कोरबा, 26 सितंबर (वेदांत समाचार)। छत्तीसगढ़ में अधिकारी और कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन पर हैं। इस आंदोलन के कारण शुक्रवार को सभी सरकारी कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन द्वारा ‘कलमबंद-कामबंद, तालाबंद’ का आव्हान किया गया है, जिससे सरकारी सेवाओं पर व्यापक असर पड़ा है। इस हड़ताल के कारण न केवल सरकारी कार्यालय, बल्कि स्कूलों में भी शिक्षक नदारद रहे, जिससे शैक्षिक गतिविधियां प्रभावित हुईं।
फेडरेशन के बैनर तले यह चौथे चरण का आंदोलन है, जिसमें जिले भर के सभी विभागों के हजारों अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए हैं। जगदीश खरे, अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन संयोजक ने कहा, “हमारी मुख्य मांग मोदी गारंटी लागू करने की है, जिससे कर्मचारियों के हित में फायदा होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारी अन्य मांगें भी हैं, जिनमें कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि, पदोन्नति में सुधार और सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन में वृद्धि शामिल हैं।”
आंदोलन के कारण सरकारी अस्पतालों में भी सेवाएं प्रभावित हुईं। मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। आंदोलन के समर्थन में विभिन्न संगठनों ने भी अपनी एकजुटता दिखाई।
सरकार ने आंदोलनकारियों से बातचीत के लिए एक समिति गठित की है, जो उनकी मांगों पर विचार करेगी। आंदोलन के नतीजे के लिए सभी की निगाहें सरकार और आंदोलनकारियों के बीच होने वाली बातचीत पर टिकी हैं।
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