हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के सम्मू गांव में दिवाली का त्योहार नहीं मनाया जाता है। यह परंपरा सदियों पुरानी है, जिसका कारण एक महिला के सती होने के बाद उसके अभिशाप का डर है।
किंवदंती के अनुसार, एक महिला को अपने पति की मृत्यु की खबर मिलने के बाद उसने अपने पति की चिता पर बैठकर सती हो गई थी। इससे पहले वह अपने माता-पिता के घर दिवाली मनाने गई थी। ग्रामीणों का मानना है कि उस महिला ने उन्हें शाप दिया था कि वे कभी भी दिवाली नहीं मना पाएंगे।
इस गांव में दिवाली के दिन कोई विशेष सजावट या रोशनी नहीं की जाती और पटाखों की आवाजें गायब रहती हैं। ग्रामीणों को लगता है कि अगर वे दिवाली मनाते हैं तो कोई भयानक अनहोनी हो सकती है।
गांव की पूजा देवी ने बताया कि जब से वह इस गांव में आई हैं, उन्होंने कभी यहां दिवाली का जश्न मनाते नहीं देखा। गांव के लोग केवल सती की पूजा करते हैं और उनके सामने दीये जलाते हैं।
इस गांव के निवासी दिवाली के दिन घर के अंदर ही रहते हैं और कोई उत्सव नहीं मनाते। उनका मानना है कि दिवाली मनाने से मुसीबत आनी तय है।
[metaslider id="347522"]