0.वाहन से उड़ रही राखड़ ने जन स्वास्थ्य के लिए समस्या पैदा की
कोरबा, 22 सितम्बर (वेदांत समाचार) । राज्य के सबसे बड़े पावर हब के रूप में स्थापित कोरबा के बिजली घरों में उत्पादन के लिए प्रतिदिन डेढ़ लाख टन कोयला की खपत हो रही है और इसकी एक बड़ी मात्रा राखड़ के रूप में उत्सर्जित हो रही है। एनजीटी ने राखड़ परिवहन के लिए जो नियम तय किये है, उसकी अनदेखी जिले में हो रही है। नेशनल हाईवे 130-बी के किनारे रिहायशी क्षेत्र की जनता राखड़ उडऩे से परेशान है।जिले में एनटीपीसी पावर प्लांट के साथ-साथ सीएसईबी और बालको की परियोजनाएं बिजली पैदा कर रहे है। एसईसीएल से उन्होंने कोयला लेने के लिए अनुबंध किया है। जिले में बिजली परियोजनाओं से प्रतिदिन कई मिट्रीक टन राख का उत्सर्जन हो रहा है।
इसके सुरक्षित भण्डारण और परिवहन के लिए सरकार ने व्यवस्था बनाई है, वहीं एनजीटी ने गाईड लाईन जारी की है। इसके हिसाब से पहले तो फ्लाईएश का शत-प्रतिशत उपयोग करना है और अन्य स्थिति में उसे सुरक्षित रूप से ट्रांसपोर्ट करना है। देखने में आ रहा है कि ऐसे वाहनों को बेहतर तरीके से कव्हर किये बिना ही गंतव्य के लिए भेजा जा रहा है। आवाजाही के दौरान हवा के संपर्क में आने से आसपास में फ्लाईएश फैल रही है और जन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रही है। कोरबा के साथ-साथ कटघोरा और पोड़ीउपरोड़ा सब डिवीजन में हाईवे किनारे ग्रामीण आबादी राखड़ उडऩे की समस्या से परेशान है।
नियंत्रण करने का हो रहा दावा
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल लगातार दावे कर रहा है कि जिले में पर्यावरण संतुलन और प्रदूषण नियंत्रण के लिए काम हो रहा है। इसके लिए निगरानी कराई जा रही है। पिछले दिनों में जिले के कई उद्योगों और ट्रांसपोर्टर पर इस बात के लिए पैनाल्टी की गई की उन्होंने फ्लाईएश के ट्रांसपोर्ट व डंम्पिग में सुरक्षा की अनदेखी की।
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