कोरबा, 09 सितम्बर (वेदांत समाचार)। पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन मिशन आकांक्षी जिला कोरबा में दम तोड़ती नजर आ रही। रेवड़ी की तरह काम तो बांट दिया गया लेकिन स्वीकृत काम तय समयावधि में तैयार नहीं हो पा रहे।लिखित शिकायतों पर 8 माह बाद भी विभाग जांच पूरी नहीं कर सका तो वहीं महज 4 कार्यों के ही पूर्णता प्रमाण पत्र अब जारी किया गया है । वो भी विधिवत तौर पर स्वीकार्य फार्मेट में जारी ही नहीं किया गया। जिससे जिम्मेदार फर्मों एवं अफसरों की जुगलबंदी से योजना का कहीं बंटाधार न हो जाए।
यहां बताना होगा कि हर घर नल ,हर घर जल के नारों के साथ मार्च 2024 तक हर घरों को शुद्ध पानी पहुँचाने की पीएम मोदी की मंशा थी। तमाम खामियों की वजह से योजना के फलीभूत होने की मियाद मार्च 2025 तक बढ़ गई है। लेकिन आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में इसकी स्थिति अत्यंत निराशाजनक है। जिले में तकरीबन 800 करोड़ से अधिक के 500 से अधिक कार्य स्वीकृत हैं।
विभागीय समीक्षा बैठकों में भले ही 41 से अधिक कार्य पूर्ण होने के दावे कर शासन प्रशासन मीडिया के आंखों धूल झोंकी जाती है । लेकिन आरटीआई से योजनाओं के पूर्णता प्रमाण पत्र मांगे जाने पर क्रियान्वयन एजेंसी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग महज 4 योजनाओं के ही पूर्णता प्रमाण पत्र की सत्यप्रतिलिपि उपलब्ध करा रही है। वो भी वर्ष 2022 में पूर्ण हुए करतला विकासखण्ड के चारों ग्राम पंचायत मदवानी ,गाड़ापाली ,बोतली, लीमगांव के ही दिए जा रहे हैं। उसमें भी इन चारों ग्राम पंचायतों के स्वीकृत योजनाओं के जारी पूर्णता प्रणाम पत्र निर्धारित मान्य स्वीकार्य योग्य फार्मेट में नहीं हैं। निर्धारित फार्मेट में जारी मूल कार्य का हस्तांतरण प्रतिवेदन में कार्य का नाम ,प्रधिकार ,,प्राक्कलन क्रमांक ,योजना क्रमांक ,स्रोत ,सबमर्सिबल पंप ,स्वीचरूम,राइजिंगमेन,उच्चस्तरीय जलागार क्षमता एवं ऊंचाई ,जल वितरण प्रणाली ,स्टैंड पोस्ट ,वाल्ब चेम्बर समेत अन्य कार्यों का उल्लेख होना चाहिए। जिसमें एसडीओ ,सब इंजीनियर के अलावा योजना को हैंड ओवर लेने वाले सरपंच सचिव के पदमुद्रा हस्ताक्षर होने चाहिए। बकायदा रायगढ़ जिले में इस निर्धारित फार्मेट में पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया गया है । लेकिन आकांक्षी जिला कोरबा में इसके उलट इन 4 ग्राम पंचायतों का ऐसा पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया गया है,जिसमें इनका उल्लेख ही नहीं है। इस तरह देखें तो जिन 4 कार्यों को पीएचई कागजों में पूर्ण बता रहा वो पूर्णता प्रमाण पत्र भी फर्जी है। पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने के बाद हसदेव एक्सप्रेस की एक साल पूर्व किए गए पड़ताल में पीएचई के इन चारों योजनाओं के फर्जी पूर्णता प्रमाण पत्र की वास्तविकता उजागर हो चुकी है। योजना आधी अधूरी थी। अब इस तरह के पूर्णता प्रमाण पत्र जारी कर झूठी वाहवाही लूटने के पीछे विभाग की क्या मंशा है वो तो वही जानें। लेकिन इतना तय है कि कोरबा के हर घर को नल से जल मिलने अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।
मिशन संचालक को लिखित शिकायत के 8 माह बाद भी जांच अधूरी,ईई बोले मार्च के बाद रोका है 2 करोड़ का भुगतान
जल जीवन मिशन के स्वीकृत कार्यों में जहां अपेक्षित गति नहीं आ रही है वहीं गुणवत्ता ,गति एवं तकनीकी मानकों मापदंडों में खामियों की लिखित शिकायत की जांच भी पीएचई दबाए बैठा है। ब श्रेणी के एक फर्म मेसर्स ज्योति इलेक्ट्रॉनिक्स कटघोरा को कांग्रेस शासनकाल में उपकृत करते हुए रेवड़ी की तरह कार्य आबंटित कर कोरबा जिले में ही 33 पंचायतों का कार्य दे दिया गया है। जिसमें सबसे ज्यादा कार्य पाली ब्लॉक से है यहां 19 पंचायतों कोरबी ,बतरा,हाथीबडी ,बम्हनीखुर्द, बड़ेबांका, पोलमी,चैतमा ,चटुआभौना ,पोंडी ,बनबांधा ,पोटापानी ,बगदरीडांड , कुटेलामुड़ा, डोंगानाला,ईरफ,मुनगाडीह, शिवपुर, कांजीपारा एवं बम्हनीकोना शामिल है। बात करें कटघोरा ब्लॉक की तो यहां भी फर्म को जल जीवन मिशन के 10 कार्य आबंटित हुए हैं इनमें मड़वामौहा ,जवाली,पुरेनाखार,डिंडोलभांठा,लोतलोता ,बिसनपुर ,बिरवट ,तेलसरा , नवागांव कला एवं झाबू शामिल हैं। करतला विकासखण्ड से फतेगंज ,चारमार एवं अमलडीहा तो पोंडी ब्लॉक से फर्म को सखोदा का भी कार्य आबंटित हुआ है।उपरोक्त कार्यों के एवज में फर्म को 23 जनवरी 2024 के पूर्व 10 करोड़ 21 लाख रुपए से अधिक की राशि का भुगतान हो चुका था । बावजूद कार्य 50 फीसदी भी अधूरा था । कांग्रेस शासनकाल में अफसरों एवं माननीयों की विशेष कृपा से फर्म को रेवड़ी की तरह कार्य आबंटित तो कर दिया गया ,लेकिन फर्म की फील्ड पर परफार्मेन्स एवं प्रगति की सुध लेना पूर्ववर्ती भूपेश सरकार भूल गई थी । आलम यह है कि एक भी पंचायत में कार्य की प्रगति ऐसी नही थी कि पीएम मोदी की मंशानुरूप मार्च 2024 तक योजना पूर्ण कर जलापूर्ति शुरू की जा सके। यही नहीं कार्य की गुणवत्ता एवं तकनीकी मापदण्डों की अनदेखी को लेकर भी जनाक्रोश पनप रहा था।
कहीं गढ्ढा खोदकर छोंड़ दिया गया है तो कहीं नल कनेक्शन सफेद हाथी बना हुआ था। जमीन पर पाइप लाइन बिछाकर छोंड़ दिया गया था । कई स्थानों पर नल में पीतल की टोंटी ही नहीं लगी थी। हितग्राहियों को कुएं हैंडपंप से प्यास बुझानी पड़ रही थी। कटघोरा ब्लॉक के लोतलौता में फर्म द्वारा पाइप लाइन बिछाकर कार्य आधा अधूरा छोंड़ दिया गया था। यहां फर्म को 48 लाख से अधिक का भुगतान होने की बात विश्वस्त सूत्रों से मिल रही थी । 73 लाख से अधिक का भुगतान हो चुके चैतमा के स्वीकृत योजना के लिए भी फर्म के प्रति नाराजगी दिखी थी। पाली ब्लॉक के ग्राम पंचायत पोलमी में भी स्वीकृत कार्य के लिए 50 लाख से अधिक का भुगतान हो चुका था । लेकिन यहां भी कमोबेश चैतमा जैसा ही नजारा दिखा था। ग्रामीणों के घरों के बाहर पक्के स्ट्रक्चर के साथ नल तो लगाया गया है लेकिन न नल में टोंटी लगी न आज तक जल मिला। पानी टंकी भी आधी अधूरी थी।
पाली ब्लॉक के बतरा में फर्म को स्वीकृत कार्यों के लिए सबसे ज्यादा 1 करोड़ 32 लाख रुपए से अधिक की राशि का भुगतान होने की जानकारी मिली थी । लेकिन जमीनी स्तर पर कार्य की गुणवत्ता और गति की जो तस्वीर दिखी वाकई सबसे ज्यादा हतोत्साहित एवं निराशाजनक लगी थी ।किसी पारा में जलापूर्ति हेतु पाइप डालकर छोंड़ दिया गया था तो किसी पारे में खुदाई तक नहीं हुई थी। हितग्राहियों को कहीं कुएं से तो कहीं काफी दूर हैण्डपम्प से पानी लाकर प्यास बुझानी पड़ रही थी।
जिसे देखते हुए मिशन संचालक जल जीवन मिशन छत्तीसगढ़ रायपुर को दिनांक 24 जनवरी 2024 को पत्र लिखकर व्यापक लोकहित में उक्त फर्म के कोरबा ,बिलासपुर एवं अम्बिकापुर जिले में स्वीकृत समस्त कार्यों की राज्य स्तरीय टीम गठित कराकर 30 दिवस के भीतर निविदा प्रक्रिया,फर्म का अनुभव प्रमाण पत्र ,कार्यों की गुणवत्ता,तकनीकी मापदण्डों ,भुगतान प्रक्रिया ,देयक व्हाउचर की जांच कराते हुए भौतिक सत्यापन सुनिश्चित कराने का अनुरोध किया गया था। तब तक तत्काल शेष भुगतान प्रक्रिया पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।
मिशन संचालक ने संबंधित जिलों में पत्र की प्रतिलिपि भेजकर प्रकरण में आवश्यक कार्रवाई के आदेश दिए थे। लेकिन आज 8 माह बीत गए फर्म के कार्यों की जांच आज पर्यंत पूरी नहीं की जा सकी। हालांकि विभाग के अधिकारी का दावा है कि मार्च के बाद का भुगतान रोका गया है। लेकिन इस तरह के भुगतान तो सभी फर्मों की रोकी गई गई हैं तो इसमें कोई विशेष कार्रवाई जैसी स्थिति ही नहीं।शिकायत के तत्काल बाद भुगतान नहीं रोकी गई। वर्तमान में फर्म की कई योजनाओं का बुरा हाल है। जहाँ मदनपुर रजकम्मा में 1 करोड़ 70 लाख की योजना में 60 हजार लीटर की एक टँकी का निर्माण अपूर्ण है ,वहीं बड़ेबाँका ,कुटेलामुडा में भी योजना का निर्माण अधूरा है। अन्य योजनाओँ में भी अपेक्षित गति नहीं आने निर्धारित तकनीकी मानकों के अनदेखी की शिकायत विश्वसनीय सूत्रों से मिल रही है । जिसकी जांच की दरकार है ।
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