राजनीति में जो अपने प्रदेश का बड़ा नेता होता है, उसको तो बोलना ही पड़ता है।उसके बोलने से ही तो लगता है कि बड़ा नेता हमारे साथ है।वह नहीं बोलेगा तो साथ में रहने वाले नेता साथ में कैसे रहेंगे।वह दूसरा बड़ा नेता तलाश कर लेंगे। बड़ा नेता तो बड़ा नेता तब ही माना जाता है जब उसके साथ राज्य के ज्यादातर नेता होते हैं। बड़ा नेता बना रहना है तो ज्यादातर नेताओं को बताते रहना पड़ता है कि तुम अकेले नहीं हो, मैं तुम्हारे साथ हूं मतलब पूरी पार्टी तुम्हारे साथ है।
जब संकट की स्थिति होती है तो खासतौर पर बताना पड़ता है कि घबराना नहीं, हम सब तु्म्हारे साथ हैं। किसी मामले में किसी के खिलाफ एफआईआर हो जाए तो कितना भी बड़़ा नेता हो, उसे डर तो लगता है। पुलिस तो पुलिस है, वह तो उसका कहना मानती है, जो सत्ता में रहता है। पुलिस तो पुलिस है, क्या पता कब घर आ जाए गिरफ्तार करने।पुलिस तो पुलिस है क्या पता कब घर आकर गिरफ्तार कर ले और कोर्ट में पेश कर दे।
कोर्ट तो कोर्ट है,कोर्ट में जजों का अपना अलग ही मिजाज होता है।उनकी ही अपनी ही दुनिया होती है।उऩकी दुनिया में जो भी आता है, वह किसी न किसी अपराध मेें लाया जाता है, लाए गए सारे लोग चाहते हैं कि उन्हें जज जमानत दे तो जेल जाने से बचें।जज सभी को लाते ही जमानत देने लगे तो फिर काहे के जज, कौन उनको याद रखेगा।लोग तो उनको याद करते हैं जब वह जमानत नहीं देते हैं। जिंदगी भर याद करते लोग कि फलाने जज ने जमानत नहीं दी तो जेल की हवा खानी पड़ी थी।
भूपेश सरकार में मंत्री रहे देवेंद्र यादव को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो उनको अब तक जमानत नहीं मिली है। वह बार बार जमानत चाहते हैं पर उनको जमानत नहीं मिल रही है, इसलिए जेल में रहना पड़ रहा है। उनको गिरफ्तार किया गया था तो भूपेश बघेल ने उनके लिए बोला था कि यह राजनीतिक साजिश है, देवेंद्र यादव ने कोई अपराध नहीं किया है।भाजपा की सरकार है, वह कैसे मान ले कि भूपेश बघेल जो कह रहे हैं, वही सच है। सरकार तो उसी को सच मानती है, जो पुलिस कहती है और करती है।
भूपेश बघेल की जब सरकार थी तो वह भी यही कहते थे कि पुलिस जो कर रही है वह कानून के अनुसार कर रही है। बीरेनपुर कांड में भाजपा,विहिप आदि के लोगों को गिरफ्तार किया गया था तो भाजपा ने कहा था कि गिरफ्तारी गलत है,लेकिन सरकार ने उनकी बात को सच कहां माना।सरकार मानती ही नहीं है कि जो विपक्ष में है वह सच कहता है। जो विपक्ष मे रहता है,वह भी नहीं मानता है कि सरकार जो कर रही है, कह रही है, वह ठीक है,वह सही है।
देवेंद्र यादव अभी बाहर नहीं आए हैं।मोहम्मद अकबर के नाम से एफआईआर कर दी गई है।उन्होंने कहा है कि शिक्षक आत्महत्या मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करना साजिश है।अकबर के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो तो भूपेश बघेल को उनके पक्ष में बोलना जरूरी था। देवेंद्र यादव की तरह मो.अकबर भी तो भूपेश सरकार में मंत्री थे। भूपेश बघेल तो महापौर पर संकट आता है,उसके घर पहुंच जाते हैं, उसकी गिरफ्तारी नहीं होने देते हैं। देवेंद्र यादव व मो.अकबर तो उनकी सरकार में मंत्री रहे है। उनके साथ तो उनको खड़ा होना ही पडेगा। नहीं तो मंत्री भी याद दिलाएंगे कि उन्होंने उनके लिए क्या क्या किया था। वह उनके साथ कैसे हमेशा खड़े रहे।
भूपेश बघेल जो कर सकते हैं तो अपनों के लिए करते ही हैं।देवेंद यादव गिरफ्तार हुए तो जमानत के लिए भूपेश बघेल ने, पार्टी ने कोशिश की। पार्टी के नेता उनसे मिलने जेल गए। राखी में महिलाएं उनको राखी बांधने जेल भेजी गईं।भूपेश बघेल खुद देवेंद्र यादव के घर गए, घरवालों को आश्वस्त करने की देवेंद्र यादव जल्द घर आ जाएंगे। देवेंद्र अभी घर नही लौटे हैं और अकबर के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो गई है और जिला न्यायालय ने जमानत के लिए लगाई उनकी याचिका भी खारिज कर दी है और कहा है कि प्रथम दृश्टया उऩकी संलिप्तता दर्शित होती है।
बुरा सोचने वाले भला नहीं सोच पाते हैं।शहर मे चर्चा कर रहे हैं कि क्या एक पूर्व मंत्री के बाद दूसरा पूर्व मंत्री भी जेल भेजा जाएगा। ऐसे में किसी को यह भी याद आ गया कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने क्या कहा है। खरगे ने कहा है कि हमको बीस सीट और मिल जाती तो यह सब जेल में होते।यह सब जेल में रहने लायक हैं। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे सपना देख रहे है कि बीस सीट और आ जाती तो वह क्या करते। छत्तीसगढ़ में तो हकीकत में कांग्रेस नेता जेल भेजे जा रहे है। आने वाले दिनों मे और गिरफ्तारी होगी तो हो सकता है कि राज्य के लोग कहें कि ये जेल जाने का काम किया है तब ही तो जेल जा रहे हैं।
[metaslider id="347522"]