वटसावित्री व्रत मान्यता है कि इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है।
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 09 जून 2021 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से शुरू हो जाएगी। जो कि 10 जून 2021 को शाम 04 बजकर 22 मिनट तक होगी। वट सावित्री व्रत का पारण 11 जून 2021, दिन शुक्रवार को किया जाएगा।
इसके अलावा इस साल के 10 जून 2021 को पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है. अर्थात 10 जून को जहां वट सावित्री व्रत है, वहीं इसी दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है. ऐसे में इस बार इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है. पंचांग के मुताबिक़, सूर्य ग्रहण 10 जून को दोपहर 01: 42 बजे से शुरू होगा और शाम 06: 41 बजे समाप्त होगा।
सूर्य ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर शाम के 6 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. भारत में ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं है.
वट सावित्री व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए कई तरह के व्रत रखती हैं. इन्हीं व्रतों में से एक है वट सावित्रि व्रत. हिन्दू महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है. सुहागन महिलाएं इस दिन अपने सुहाग की दीर्घायु के लिए पूजा-पाठ करती हैं और व्रत रखती हैं. यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन रखा जाता है. वट सावित्री व्रत में ‘वट’ और ‘सावित्री’ दोनों का विशेष महत्व है. इस व्रत में सुहागिन महिलाएं बरगद के वृक्ष के चारों ओर घूमकर इस पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो पत्नी इस व्रत को सच्ची निष्ठा से रखती है उसे न सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि उसके पति पर आई सभी परेशानियां भी दूर हो जाती हैं.
वट सावित्री व्रत का महत्व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं. ऐसे में इस व्रत का महिलाओं के बीच विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन वट के पेड़ का पूजन किया जाता है. इस दिन सुहागिनें वट वृक्ष का पूजन कर इसकी परिक्रमा लगाती हैं. महिलाएं सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर इसके सात चक्कर लगाती हैं. इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं.
वट सावित्री व्रत पूजा विधि
माता सावित्री और सत्यवान की पूजा करते हुए वृक्ष की जड़ में पानी दें. पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल तथा धूप का प्रयोग करें. जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें. बड़ के पत्तों के गहने पहनकर वट सावित्री की कथा सुनें. भीगे हुए चनों का बायना निकालकर, नकद रुपए रखकर अपनी सास के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें. पूजा समाप्ति पर ब्राह्मणों को वस्त्र तथा फल, बांस के पात्र में रखकर दान करें. इस व्रत में सावित्री-सत्यवान की पुण्य कथा को सुनना न भूलें. यह कथा पूजा करते समय दूसरों को भी सुनाएं.
शुभ मुहूर्त
वट सावित्री व्रत 10 जून, 2021 को रखा जाएगा. हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को यह व्रत होता है. इस साल ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 9 जून को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी और 10 जून, शाम 4 बज कर 22 मिनट तक रहेगी. इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. इन पर अमल करने से पहले अपनी संबधित पुरोहित पंडितों से संपर्क करें।
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