता अब दुनिया के सबसे बड़े चांदी उत्पादकों में से एक है. कंपनी का लक्ष्य वैश्विक स्तर पर पहले पायदान पर पहुंचना है, और अपनी संपूर्ण चांदी उत्पादन भारत में ही बेचा जा रहा है, जो राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है.
चांदी का कितना है फ्यूचर?
वेदांता ने राजस्थान में एक नॉन-प्रॉफिटेबल इंडस्ट्रियल पार्क भी स्थापित किया है, जिसमें जिंक और चांदी से जुड़ी हजारों डाउनस्ट्रीम इंडस्ट्रीज को वरीयता दी जाएगी. इन उद्योगों से चांदी में वैल्यू एडिशन होने की संभावना है, जिससे लाखों रोजगार उत्पन्न होंगे. अग्रवाल के अनुसार, यह भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा और चांदी को एक स्थिर निवेश विकल्प के रूप में स्थापित करेगा.
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