MAMI फिल्म फेस्टिवल में सोहम शाह ने कहा “पहले फिल्में प्यार से बनाई जाती थीं, रणनीति से नहीं !
MAMI फिल्म फेस्टिवल में, “तुम्बाड” के प्रोड्यूसर और एक्टर सोहम शाह ने बताया कि कैसे एक प्रोड्यूसर की फिल्मों के लिए रुचि और प्यार छोटी कहानियों के परिणामों को आकार देती है। उन्होंने इस बात पर भी बात की कि पहले फ़िल्में किसी रणनीतिक योजना का हिस्सा नहीं होती थीं, बल्कि इन्हें सच्चे प्यार से बनाया जाता था।
पैनल डिस्कशन में फिल्म मेकर्स आदित्य सरपोतदार, चिदंबरम और गायत्री गुलाटी के साथ, सोहम ने कहा, “प्रोड्यूसर का काम दिल से होता है। अगर आप सिर्फ दिमाग से करते हैं, तो ये मुश्किल हो जाता है।”
जाने माने प्रोड्यूसर द्वारा फिल्म प्रोड्यूस की प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “80 और 90 के दशक में यश जौहर, यश चोपड़ा और राज कपूर जैसे प्रोड्यूसर्स बिना किसी कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर के, सब कुछ खुद से संभालते थे। यह एक जुनून था, वे एक फिल्म बनाने का फैसला करते थे और अगर कुछ सही नहीं लगता था, तो वे फिर से शूट करने में झिझकते नहीं थे। मुझे लगता है कि यह कला के लिए प्यार ही है जो असल में सिनेमा को इंस्पायर करता है।”
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सोहम शाह की फिल्म तुम्बाड 13 सितंबर को सिनेमाघरों में फिर से रिलीज हुई। राही अनिल बर्वे द्वारा डायरेक्टेड इस फिल्म में सोहम शाह अहम भूमिका में हैं। यह एक शानदार विजुअल्स और विषयगत रूप से गहरी फिल्म है जिसमें हॉरर, फंतासी और लोककथाओं का जबरदस्त मिश्रण है। यह फिल्म पहले 2018 में रिलीज हुई थी, और अब इसे फिर से रिलीज किया गया है, जिससे नए दर्शकों को इसकी खास कहानी और विजुअल स्टाइल का अनुभव करने का मौका मिला है।
ये फिल्म 20वीं सदी के शुरूआत में महाराष्ट्र के छोटे गांव तुम्बाड में सेट है। इसमें विनायक राव की कहानी दिखाई गई है, जिसे सोहम शाह ने प्ले किया है। वो एक छुपी हुई खजाने की तलाश में है जो पौराणिक भगवान हस्तर से जुड़ी हुई है। भारतीय पौराणिक कथाओं के आधार पर यह कहानी लालच, पारिवारिक धरोहर, और महत्वाकांक्षा के नतीजों के विषयों को उजागर करती है।
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