नए भारत के निर्माण की राह दिखाने वाले पंडित दीनदयाल : भावना बोहरा

कवर्धा। 25 सितम्बर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने उनके आदर्शों और विचारों के बारे में संवाद किया। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन के बारे में बताया।

भावना बोहरा ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति के एक प्रमुख विचारक हुए जिन्होंने भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीयता और अंत्योदय के विकास पर देश की राजनीति को एक नई दृष्टि दी। “अंत्योदय” का सिद्धांत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए समर्पित है। स्वतंत्रता के बाद एक तरफ जहां भारत प्रगति के नए सपने देख रहा था वहीं दूसरी ओर समाज की पंक्ति में आगे खड़े लोगों की दुर्दशा पंडित को बेचैन कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि देश की तत्कालीन राजनीतिक व्यवस्था इस अंतर को मिटाने में सक्षम नहीं है क्योंकि व्यवस्था का दृष्टिकोण भारतीय नहीं है। इस उद्देश्य से उन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए अंत्योदय को एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया। दीनदयाल का मानना था कि विकास का असली मतलब केवल आर्थिक वृद्धि नहीं, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग के उत्थान में है। किसी भी समाज की सच्ची प्रगति उस समाज के अंतिम व्यक्ति की भलाई से मापी जाती है। दीनदयाल के अंत्योदय का सिद्धांत न केवल आर्थिक विकास पर केंद्रित है, बल्कि इसमें सामाजिक न्याय और समानता भी शामिल है। उपाध्याय का मानना था कि जब तक समाज का अंतिम व्यक्ति अपने अधिकारों और संसाधनों से वंचित रहेगा, तब तक वास्तविक विकास संभव नहीं है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से प्रेरित और अंत्योदय के प्रति समर्पित प्रधानमंत्री मोदी भी राष्ट्रनिर्माण की दिशा में अपने तीसरे कार्यकाल में सतत समर्पित हैं। विगत 10 वर्षों में मोदी को सरकार ने देश के अन्नदाताओं के लिए किसान सम्मान निधि के माध्यम से प्रतिमाह 6000 रुपए की राशि सुनिश्चित की है, जिसके माध्यम से 2.25 लाख करोड़ रुपए सीधे किसानों के खातों में जमा हुए हैं। इसके साथ ही मोदी के नेतृत्व में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया है। इसके साथ ही लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए मोदी ने 33% आरक्षण की सौगात भी दी है। तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को आजादी दिलाने से लेकर गांव-गरीब-मजदूर तक ढ़ेरों योजनाएं संचालित कर मोदी ने सबका साथ सबका विकास के लक्ष्य को धरातल पर साकार किया है।

भावना बोहरा ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में इसी अंत्योदय के विचार पर चलते हुए भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की जरूरतमंदों के लिए ₹1 किलो चावल, निशुल्क नमक, आदिवासी अंचल में नि:शुल्क चरण पादुकाओं का वितरण समेत ढ़ेरों योजनाएं संचालित की। इसके साथ ही आज मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में प्रदेश की 70 लाख माताओं-बहनों को प्रतिमाह 1000 का आर्थिक सहयोग, 18 लाख जरूरतमंदों के लिए प्रधानमंत्री आवास समेत कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं आज छत्तीसगढ़ का नेतृत्व भी एक ऐसे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथ में हैं। जो अंत्योदय के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं वह आदिवासी समाज जिसे पंक्ति में सबसे पीछे समझा जाता था आज वह हम सभी छत्तीसगढ़वासियों का नेतृत्व कर रहे हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांत में स्वावलंबन की भावना भी निहित है, ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा को अंत्योदय के लिए एक महत्वपूर्ण साधन माना। उनका मानना था कि शिक्षा ही लोगों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक कर सकती है।

उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का जीवन और उनके विचार भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनका अंत्योदय का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है और यह दर्शाता है कि समाज के अंतिम व्यक्ति की भलाई के बिना सच्चा विकास संभव नहीं है। उपाध्याय की सोच और दृष्टि हमें यह सिखाती है कि एक सशक्त और समान समाज की स्थापना के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा। उनके विचारों को अपनाकर हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ हर व्यक्ति का सम्मान हो और हर किसी के अधिकार सुरक्षित हों।कवर्धा। 25 सितम्बर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने उनके आदर्शों और विचारों के बारे में संवाद किया। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन के बारे में बताया।

भावना बोहरा ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति के एक प्रमुख विचारक हुए जिन्होंने भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीयता और अंत्योदय के विकास पर देश की राजनीति को एक नई दृष्टि दी। “अंत्योदय” का सिद्धांत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए समर्पित है। स्वतंत्रता के बाद एक तरफ जहां भारत प्रगति के नए सपने देख रहा था वहीं दूसरी ओर समाज की पंक्ति में आगे खड़े लोगों की दुर्दशा पंडित को बेचैन कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि देश की तत्कालीन राजनीतिक व्यवस्था इस अंतर को मिटाने में सक्षम नहीं है क्योंकि व्यवस्था का दृष्टिकोण भारतीय नहीं है। इस उद्देश्य से उन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए अंत्योदय को एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया। दीनदयाल का मानना था कि विकास का असली मतलब केवल आर्थिक वृद्धि नहीं, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग के उत्थान में है। किसी भी समाज की सच्ची प्रगति उस समाज के अंतिम व्यक्ति की भलाई से मापी जाती है। दीनदयाल के अंत्योदय का सिद्धांत न केवल आर्थिक विकास पर केंद्रित है, बल्कि इसमें सामाजिक न्याय और समानता भी शामिल है। उपाध्याय का मानना था कि जब तक समाज का अंतिम व्यक्ति अपने अधिकारों और संसाधनों से वंचित रहेगा, तब तक वास्तविक विकास संभव नहीं है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से प्रेरित और अंत्योदय के प्रति समर्पित प्रधानमंत्री मोदी भी राष्ट्रनिर्माण की दिशा में अपने तीसरे कार्यकाल में सतत समर्पित हैं। विगत 10 वर्षों में मोदी को सरकार ने देश के अन्नदाताओं के लिए किसान सम्मान निधि के माध्यम से प्रतिमाह 6000 रुपए की राशि सुनिश्चित की है, जिसके माध्यम से 2.25 लाख करोड़ रुपए सीधे किसानों के खातों में जमा हुए हैं। इसके साथ ही मोदी के नेतृत्व में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया है। इसके साथ ही लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए मोदी ने 33% आरक्षण की सौगात भी दी है। तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को आजादी दिलाने से लेकर गांव-गरीब-मजदूर तक ढ़ेरों योजनाएं संचालित कर मोदी ने सबका साथ सबका विकास के लक्ष्य को धरातल पर साकार किया है।

भावना बोहरा ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में इसी अंत्योदय के विचार पर चलते हुए भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की जरूरतमंदों के लिए ₹1 किलो चावल, निशुल्क नमक, आदिवासी अंचल में नि:शुल्क चरण पादुकाओं का वितरण समेत ढ़ेरों योजनाएं संचालित की। इसके साथ ही आज मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में प्रदेश की 70 लाख माताओं-बहनों को प्रतिमाह 1000 का आर्थिक सहयोग, 18 लाख जरूरतमंदों के लिए प्रधानमंत्री आवास समेत कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं आज छत्तीसगढ़ का नेतृत्व भी एक ऐसे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथ में हैं। जो अंत्योदय के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं वह आदिवासी समाज जिसे पंक्ति में सबसे पीछे समझा जाता था आज वह हम सभी छत्तीसगढ़वासियों का नेतृत्व कर रहे हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांत में स्वावलंबन की भावना भी निहित है, ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा को अंत्योदय के लिए एक महत्वपूर्ण साधन माना। उनका मानना था कि शिक्षा ही लोगों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक कर सकती है।

उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का जीवन और उनके विचार भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनका अंत्योदय का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है और यह दर्शाता है कि समाज के अंतिम व्यक्ति की भलाई के बिना सच्चा विकास संभव नहीं है। उपाध्याय की सोच और दृष्टि हमें यह सिखाती है कि एक सशक्त और समान समाज की स्थापना के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा। उनके विचारों को अपनाकर हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ हर व्यक्ति का सम्मान हो और हर किसी के अधिकार सुरक्षित हों।कवर्धा। 25 सितम्बर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने उनके आदर्शों और विचारों के बारे में संवाद किया। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन के बारे में बताया।

भावना बोहरा ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति के एक प्रमुख विचारक हुए जिन्होंने भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीयता और अंत्योदय के विकास पर देश की राजनीति को एक नई दृष्टि दी। “अंत्योदय” का सिद्धांत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए समर्पित है। स्वतंत्रता के बाद एक तरफ जहां भारत प्रगति के नए सपने देख रहा था वहीं दूसरी ओर समाज की पंक्ति में आगे खड़े लोगों की दुर्दशा पंडित को बेचैन कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि देश की तत्कालीन राजनीतिक व्यवस्था इस अंतर को मिटाने में सक्षम नहीं है क्योंकि व्यवस्था का दृष्टिकोण भारतीय नहीं है। इस उद्देश्य से उन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए अंत्योदय को एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया। दीनदयाल का मानना था कि विकास का असली मतलब केवल आर्थिक वृद्धि नहीं, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग के उत्थान में है। किसी भी समाज की सच्ची प्रगति उस समाज के अंतिम व्यक्ति की भलाई से मापी जाती है। दीनदयाल के अंत्योदय का सिद्धांत न केवल आर्थिक विकास पर केंद्रित है, बल्कि इसमें सामाजिक न्याय और समानता भी शामिल है। उपाध्याय का मानना था कि जब तक समाज का अंतिम व्यक्ति अपने अधिकारों और संसाधनों से वंचित रहेगा, तब तक वास्तविक विकास संभव नहीं है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से प्रेरित और अंत्योदय के प्रति समर्पित प्रधानमंत्री मोदी भी राष्ट्रनिर्माण की दिशा में अपने तीसरे कार्यकाल में सतत समर्पित हैं। विगत 10 वर्षों में मोदी को सरकार ने देश के अन्नदाताओं के लिए किसान सम्मान निधि के माध्यम से प्रतिमाह 6000 रुपए की राशि सुनिश्चित की है, जिसके माध्यम से 2.25 लाख करोड़ रुपए सीधे किसानों के खातों में जमा हुए हैं। इसके साथ ही मोदी के नेतृत्व में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया है। इसके साथ ही लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए मोदी ने 33% आरक्षण की सौगात भी दी है। तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को आजादी दिलाने से लेकर गांव-गरीब-मजदूर तक ढ़ेरों योजनाएं संचालित कर मोदी ने सबका साथ सबका विकास के लक्ष्य को धरातल पर साकार किया है।

भावना बोहरा ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में इसी अंत्योदय के विचार पर चलते हुए भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की जरूरतमंदों के लिए ₹1 किलो चावल, निशुल्क नमक, आदिवासी अंचल में नि:शुल्क चरण पादुकाओं का वितरण समेत ढ़ेरों योजनाएं संचालित की। इसके साथ ही आज मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में प्रदेश की 70 लाख माताओं-बहनों को प्रतिमाह 1000 का आर्थिक सहयोग, 18 लाख जरूरतमंदों के लिए प्रधानमंत्री आवास समेत कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं आज छत्तीसगढ़ का नेतृत्व भी एक ऐसे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथ में हैं। जो अंत्योदय के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं वह आदिवासी समाज जिसे पंक्ति में सबसे पीछे समझा जाता था आज वह हम सभी छत्तीसगढ़वासियों का नेतृत्व कर रहे हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांत में स्वावलंबन की भावना भी निहित है, ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा को अंत्योदय के लिए एक महत्वपूर्ण साधन माना। उनका मानना था कि शिक्षा ही लोगों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक कर सकती है।

उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का जीवन और उनके विचार भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनका अंत्योदय का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है और यह दर्शाता है कि समाज के अंतिम व्यक्ति की भलाई के बिना सच्चा विकास संभव नहीं है। उपाध्याय की सोच और दृष्टि हमें यह सिखाती है कि एक सशक्त और समान समाज की स्थापना के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा। उनके विचारों को अपनाकर हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ हर व्यक्ति का सम्मान हो और हर किसी के अधिकार सुरक्षित हों।कवर्धा। 25 सितम्बर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने उनके आदर्शों और विचारों के बारे में संवाद किया। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन के बारे में बताया।

भावना बोहरा ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति के एक प्रमुख विचारक हुए जिन्होंने भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीयता और अंत्योदय के विकास पर देश की राजनीति को एक नई दृष्टि दी। “अंत्योदय” का सिद्धांत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए समर्पित है। स्वतंत्रता के बाद एक तरफ जहां भारत प्रगति के नए सपने देख रहा था वहीं दूसरी ओर समाज की पंक्ति में आगे खड़े लोगों की दुर्दशा पंडित को बेचैन कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि देश की तत्कालीन राजनीतिक व्यवस्था इस अंतर को मिटाने में सक्षम नहीं है क्योंकि व्यवस्था का दृष्टिकोण भारतीय नहीं है। इस उद्देश्य से उन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए अंत्योदय को एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया। दीनदयाल का मानना था कि विकास का असली मतलब केवल आर्थिक वृद्धि नहीं, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग के उत्थान में है। किसी भी समाज की सच्ची प्रगति उस समाज के अंतिम व्यक्ति की भलाई से मापी जाती है। दीनदयाल के अंत्योदय का सिद्धांत न केवल आर्थिक विकास पर केंद्रित है, बल्कि इसमें सामाजिक न्याय और समानता भी शामिल है। उपाध्याय का मानना था कि जब तक समाज का अंतिम व्यक्ति अपने अधिकारों और संसाधनों से वंचित रहेगा, तब तक वास्तविक विकास संभव नहीं है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से प्रेरित और अंत्योदय के प्रति समर्पित प्रधानमंत्री मोदी भी राष्ट्रनिर्माण की दिशा में अपने तीसरे कार्यकाल में सतत समर्पित हैं। विगत 10 वर्षों में मोदी को सरकार ने देश के अन्नदाताओं के लिए किसान सम्मान निधि के माध्यम से प्रतिमाह 6000 रुपए की राशि सुनिश्चित की है, जिसके माध्यम से 2.25 लाख करोड़ रुपए सीधे किसानों के खातों में जमा हुए हैं। इसके साथ ही मोदी के नेतृत्व में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया है। इसके साथ ही लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए मोदी ने 33% आरक्षण की सौगात भी दी है। तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को आजादी दिलाने से लेकर गांव-गरीब-मजदूर तक ढ़ेरों योजनाएं संचालित कर मोदी ने सबका साथ सबका विकास के लक्ष्य को धरातल पर साकार किया है।

भावना बोहरा ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में इसी अंत्योदय के विचार पर चलते हुए भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की जरूरतमंदों के लिए ₹1 किलो चावल, निशुल्क नमक, आदिवासी अंचल में नि:शुल्क चरण पादुकाओं का वितरण समेत ढ़ेरों योजनाएं संचालित की। इसके साथ ही आज मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में प्रदेश की 70 लाख माताओं-बहनों को प्रतिमाह 1000 का आर्थिक सहयोग, 18 लाख जरूरतमंदों के लिए प्रधानमंत्री आवास समेत कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं आज छत्तीसगढ़ का नेतृत्व भी एक ऐसे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथ में हैं। जो अंत्योदय के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं वह आदिवासी समाज जिसे पंक्ति में सबसे पीछे समझा जाता था आज वह हम सभी छत्तीसगढ़वासियों का नेतृत्व कर रहे हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांत में स्वावलंबन की भावना भी निहित है, ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा को अंत्योदय के लिए एक महत्वपूर्ण साधन माना। उनका मानना था कि शिक्षा ही लोगों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक कर सकती है।

उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का जीवन और उनके विचार भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनका अंत्योदय का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है और यह दर्शाता है कि समाज के अंतिम व्यक्ति की भलाई के बिना सच्चा विकास संभव नहीं है। उपाध्याय की सोच और दृष्टि हमें यह सिखाती है कि एक सशक्त और समान समाज की स्थापना के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा। उनके विचारों को अपनाकर हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ हर व्यक्ति का सम्मान हो और हर किसी के अधिकार सुरक्षित हों।कवर्धा। 25 सितम्बर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने उनके आदर्शों और विचारों के बारे में संवाद किया। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन के बारे में बताया।

भावना बोहरा ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति के एक प्रमुख विचारक हुए जिन्होंने भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीयता और अंत्योदय के विकास पर देश की राजनीति को एक नई दृष्टि दी। “अंत्योदय” का सिद्धांत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए समर्पित है। स्वतंत्रता के बाद एक तरफ जहां भारत प्रगति के नए सपने देख रहा था वहीं दूसरी ओर समाज की पंक्ति में आगे खड़े लोगों की दुर्दशा पंडित को बेचैन कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि देश की तत्कालीन राजनीतिक व्यवस्था इस अंतर को मिटाने में सक्षम नहीं है क्योंकि व्यवस्था का दृष्टिकोण भारतीय नहीं है। इस उद्देश्य से उन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए अंत्योदय को एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया। दीनदयाल का मानना था कि विकास का असली मतलब केवल आर्थिक वृद्धि नहीं, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग के उत्थान में है। किसी भी समाज की सच्ची प्रगति उस समाज के अंतिम व्यक्ति की भलाई से मापी जाती है। दीनदयाल के अंत्योदय का सिद्धांत न केवल आर्थिक विकास पर केंद्रित है, बल्कि इसमें सामाजिक न्याय और समानता भी शामिल है। उपाध्याय का मानना था कि जब तक समाज का अंतिम व्यक्ति अपने अधिकारों और संसाधनों से वंचित रहेगा, तब तक वास्तविक विकास संभव नहीं है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से प्रेरित और अंत्योदय के प्रति समर्पित प्रधानमंत्री मोदी भी राष्ट्रनिर्माण की दिशा में अपने तीसरे कार्यकाल में सतत समर्पित हैं। विगत 10 वर्षों में मोदी को सरकार ने देश के अन्नदाताओं के लिए किसान सम्मान निधि के माध्यम से प्रतिमाह 6000 रुपए की राशि सुनिश्चित की है, जिसके माध्यम से 2.25 लाख करोड़ रुपए सीधे किसानों के खातों में जमा हुए हैं। इसके साथ ही मोदी के नेतृत्व में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया है। इसके साथ ही लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए मोदी ने 33% आरक्षण की सौगात भी दी है। तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को आजादी दिलाने से लेकर गांव-गरीब-मजदूर तक ढ़ेरों योजनाएं संचालित कर मोदी ने सबका साथ सबका विकास के लक्ष्य को धरातल पर साकार किया है।

भावना बोहरा ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में इसी अंत्योदय के विचार पर चलते हुए भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की जरूरतमंदों के लिए ₹1 किलो चावल, निशुल्क नमक, आदिवासी अंचल में नि:शुल्क चरण पादुकाओं का वितरण समेत ढ़ेरों योजनाएं संचालित की। इसके साथ ही आज मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में प्रदेश की 70 लाख माताओं-बहनों को प्रतिमाह 1000 का आर्थिक सहयोग, 18 लाख जरूरतमंदों के लिए प्रधानमंत्री आवास समेत कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं आज छत्तीसगढ़ का नेतृत्व भी एक ऐसे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथ में हैं। जो अंत्योदय के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं वह आदिवासी समाज जिसे पंक्ति में सबसे पीछे समझा जाता था आज वह हम सभी छत्तीसगढ़वासियों का नेतृत्व कर रहे हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांत में स्वावलंबन की भावना भी निहित है, ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा को अंत्योदय के लिए एक महत्वपूर्ण साधन माना। उनका मानना था कि शिक्षा ही लोगों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक कर सकती है।

उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का जीवन और उनके विचार भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनका अंत्योदय का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है और यह दर्शाता है कि समाज के अंतिम व्यक्ति की भलाई के बिना सच्चा विकास संभव नहीं है। उपाध्याय की सोच और दृष्टि हमें यह सिखाती है कि एक सशक्त और समान समाज की स्थापना के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा। उनके विचारों को अपनाकर हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ हर व्यक्ति का सम्मान हो और हर किसी के अधिकार सुरक्षित हों।कवर्धा। 25 सितम्बर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने उनके आदर्शों और विचारों के बारे में संवाद किया। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन के बारे में बताया।

भावना बोहरा ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति के एक प्रमुख विचारक हुए जिन्होंने भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीयता और अंत्योदय के विकास पर देश की राजनीति को एक नई दृष्टि दी। “अंत्योदय” का सिद्धांत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए समर्पित है। स्वतंत्रता के बाद एक तरफ जहां भारत प्रगति के नए सपने देख रहा था वहीं दूसरी ओर समाज की पंक्ति में आगे खड़े लोगों की दुर्दशा पंडित को बेचैन कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि देश की तत्कालीन राजनीतिक व्यवस्था इस अंतर को मिटाने में सक्षम नहीं है क्योंकि व्यवस्था का दृष्टिकोण भारतीय नहीं है। इस उद्देश्य से उन्होंने समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए अंत्योदय को एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया। दीनदयाल का मानना था कि विकास का असली मतलब केवल आर्थिक वृद्धि नहीं, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग के उत्थान में है। किसी भी समाज की सच्ची प्रगति उस समाज के अंतिम व्यक्ति की भलाई से मापी जाती है। दीनदयाल के अंत्योदय का सिद्धांत न केवल आर्थिक विकास पर केंद्रित है, बल्कि इसमें सामाजिक न्याय और समानता भी शामिल है। उपाध्याय का मानना था कि जब तक समाज का अंतिम व्यक्ति अपने अधिकारों और संसाधनों से वंचित रहेगा, तब तक वास्तविक विकास संभव नहीं है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से प्रेरित और अंत्योदय के प्रति समर्पित प्रधानमंत्री मोदी भी राष्ट्रनिर्माण की दिशा में अपने तीसरे कार्यकाल में सतत समर्पित हैं। विगत 10 वर्षों में मोदी को सरकार ने देश के अन्नदाताओं के लिए किसान सम्मान निधि के माध्यम से प्रतिमाह 6000 रुपए की राशि सुनिश्चित की है, जिसके माध्यम से 2.25 लाख करोड़ रुपए सीधे किसानों के खातों में जमा हुए हैं। इसके साथ ही मोदी के नेतृत्व में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला गया है। इसके साथ ही लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए मोदी ने 33% आरक्षण की सौगात भी दी है। तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को आजादी दिलाने से लेकर गांव-गरीब-मजदूर तक ढ़ेरों योजनाएं संचालित कर मोदी ने सबका साथ सबका विकास के लक्ष्य को धरातल पर साकार किया है।

भावना बोहरा ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में इसी अंत्योदय के विचार पर चलते हुए भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की जरूरतमंदों के लिए ₹1 किलो चावल, निशुल्क नमक, आदिवासी अंचल में नि:शुल्क चरण पादुकाओं का वितरण समेत ढ़ेरों योजनाएं संचालित की। इसके साथ ही आज मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में प्रदेश की 70 लाख माताओं-बहनों को प्रतिमाह 1000 का आर्थिक सहयोग, 18 लाख जरूरतमंदों के लिए प्रधानमंत्री आवास समेत कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं आज छत्तीसगढ़ का नेतृत्व भी एक ऐसे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथ में हैं। जो अंत्योदय के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं वह आदिवासी समाज जिसे पंक्ति में सबसे पीछे समझा जाता था आज वह हम सभी छत्तीसगढ़वासियों का नेतृत्व कर रहे हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांत में स्वावलंबन की भावना भी निहित है, ग्रामीण विकास और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा को अंत्योदय के लिए एक महत्वपूर्ण साधन माना। उनका मानना था कि शिक्षा ही लोगों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक कर सकती है।

उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का जीवन और उनके विचार भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनका अंत्योदय का सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है और यह दर्शाता है कि समाज के अंतिम व्यक्ति की भलाई के बिना सच्चा विकास संभव नहीं है। उपाध्याय की सोच और दृष्टि हमें यह सिखाती है कि एक सशक्त और समान समाज की स्थापना के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा। उनके विचारों को अपनाकर हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ हर व्यक्ति का सम्मान हो और हर किसी के अधिकार सुरक्षित हों।