अहिंसा-करुणा के प्रतीक तीर्थंकर पार्श्वनाथ पर जारी होगा डाक टिकट

उदयपुर/रायपुर । जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान श्री पार्श्वनाथ के 2900वें जन्मोत्सव और 2800वें निर्वाणोत्सव के उपलक्ष्य में भारत सरकार द्वारा स्मारक डाक टिकट जारी किया जाएगा। यह निर्णय छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर से भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल के अनुरोध पर लिया गया। केंद्रीय संचार एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 11 सितंबर को पत्र के माध्यम से इसकी पुष्टि की।

कुछ समय पहले जैन समाज ने केंद्रीय संचार मंत्री से तीर्थंकर पार्श्वनाथ पर स्मारक डाक टिकट जारी करने की मांग की थी, जिसे अब मान्यता मिली है। इस घोषणा पर जैन समाज में खुशी की लहर दौड़ गई है।

तीर्थंकर पार्श्वनाथ: अहिंसा और करुणा के प्रतीक
श्रवण डॉ पुष्पेंद्र ने बताया कि तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जीवन अहिंसा और करुणा का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने 70 वर्षों तक अहिंसा का संदेश देकर लोगों को जागरूक किया और उन्हें सम्यक दर्शन, सत्य, अस्तेय और अपरिग्रह का मार्ग दिखाया। उनके ऊपर डाक टिकट जारी होना जैन समाज के लिए गर्व का विषय है।

महान अवसरों का उत्सव
आगामी 25 दिसंबर को तीर्थंकर पार्श्वनाथ का 2900वां जन्म कल्याणक महोत्सव देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस अवसर पर भगवान पार्श्वनाथ के उपदेशों और उनके जीवन के महान आदर्शों को श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाएगा।

इतिहास में जैन धर्म पर पहला डाक टिकट
यह उल्लेखनीय है कि जैन धर्म पर पहला डाक टिकट 6 मई 1935 को जारी किया गया था। इस पर कोलकाता के शीतलनाथ जैन मंदिर का चित्र अंकित था। यह मंदिर अपनी दीवारों और छत पर अद्वितीय मीनाकारी और दर्पणों के काम के लिए प्रसिद्ध है।

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