जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कुछ तो गड़बड़ है…! नौकरशाहों की मनमानी चर्चा में… लीपापोती, कानून का मजाक व नोटिस का चल रहा खेल, जिला प्रशासन की खामोशी बना गंभीर विषय

कोरबा 05 अक्टूबर 24 (वेदांत समाचार):- जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। नागरिक भी सवाल उठाते कहने लगे हैं कि कुछ तो गड़बड़ है। अहम बात ये है कि जनशिकायतों को प्राथमिकता से सुने जाने के निर्देश मुख्यमंत्री और कलेक्टर ने जिले के सभी विभाग प्रमुखों को दिए हैं। इसके बावजूद कहीं- कहीं महीनो बीतने पर भी आवेदकों को कोई संतोषजनक जवाब न देकर हर बार टाल दिया जा रहा है। जिला शिक्षा कार्यालय में भी ऐसी स्थिति निर्मित हो चला है, जहां के नौकरशाहों द्वारा प्रधान पाठकों की पदोन्नति मामले में उजागर गोलमाल पर लीपापोती, सूचना का अधिकार कानून का मजाक व शिक्षकों की मनमानी पर कारण बताओ नोटिस जारी करने तक सीमित रहना चर्चा में है। ऐसे में विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजिमी है। जिस पर जिला प्रशासन की खामोशी और भी गंभीर विषय बनकर रह गया है।

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में चल रही मनमानी एवं अफसरशाही इन दिनों चरम पर है। जहां से अनेकों गड़बड़ियां उजागर हो रही है। कोरबा विकासखण्ड के स्कूलों के10 प्रधान पाठकों की पदोन्नति के मामले में उजागर हुआ गोलमाल समय के साथ दबा दिया गया और पूरी लीपापोती करते हुए उन प्रधान पाठकों को भी बचा लिया गया, जिनके रिकार्ड ही नही मिल रहे है। वहीं सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के कानून का भी मजाक बना लिया गया है और आमजनों को समय पर व सही जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जाती है। यह आरोप आरटीआई कार्यकर्ता बादल दुबे (विजय) ने लगाया है। बादल ने कहा कि उसके द्वारा 12 जून 2024 को सूचना का अधिकार के तहत पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक के एक हायर सेकेण्डरी स्कूल में पदस्थ शिक्षक के सेवा पुस्तिका में संलग्न दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति जनसूचना पदाधिकारी सह खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मांगी थी। समय सीमा पर जानकारी उपलब्ध न कराने के कारण आवेदक ने 21 जुलाई 2024 को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रथम अपील के माध्यम से चाही गई जानकारी का मांग किया गया। जहां अपीलीय प्राधिकार सह जिला शिक्षाधिकारी ने सुनवाई की तिथि 08 अगस्त निर्धारित की। लेकिन बाद में सुनवाई तारीख को आगे दर आगे बढ़ाते हुए 16 सितंबर और बाद 19 सितंबर कर दी गई। इस तारीख को जब आवेदक कार्यालय में उपस्थित हुआ तो उसे जानकारी देने में आनाकानी करते हुए राज्य सूचना आयोग जाने नसीहत दे दी गई। आवेदक बादल का कहना है कि जिस शिक्षक से संबंधित जानकारी मांगी गई है, उनके द्वारा अपनी सेवा पुस्तिका में फर्जी दस्तावेज संलग्न कर शासन को धोखे में रख नौकरी हासिल की है। जिसे बचाने के चक्कर में बीईओ से लेकर डीईओ तक जानकारी उपलब्ध नही करायी जा रही। वहीं इस विभाग में कारण बताओ नोटिस भी एक औपचारिकता बन गया है। एक शिकायती मामले में पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक के हाईस्कूल पाली में पदस्थ व्याख्याता भरतलाल कुर्रे के द्वारा मई 2023 से लेकर जून 2024 तक बिना उपस्थिति 14 माह का वेतन आहरण कर लिया गया। जिसकी लिखित शिकायत जिला कांग्रेस कमेटी के ब्लाक अध्यक्ष (आरटीआई विभाग) ने 10 जुलाई 2024 को जिला शिक्षा अधिकारी से कर व्याख्याता पर निलंबन, एफआईआर व रिकवरी की मांग की थी। मामले में जांच कराया गया जिसमे व्याख्याता के विरुद्ध शिकायत सही पाई गई और 20 अगस्त 2024 को कारण बताओ नोटिस जारी कर व्याख्याता से 3 दिवस के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया। जिसके सप्ताह भर बाद उक्त व्याख्याता को पोड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड के स्रोत समन्वयक बना दिया गया। इसी तरह प्राथमिक शाला राताखार के सहायक शिक्षक योगेंद्र साहू द्वारा विद्यालय में बच्चों से मारपीट करने, एक बच्चे को उठाकर पटक दिया जाने, जिससे बच्चों का स्कूल आना कम हो गया। प्राथमिक शाला सेक्टर 05 बाल्को की सहायक शिक्षिका (एल.बी.) श्रीमती राजेश्वरी चंद्रा द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी के निरीक्षण के दौरान प्रधान पाठक के संबंध में झूठ बोले जाना, दैनंदनी पंजी मांगे जाने पर प्रस्तुत नही करना, प्रवेशित छात्र को किस कक्षा में प्रवेश दिया गया है, दाखिल खारिज पंजी में यह उल्लेख नही करना। वहीं शा.प्रा.शा. सेक्टर 05 बाल्को के प्रधान पाठक उमेद रात्रे को बिना पूर्व सूचना शाला में अनुपस्थित रहने, दैनंदनी पंजी का संधारण नही करने और प्रवेशित छात्र को किस कक्षा में प्रवेश दिया गया है, यह उल्लेख नही करने के कारण से सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और यह उल्लेख करते हुए कि उक्त कृत्य अपने कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही एवं उदासीनता को प्रदर्शित करता है, जो छ.ग. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के विरुद्ध है। इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण 3 दिवस के भीतर अधोहस्ताक्षरकर्ता के समक्ष उपस्थित होकर देना सुनिश्चित करें। जवाब संतोषप्रद नही पाए जाने पर एक पक्षीय अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावेगी। जिसकी संपूर्ण जवाबदारी आपकी होगी। इस तरह कारण बताओ नोटिस तो जारी किया जा रहा लेकिन आगे क्या कार्यवाही की गई, इसके संबंध में जानकारी सार्वजनिक नही किया जा रहा। ऐसे में कारण बताओ नोटिस महज औपचारिकता निभाने की परंपरा नजर आ रहा है।

सतर्कता शाखा प्रभारी बेपरवाह, अधिकारी भी दिखा रहे नरमी
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में नोटिस जारी करने अथवा कार्रवाई सम्बंधी पत्र जारी करने का कार्य सतर्कता शाखा प्रभारी के द्वारा किया जाता है। जिनके द्वारा डीइओ के निर्देश पर निर्धारित दिवस की समय सीमा में जवाब देने को कहा जाता है, लेकिन उस पर तय समय में जवाब न मिलने पर न तो वरिष्ठ अधिकारी को अवगत कराया जाता है और न ही सम्बंधित को ही सूचित किया जाता है। जनशिकायत के आवेदन की सुनवाई में देरी की जाती है। वहीं आवेदनों की शीघ्र सुनवाई अथवा कर्मियों को दिए गए नोटिस के जवाब की समय सीमा में तामीली को लेकर अधिकारी भी गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। समय पर नोटिस का जवाब न मिलने के मामले में भी संज्ञान नही लिया जाता। अब सवाल यह है कि कर्तव्यों में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों को नोटिस जारी किया जाता है और तीन दिवस के भीतर स्पष्टीकरण मांगा जाता है। लेकिन 3 दिन का समय बीत जाए और स्पष्टीकरण न मिलने से कार्यवाही आधी- अधूरी रहे तो ऐसे में नोटिस में तीन दिन की समय सीमा दिए जाने का औचित्य क्या रह जाता है।