छत्तीसगढ़ीभासी राज सम्मेलन में नंदकिशोर शुक्ल ने किया बड़ा खुलासा, कहा- छत्तीसगढ़ियों के साथ हुआ षड्यंत्र

रायपुर, 21 अक्टूबर 2024। छत्तीसगढ़ीभासी राज सम्मेलन में छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के संरक्षक नंदकिशोर शुक्ल ने एक बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण के समय छत्तीसगढ़ियों के साथ एक बड़ा षड्यंत्र हुआ था।

शुक्ल ने बताया कि 2001 से 2003 तक केंद्र और राज्य सरकार के बीच पत्र व्यवहार में छत्तीसगढ़ी भासी राज्य को ‘क’ श्रेणी में रखा गया, जो हिंदीभासी राज्यों के लिए है, जबकि इसे ‘ख’ श्रेणी में रखा जाना चाहिए था, जो छत्तीसगढ़ी और हिंदी भासी राज्यों के लिए है।

उन्होंने आरोप लगाया कि इस षड्यंत्र का नुकसान आज भी छत्तीसगढ़ियों को उठाना पड़ रहा है, और छत्तीसगढ़ी भाषा को लेकर संघर्ष जारी है। उन्होंने कहा कि 2007 में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिया गया, लेकिन इसमें भी छत्तीसगढ़ियों के साथ छल हुआ। छत्तीसगढ़ी को हिंदी के बाद द्वितीय भाषा लिख दिया गया।

शुक्ल ने आगे कहा कि 2008 में ‘छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग’ गठित किया गया था, लेकिन बाद में इसमें बदलाव कर इसे ‘छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग’ कर दिया गया। उन्होंने कहा कि 2020 में केंद्र सरकार की ओर से नवा शिक्षा नीति के तहत छत्तीसगढ़ में भाषायी सर्वेक्षण कराया गया, जिसमें पाया गया कि 65% से अधिक लोगों की मातृभाषा छत्तीसगढ़ी है, लेकिन अभी भी छत्तीसगढ़ियों के साथ छल और षड्यंत्र चल रहा है।

सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि जल्द ही राज्य के मंत्रियों और मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे और छत्तीसगढ़ी को सरकारी काम-काज और पढ़ाई का माध्यम बनाने का निर्देश देने की मांग करेंगे।

इस सम्मेलन में साहित्यकार, संस्कृति विशेषज्ञ, रंगकर्मी, पत्रकार, शिक्षक, लोक कलाकर, कर्मचारी नेता, छात्र और संगठन सेनानी शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वैभव बेमेतरिहा ने किया।