रेल कर्मियों के लिए बड़ी राहत! अब मेदांता जैसे बड़े अस्पतालों में होगा फ्री इलाज, रेलवे का 13 निजी अस्पतालों से करार…

रेल कर्मियों को गंभीर बीमारी होने पर इमरजेंसी की स्थिति में वह रेलवे के पैनल में शामिल निजी अस्पताल में उम्मीद कार्ड के आधार पर भर्ती हो सकेंगे। उन्हें रेलवे अस्पताल पहुंचकर रेफर कराने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। निजी अस्पताल 24 घंटे में रेलवे अस्पताल को ऑनलाइन इमरजेंसी रेफर लेटर भेजेगा। रेलवे अस्पताल की सहमति के बाद निश्शुल्क उपचार जारी रहेगा।

यह सुविधा इमरजेंसी की स्थिति में ही मिलेगी। सामान्य स्थिति में रेलवे अस्पताल से चयनित निजी अस्पताल के लिए रेफर की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

एलएनएम का 13 निजी अस्पतालों के साथ करार जारी

ललित नारायण मिश्र केंद्रीय रेलवे अस्पताल (एलएनएम) का 13 निजी अस्पतालों के साथ करार जारी रहेगा। एलएनएम प्रशासन ने मेदांता, द मेडिसिटी सेक्टर- 38, गुड़गांव के साथ 30 सितंबर 2025 तक कैशलेस उपचार के लिए करार कर लिया है।

महाप्रबंधक सौम्या माथुर की सहमति के बाद चिकित्सा निदेशक डॉ. मो. असगर अली खान ने लखनऊ, वाराणसी, इज्जतनगर और गोंडा के मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को मेदांता में रेफर करने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया है।

रेलवे के पैनल में शामिल निजी अस्पतालों की लिस्ट

  • मेंदाता, द मेडिसिटी, सेक्टर- 38, गुडगांव
  • यशोदा हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, गाजियाबाद
  • सर्वोदय हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, फरीदाबाद- हरियाणा
  • फोर्टिस एस्कोर्ट हर्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर- नई दिल्ली
  • नियो हास्पिटल- सेक्टर- 50 नई दिल्ली
  • विजिटेक आई सेंटर- नई दिल्ली
  • बत्रा हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, नई दिल्ली
  • न्यू प्रकाश क्लीनिक, निकट कौवाबाग पुलिस चौकी, गोरखपुर
  • श्रीराम जानकी नेत्रालय एडी चौक जुबिली रोड, गोरखपुर
  • श्री साईं नेत्रालय दस नंबर बोरिंग सोनौली रोड, गोरखपुर
  • फातिमा हास्पिटल, पादरी बाजार- गोरखपुर
  • न्यू उदय हास्पिटल, गोलघर- गोरखपुर
  • सावित्री हास्पिटल, दिलेजाकपुर- गोरखपुर

बुजुर्गों की मदद को आगे आ रही बरेली पुलिस

वहीं जिले की पुलिस को लेकर भी एक गर्व करने वाली बात सामने आई है। बरेली पुलिस अब बुजुर्गों की मदद को आगे आ रही है। एसएसपी के आदेश पर एसपी सिटी और एसपी नार्थ अपने-अपने क्षेत्रों में रहने वाले बुजुर्ग दंपती या एकल बुजुर्ग की लिस्ट तैयार करा रहे हैं। जिससे यदि उन्हें कोई समस्या होती है तो उनके दरवाजे तक स्वयं पुलिस मदद लेकर पहुंचे। उन्हें किसी भी तरह की कोई समस्या न हो।

यहां ऐसे बहुत से बुजुर्ग हैं जो अपना बसर गुजर अकेले कर रहे हैं। उनकी देखभाल करने के लिए कोई नहीं हैं। इन्हीं लोगों की मदद को एक बार फिर से पुलिस आगे आ रही है।

एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि लिस्ट फाइनल होने के बाद जिन बुजुर्गों या दंपतियों की कोई देखरेख करने वाला कोई नहीं हैं। उनकी देखरेख के लिए संबंधित बीट आरक्षी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। संबंधित थाना या चौकी का बीट सिपाही बुजुर्गों से संपर्क कर उनका नंबर लेगा और अपना नंबर उन्हें देकर आएगा। जिससे यदि उन्हें कभी कोई आवश्यकता होती है तो वह फोन कर सकें।