कोरबा/पाली 04नवंबर :- सरकारी सिस्टम पर वन माफिया, खनन कारोबारी व बेजा कब्जाधारी भारी पड़ रहे हैं। पाली वन परिक्षेत्र में अवैध कब्जा की शिकायत पर डीएफओ ने वन परिक्षेत्र अधिकारी- कर्मचारियों को फटकार लगाने के साथ ही मामले में विभागीय कार्रवाई के निर्देश के बाद ही हरकत में आए वन अमला ने वनभूमि पर बनाए झोपड़ी तोड़ और बांस, बल्ली जब्त करते हुए वन अपराध का मामला दर्ज किया है।
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कटघोरा वनमंडल अंतर्गत पाली वन परिक्षेत्र के भूमि में सराई, शीशम, सागोन, खैर सहित विभिन्न प्रजातियों के बेशकीमती पेड़ लगे हैं। जहां अवैध कटान के मामले में यह वन परिक्षेत्र हमेशा सुर्खियों में रहा है। जिसके चलते इस वन क्षेत्र में रात के अंधेरे में ही नहीं बल्कि दिन में भी अवैध कटान होने के साथ ही अवैध खनन की आवाज भी गूंजती है। पाली वन परिक्षेत्र की जिम्मेदारी सम्हालने वाले अधिकारी का अपने कर्तव्यों के प्रति किकर्तव्यविमूढता तथा सुरक्षा में लगे वनकर्मियों की निष्क्रियता के चलते वन माफिया काफी हावी हैं। जिससे वनों और वनसंपदा की सुरक्षा रामभरोसे हो चला है। वन माफिया, खनन कारोबारी एवं अवैध कब्जाधारी सरकारी सिस्टम पर हावी होते जा रहे हैं, जिस कारण वनों की अवैध कटाई, वनभूमि पर अवैध खनन व अवैध कब्जा जैसा कृत्य थमने का नाम नहीं ले रहा है। जबकि अधिकारी- कर्मचारी जिस कर्तव्य निर्वहन के लिए शासन से प्रतिमाह मोटी पगार ले रहे है, उस कर्तव्य से विमुख हो चले है। पाली वन परिक्षेत्र के ग्राम माखनपुर में नेशनल हाइवे से लगे वनभूमि में स्थानीय निवासी एक ग्रामीण द्वारा लगभग 5 डिसमिल भूमि पर कब्जा कर झोपड़ी निर्माण की मौखिक शिकायत यहां के ग्रामीणों ने पाली परिक्षेत्र अधिकारी संजय लकड़ा से कर बेजा कब्जा हटाने की मांग की थी, जिसे अधिकारी ने ध्यान नही दिया। तब ग्रामीणों द्वारा 25 अक्टूबर को पूरे मामले की लिखित शिकायत वनमंडलाधिकारी कुमार निशांत से करते हुए कार्रवाई की मांग की। जिसे वनमंडलाधिकारी ने गंभीरता से लेते हुए पाली वन परिक्षेत्र अधिकारी- कर्मचारी को जमकर फटकार लगाई और त्वरित कार्रवाई करते हुए वनभूमि से भेजा कब्जा हटाने के निर्देश दिए। जिसके बाद हरकत में आए पाली वन अमला द्वारा मौके पर पहुँच झोपड़ी को तोड़ते हुए साथ ही बांस, बल्ली सहित अन्य को जब्त करते हुए वन अपराध का मामला दर्ज किया है। डीएफओ श्री निशांत ने अपने अधीनस्थ सभी परिक्षेत्र अधिकारियों- कर्मचारियों को खास हिदायत दी है कि वनों और वन संपदा को नुकसान पहुँचाने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाए। यदि इन मामलों में लापरवाही बरती गई तो संबंधितों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
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