इंदौर ,25 अक्टूबर (वेदांत समाचार )।स्मार्ट फ्रेट सेंटर इंडिया (एसएफसी) ने इंदौर में ‘जीरो एमिशन ट्रक्स’ (जेडईटी) पर केंद्रित एक वर्कशॉप का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य भारत के परिवहन क्षेत्र में स्थायी और कम-कार्बन समाधान विकसित करना है। इस वर्कशॉप में सरकार के प्रतिनिधियों, उद्योग के दिग्गजों और विभिन्न इकोसिस्टम भागीदारों ने हिस्सा लिया और मीडियम और हेवी-ड्यूटी ट्रकिंग (एमएचडीटी) के क्षेत्र में जेडईटी को अपनाने की संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा की।
वर्कशॉप की प्रमुख विशेषताएं
इस कार्यक्रम का आयोजन नीति आयोग की ‘ई-फास्ट’ पहल और प्रधानमंत्री के ‘ई-ड्राइव’ के तहत किया गया, जिसका उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और डिकार्बनाइजेशन को बढ़ावा देना है। वर्कशॉप में मुख्य वक्ताओं और विशेषज्ञों ने जेडईटी अपनाने की रणनीतियों, चुनौतियों, और इसे व्यवहारिक रूप देने के उपायों पर विचार साझा किए। इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर इलेक्ट्रिक ट्रकों के उपयोग को बढ़ावा देना है, जिससे भारत के परिवहन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
प्रमुख वक्तव्यों और विचारों पर एक नज़र
इंदौर जिला के एडिशनल कलेक्टर गौरव बेनाल, आईएएस, ने वर्कशॉप के उद्घाटन में कहा, “इंदौर पर्यावरण-संवेदनशील समाधान अपनाने में हमेशा आगे रहा है। एसएफसी की यह पहल ऐसे अवसर पैदा करेगी, जहां विभिन्न भागीदार अपने अनुभव और जानकारियाँ साझा कर सकते हैं, जो हरित परिवहन इकोसिस्टम के विकास में सहायक होगी।”
एसएफसी के डायरेक्टर विजय जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा, “जेडईटी की ओर रुख करना एक बड़ा कदम है। भारत के लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में डीजल की खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में इलेक्ट्रिक ट्रक अहम भूमिका निभाएंगे।”
वर्कशॉप में चर्चा किए गए महत्वपूर्ण मुद्दे:
भारतीय ट्रांसपोर्ट सेक्टर में कार्बन कटौती – भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तेज़ी से बढ़ने के साथ ही सड़क परिवहन में कार्बन उत्सर्जन एक प्रमुख चिंता है। जेडईटी के जरिए कार्बन उत्सर्जन में 46% तक की कमी लाई जा सकती है।
ट्रांसपोर्ट लॉजिस्टिक्स में नवाचार – इलेक्ट्रिक ट्रकिंग से लॉजिस्टिक्स की लागत में 17% की कमी, 2050 तक 838 अरब लीटर डीजल की बचत, और 116 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक लाभ का अनुमान है।
प्रोसेस और इंफ्रास्ट्रक्चर चुनौतियाँ – प्रतिभागियों ने बैटरी चार्जिंग, विनियमनों और इंफ्रास्ट्रक्चर चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने इसे कारगर बनाने के लिए उचित एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) और आपातकालीन प्रक्रियाओं पर भी विचार किया।
इकोसिस्टम का सहयोग – सरकारी अधिकारियों, ओईएम, नीति निर्माताओं, और लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाताओं के बीच सहयोग पर जोर दिया गया।
इस वर्कशॉप ने हरित लॉजिस्टिक्स समाधानों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ जेडईटी से जुड़े व्यवसायिक और पर्यावरणीय लाभों को समझने के लिए एक मंच प्रदान किया। इससे भविष्य में इस क्षेत्र में निवेश और नीति निर्माताओं के साथ निकटता से विचार-विमर्श करने की संभावनाएं भी बढ़ीं हैं। चेन्नई, मुंबई और दिल्ली जैसे अन्य शहरों में भी ऐसी परामर्श सभाओं के बाद परिचालन जोखिम, एसओपी, और जेडईटी के अपनाने की प्रक्रिया को गति देने का प्रयास किया जा रहा है।
इस वर्कशॉप ने इंदौर को जेडईटी इनेबलमेंट के लिए एक नई दिशा दी है और भारत में सतत परिवहन के लक्ष्यों को हासिल करने में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
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