नई दिल्ली । अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन ने पूरे देश के अग्रवाल समाज और हिंदू समुदाय से अपील की है कि दीपावली का पर्व इस वर्ष 31 अक्टूबर को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाए। संगठन के राष्ट्रीय चेयरमैन प्रदीप मित्तल और वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. अशोक अग्रवाल ने जानकारी दी कि दीपावली की दो अलग-अलग तिथियों के कारण समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इसे दूर करने के लिए, संगठन ने प्रभु राम की जन्मस्थली अयोध्या को ध्यान में रखते हुए 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने की अपील की है।
अयोध्या को माना आधार
अग्रवाल संगठन ने गीता मनीषी, ज्ञानाचार्य महाराज ज्ञानानंद से परामर्श के बाद यह निर्णय लिया। संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि जब अयोध्या, जो प्रभु राम की जन्मभूमि और हिंदू धर्म का प्रमुख आस्था केंद्र है, वहां 31 अक्टूबर को दीपावली मनाई जा रही है, तो समस्त हिंदू समाज को भी इस तिथि पर ही त्यौहार मनाना चाहिए।
प्रभु राम की अयोध्या वापसी का प्रतीक दीपावली
दीपावली का पर्व रामायण के अनुसार उस दिन की स्मृति में मनाया जाता है जब अयोध्या के राजा राम 14 वर्षों के वनवास के बाद घर लौटे थे। अयोध्यावासियों ने घी के दीप जलाकर अपने प्रिय राजा का स्वागत किया था। तभी से, हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को दीयों का यह त्यौहार मनाया जाता है, जो असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।
सफाई और सजावट का महत्व
अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन के महासचिव गिरीश मित्तल (नई दिल्ली) और राजेश भरूका (सूरत) ने बताया कि दीपावली स्वच्छता और प्रकाश का पर्व है। दीपावली की तैयारी हफ्तों पहले से शुरू हो जाती है, जिसमें लोग अपने घरों, दुकानों की सफाई, रंगाई-पुताई, और सजावट करते हैं। बाजार और गलियां झंडियों और रोशनी से सज जाती हैं।
समग्र अग्रवाल समाज और हिंदू समुदाय से अपील
संगठन ने पूरे राष्ट्र के अग्रवाल समाज और हिंदू धर्म के अनुयायियों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार के भ्रम में न पड़ें और 31 अक्टूबर 2024 को दीपावली एकजुट होकर प्रेम और उत्साह के साथ मनाएं।
[metaslider id="347522"]